उत्तराखंड लोक मंच की मदद से राहत सामग्री को आप प्रभारी ने पहाड़ों के लिए किया रवाना, प्रवक्ता ने यूपीसीएल पर लगाया आरोप
इस मौके पर आप प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने बताया कि 25 सालों से समाज के हर तबके के लिए काम करने वाला उत्तराखंड लोक मंच एक बार फिर जनता के लिए कोरोना काल में लोगों की सेवा के लिए आगे आया है। 90 के दशक में उत्तरकाशी आपदा से लेकर अब तक उत्तराखंड में आई हर प्राकृतिक आपदा के समय समाज के साथ उत्तराखंड लोक मंच हमेशा मुस्तैदी के साथ खडा रहा। उन्होंने बताया कि बीते 25 सालों से समाज के हर वर्ग के लिए निस्वार्थ सेवा करना अपने आप में एक मिसाल है, जो उत्तराखंड लोक मंच ने कायम की है। जब उत्तराखंड वासियों को सरकारी मद्द की सबसे ज्यादा जरुरत थी, तो ऐसे में कई सामाजिक संगठनों ने अपना कर्तव्य निभाते हुए जनता की सेवा के लिए हाथ आगे बढ़ाए, इसमें उत्तराखंड लोक मंच का नाम भी काफी अहम है।
उत्तराखंड लोक मंच के अध्यक्ष ब्रजमोहन उप्रेती ने बताया कि इस साल भी उनका संगठन लोगों की मदद कर रहा था, लेकिन वो और उनके मंच के पदाधिकारी कोरोना पीड़ित होने के कारण अपनी मुहिम को आगे नहीं बढा पाए। अब स्वस्थ होने के बाद उनकी पूरी टीम एक बार फिर कोरोना पीड़ितों को मदद करने को अपनी कमर कस चुकी है। इसके तहत उनकी टीम ने दिल्ली से राहत सामग्री के साथ गाड़ियों को हरिद्वार, ऋषिकेश, यमकेश्वर, टिहरी, श्रीनगर, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली, कर्णप्रयाग, गैरसैंण, चौखटिया, अल्मोड़ा, नैनीताल के लिए रवाना की। ये सभी टीमें इन अलग अलग जगहों पर जाकर राहत सामग्री बांटने का काम करेंगी। इस राहत सामग्री में राशन किट, मेडिसन किट, ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, मास्क, पीपीई किट, ग्लब्स, सेनिटाइजर, डिजिटल थर्मामीटर, स्टीमर, फेसशील्ड, ग्लुकोस मीटर, ब्लड प्रेशर मशीन जैसे उपकरण और दवाइयां हैं।
उत्तराखंड के लिए राहत सामग्री भेजने के दौरान आप सहप्रभारी राजीव चौधरी, उत्तराखंड लोकमंच अध्यक्ष उपाध्यक्ष पृथ्वी रावत, प्रभाकर पोखरियाल, हरीश ध्यानी, राजेन्द्र नेगी, सोहन पाल राणा, निशांत रौथाण, मनीष गुलिया, राजेन्द्र चमोली, अरुण रावत समेत कई लोग मौजूद रहे।
यूपीसीएल की मनमानी से अतिरिक्त बिल भरने को मजबूर है जनता
आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद ने उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यूपीसीएल उत्तराखंड की भोली-भाली जनता को मूर्ख बना रही है। आनंद ने बताया कि वर्तमान बिजली यूनिट दर जो कि 0 से 100 यूनिट 2. 80 रुपये, 101 से 200 मिनट तक 4 रुपये है, 201 से 400 यूनिट तक 5. 50 पैसे है और 400 यूनिट से ऊपर 6 रुपये 25 पैसे है। महीने की दरें निर्धारित होने के बावजूद भी यूपीसीएल की ओर से प्रतिमाह बिल नहीं दिया जाता। यूपीसीएल जनता पर आर्थिक बोझ डालते हुए दो महीने का बिल इकट्ठा वसूलता है। इससे लोगों पर बेवजह आर्थिक बोझ पडता है। इसके साथ ही यूपीसीएल अपने सभी फिक्स चार्ज भी वसूलता है, जो भार सिर्फ जनता पर ही पड रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक उर्जा प्रदेश है। जहां से कई जल विद्युत परियोजनाएं संचालित हो रही हैं और कई योजनाएं शुरू होने की को हैं। इसके बावजूद भी उत्तराखंड प्रदेश की जनता को बिजली मुफ्त नहीं मिलती। उन्हें इसके लिए भारी दाम चुकाने पड़ते हैं। रविंद्र आनंद ने बताया कि इससे पहले भी उनकी पार्टी की ओर से इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया था, फिर भी सरकार ने इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की। इससे ये स्पष्ट होता है कि सरकार जनता की समस्याओं के निस्तारण को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।
उन्होंने कहा कि यूपीसीएल का गुणा भाग उनकी समझ से बाहर है। जब यूपीसीएल में 1 महीने के बिल का प्रावधान है तो आखिर क्यों प्रतिमाह यूनिट की रीडिंग लेकर बिल नहीं बनाया जाता। आखिर क्यों 2 महीने का बिल इकट्ठा वसूला जाता है। आप पार्टी ऐसा नहीं होने देगी। अगर आवश्यकता पड़ी तो पार्टी कार्यकर्ता ऊर्जा निगम के अधिकारियों का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेगी।
उन्होंने राज्य सरकार से ये मांग की है कि प्रतिमाह मीटर की रीडिंग ले और उसी आधार पर बिजली के बिल की वसूली की जाए। बिजली की दरें निर्धारित होने के बावजूद भी अब तक यूपीसीएल की ओर से जो भी अतिरिक्त रुपया बिल के रूप में जनता से वसूला गया है, उसे ब्याज सहित जनता को वापस लौटाया जाए। कोरोना महामारी के दौर में सरकार उन सभी लोगों के बिलों को भी पूर्ण रूप से माफ करे, जिनका पूरी तरह से रोजगार छिन चुका है। इस प्रदेश प्रवक्ता उमा सिसोदिया और आप के वरिष्ठ कार्यकर्ता विपिन खन्ना भी मौजूद रहे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।