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July 1, 2025

एक सप्ताह के भीतर दिल्ली में महिला को चार बार पड़े कार्डियक अरेस्ट, चिकित्सकों की मेहनत से बची जान

टीबी से पीड़ित एक 51 साल की महिला को एक हफ्ते में चार बार कार्डियक अरेस्‍ट हुआ। दिल्ली के एक अस्‍पताल में भर्ती ये महिला चिकित्सकों के अथक प्रयासों से बिना किसी वेंटिलेटर सपोर्ट के ठीक हो गई।

टीबी से पीड़ित एक 51 साल की महिला को एक हफ्ते में चार बार कार्डियक अरेस्‍ट हुआ। दिल्ली के एक अस्‍पताल में भर्ती ये महिला चिकित्सकों के अथक प्रयासों से बिना किसी वेंटिलेटर सपोर्ट के ठीक हो गई। महिला को पिछले साल अक्‍टूबर में फोर्टिस अस्‍पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। महिला को गंभीर रूप से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और उसके पूरे शरीर पर सूजन आ गई थी। अस्‍पताल ने अपने एक बयान में कहा कि शुरुआती जांच में पता चला कि महिला के हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ जमा हो गया था। इसके चलते हृदय के पंप करने की क्षमता प्रभावित हुई थी और यह ब्‍लड प्रेशर कम होने का कारण बना।
महिला के ब्‍लड प्रेशर को कम करने के लिए मेडिसिन थेरेपी दी गई। साथ ही हृदय के पंप करने की क्षमता को ठीक करने के लिए एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी दी गई। इसके बाद पुष्टि हुई कि महिला टीबी से पीड़ित है। फोर्टिस एस्‍कोर्ट हर्ट इंस्‍टीट्यूट में इंटरवेंशनल कॉर्डियोलॉजी के कंसल्‍टेंट डॉ. वियुध प्रताप सिंह ने कहा कि टीबी को ज्यादातर ऐसी बीमारी के रूप में जाना जाता है, जिसका एकमात्र लक्षण बुखार माना जाता है। यह भारत में अभी भी प्रचलित है, दिल पर इसके प्रभाव का ज्यादा पता नहीं चलता है। समय पर पहचान और उपचार के जरिये ही टीबी से लड़ा जा सकता है। डॉ. सिंह ने इसे चुनौतीपूर्ण और दुर्लभ मामला बताया।
उन्‍होंने कहा कि एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी के दौरान हमें एक और चुनौती का सामना करना पड़ा, जब रोगी की हृदय गति लगातार तेज होने लगी। महिला को पहले ही सप्ताह में चार कार्डियक अरेस्ट आ चुके थे। उसे कार्डियक मसाज और झटके दिए गए और बिना वेंटिलेटर सपोर्ट के सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया गया। रिश्तेदारों के साथ चर्चा के बाद एक विशेष प्रकार का पेसमेकर आईसीडी प्रत्‍यारोपित किया गया। यह हृदय गति को तेज झटका देता है।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला, नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक बिदेश चंद्र पॉल ने कहा कि टीम के गहन मूल्यांकन, पर्याप्त निगरानी और चिकित्सा देखभाल के चलते दोनों में से कोई भी स्थिति खराब नहीं हुई और रोगी ठीक हो गया। उन्‍होंने कहा, “यह एक बहुत ही जोखिम भरा और चिकित्सकीय रूप से चुनौतीपूर्ण मामला था। हमारे डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए अपना 100 प्रतिशत दिया।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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