यहां बनाई जाती है सांपों से वाइन, गिनाई जाती हैं ये खूबियां, पढ़िए शराब पीने की लिमिट, फायदे और नुकसान
भारत में तो शराब फैशन के रूप में शामिल होती जा रही है। हालांकि, शराब के सेवन से नुकसान अधिक हैं। क्योंकि इसके सेवन में एक लिमिट को ज्यादातर लोग नहीं अपना पाते हैं। ऐसे में शराब नुकसान देने लगती है। कुछ शराब अपनी किसी खासियत के चलते काफी फेमस होती हैं। रम, व्हिस्की, वोदका और वाइन आदि शराब के ही प्रकार है। आज तक आपने तरह-तरह की शराब पी होगी या उनके बारे में सुना होगा। हम यहां एक अनोखी शराब के बारे में बता रहे हैं। क्योंकि शायद ही ज्यादा लोग ये जानते होंगे कि सांप से बनी शराब बनाई जाती है। इस शराब को बनाने के लिए चावल या अन्य अनाज से तैयार शराब में जिंदा या मुर्दा सांप को डालकर छोड़ दिया जाता है। इस शराब का इस्तेमाल चिकित्सा में भी किया जाता है। यहां हम सांप से बनाई जाने वाली शराब पर चर्चा के साथ ही शराब पीने की लिमिट, फायदे और नुकसान पर जिक्र करेंगे। हालांकि, लोकसाक्ष्य ऐसे किसी दावों की पुष्टि नहीं करता है। ऐसे में शराब की आदत ना डालें तो बेहतर होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन देशों में होती है तैयार
स्नेक वाइन को चीन में तैयार किया जाता है। इसे चीनी में पिनयिन और वियतनामी भाषा में खमेर कहा जाता है। इसे पहली बार पश्चिमी झोउ वंश के दौरान तैयार किया गया था। उसके बाद तो यह शराब चीन में काफी प्रचलित हो गई। इस शराब का इस्तेमाल चिकित्सीय तौर पर मुख्य रूप से किया जाता है। चीन के अलावा यह शराब पूरे दक्षिण पूर्व एशिया, उत्तर कोरिया, लाओस, थाईलैंड, वियतनाम, ओकिनावा (जापान) और कंबोडिया में भी बनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई रोगों के इलाज का दावा
बताया जाता है कि सांप से बनी इस शराब से कुष्ठ रोग, अत्यधिक पसीना, बालों का झड़ना, शुष्क त्वचा समेत कई और बीमारियों के इलाज किए जाते हैं। पारंपरिक चिकित्सा में इसे टॉनिक के रूप में देखा जाता है। चीन, जापान, कंबोडिया, कोरिया, लाओस, ताइवान, वियतनाम और थाईलैंड में यह शराब आमतौर पर आपको सड़कों के किनारे स्टॉलों पर देखने को मिल जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तैयार करने का तरीका
इसे एक जिंदा या फिर मरे हुए सांप को एक बोतल में रखकर उसमें चावल, गेहूं या फिर अन्य अनाज की शराब को डालकर किण्वन के लिए महीनों तक छोड़ दिया जाता है। साथ ही इसमें फॉर्मलडिहाइड भी मिलाया जाता है। वियतनाम में सांप को ‘गर्मी’ और मर्दानगी का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में सांप से बनी यह शराब वहां बहुत लोकप्रिय है। यह वहां एक शक्तिशाली कामोत्तेजक के रूप में भी इस्तेमाल होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कितनी सुरक्षित है ये वाइन
कुछ स्टडीज से यह भी पता चला है कि स्नेक वाइन में एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। अब एक सबसे जरूरी सवाल ये है कि क्या इसे पीना सुरक्षित है? तो इसका जवाब है ‘हां’। चावल की शराब में इथेनॉल का भी इस्तेमाल होता है। इससे सांप का जहर खत्म हो जाता है। वैसे इसे बनाने के लिए आमतौर पर ज्यादा जहरीले सांपों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हालांकि, इस वाइन पर चेतावनी भी दी जाने लगी है कि इसको पीना खतरनाक हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या हैं शराब पीने के फायदे
शराब पीना सही है या गलत, इस बात पर बहस बेमानी है। क्योंकि पीने वालों को तो बस पीने का बहाना चाहिए। वह इसके गुण गिनाने लगते हैं। कोई टेंशन को दूर करने का बहाना बनाता है तो कोई नींद की समस्या को दूर भगाने का। इसलिए जरूरी है कि पियो लेकिन रखो हिसाब। हालांकि एक के बाद एक शोध बताते हैं कि कम शराब पीने और अच्छी सेहत के बीच गहरा रिश्ता है। दरअसल, मेडिकल साइंस ने माना है कि सीमित शराब पीकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बच सकते हैं। इसके पक्ष में सबूत भी पेश किए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नियंत्रित सेवन से मिल सकते हैं ये फायदे
अल्कोहल का नियंत्रित सेवन सेहत के लिए खून में अच्छा एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। साथ ही यह फाइब्रिनोजन जैसे घटक कम करता है, जो नसों में खून जमने से हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बनते हैं। रिसर्चर यह भी दावा करते हैं कि सीमित शराब पीने वालों को टाइप-2 डायबिटीज और पित्त पथरी का जोखिम कम रहता है। संयमित और अनुशासित होकर ही शराब को फायदेमंद बनाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मात्रा बढ़ने से होगा नुकसान
जैसे ही शराब पीने की मात्रा बढ़ने लगती है तो फायदे की जगह नुकसान शुरू हो जाता है। इससे कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है। हालांकि फोलिक एसिड के सेवन से महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम कर सकती हैं। अगर आपको कम पीने वालों की कैटेगिरी में ही रहना है तो कभी भी डिप्रेशन या स्ट्रेस में शराब न पिएं, क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे वक्त में पीने की लिमिट पर कंट्रोल नहीं रख पाते। शराब में एंजॉयमेंट ढूंढना भी सही नहीं है। बेहतर यही है कि अपनी लिमिट तय कर लें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कम पीने की लिमिट
मर्दो के लिए एक दिन में दो ड्रिंक्स और औरतों के लिए एक की लिमिट बताई गई है। अलग-अलग गणनाओं के बाद माना गया है कि एक ड्रिंक या पेग में लगभग 14 ग्राम अल्कोहल होता है। लगभग 340 एमएल की बीयर की छोटी बोतल, जिसमें 5 फीसदी अल्कोहल है, उसे एक ड्रिंक मान सकते हैं। 12 फीसदी अल्कोहल वाले लगभग 140 एमएल वाइन के गिलास और 40 फीसदी अल्कोहल वाली लगभग 40 एमएल की हार्ड लिकर (रम, व्हिस्की) के गिलास को भी एक ड्रिंक मान सकते हैं। शराब की यही वह लिमिट है, जिसका संबंध सेहत के साथ बताया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्यादा पीने से मतलब
ज्यादा शराब पीने से होने वाले दुष्परिणामों की लंबी फेहरिस्त है। शराब का बहुत ज्यादा सेवन करने वालों को रोड एक्सिडेंट और लड़ाई-झगड़े जैसी मुसीबतों के अलावा अलग-अलग किस्म के कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर और सिरोसिस जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल अब्यूज एंड अल्कोहॉलिज्म (एनआईएएए) के मुताबिक एक दिन में चार ड्रिंक और एक हफ्ते में 14 ड्रिंक से ज्यादा लेने वाले मर्द और एक दिन में तीन और एक हफ्ते में 7 ड्रिंक से ज्यादा लेने वाली महिलाएं पियक्कड़ की श्रेणी में आती हैं। लिमिट इसलिए है, क्योंकि इससे ज्यादा पीने पर समस्याएं बढ़ जाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लिमिट में पीने से कंट्रोल होता है ब्लड शूगर
भोजन के बाद शराब ग्लाइसेमिक प्रतिक्रिया को कम करती है। बताया जाता है कि एक हैवी मील के बाद ग्लाइसेमिक स्पाइक्स को 37 प्रतिशत तक कम कर देता है। बता दें कि भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल मधुमेह, सूजन और हृदय रोग से जुड़ा है। एक शोध में 12 फीसदी अल्कोहल बनाम 6 प्रतिशत अल्कोहल के साथ रेड वाइन के प्रभावों की तुलना की गई थी, जिसमें हेल्थ के लिए अच्छे रिजल्ट लगभग समान ही पाए गए थे। हालांकि, रेड और वाइट वाइन की नॉन डेजर्ट वेरायटीज में लगभग समान मात्रा में कैलोरी और अल्कोहल होती है, लेकिन इनके एंटीऑक्सीडेंट एक्टीविटीज में कुछ अंतर होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेड वाइन के गुण
रेड वाइन फरमेंटिड प्रोसेज के जरिए अंगूर के गूदे से लेकर उसके बाहरी हिस्से यानी स्किन वाला पार्ट से बनकर तैयार होती है। इसमें पॉलीफेनोल्स की मात्रा अधिक होती है जो कि एक प्रकार का एसिड है और मुख्य रूप से एंटीऑक्सिडेंट से जुड़ा होता है। अंगूर के पौधे बैक्टीरिया और कवक से लड़ने के लिए और पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने के लिए रेस्वेराट्रोल, एक मजबूत एंटीऑक्सिडेंट का उत्पादन करते हैं। शोधकर्ता रेस्वेराट्रॉल के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन मनुष्यों के लिए इसके लाभों की जानकारी के लिए अभी अधिक शोध की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेड वाइन की मॉडरेट कंजप्शन के फायदे
लंबी उम्र
कुछ तरह के कैंसर का कम जोखिम
डिप्रेशन का शिकार होने से बच सकते हैं
जोड़ों के दर्द में कमी
दिल की बीमारियों का खतरा नहीं रहता
आयुर्वेद की दृष्टि से शराब के गुण
आयुर्वेद शराब को एक दवा के रूप में देखता है और सलाह देता है कि इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए। आमतौर पर शराब की मूत्रवर्धक प्रकृति के कारण शरीर पर गर्म, सुखाने वाला प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद शराब का सेवन करने वालों को कुछ बातों को फॉलो करने की सलाह देता है जिनके बारे में यहां जिक्र किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वात
डाइट में एयर क्वालिटी की एक्सेज जोड़ने के लिए नॉन-कार्बोनेटेड वाइन को चुनें और शैंपेन से बचें। इसके बजाय मीठी, फ्लैट वाइन को चुनना चाहिए। आपको प्लम यानी बेर से बनी शराब या स्वीड रेड वाइन का चयन करना चाहिए।
पित्त
पहले से ही गर्म और शुष्क स्वभाव वाले व्यक्ति को शराब का सेवन सावधानी से करना चाहिए। अगर वाइन का सेवन कर रहे हैं, तो 2-4 ऑउंस का लक्ष्य तय करें। ऐसे लोगों को कड़वी या कसैली वाइन (astringent wines) चुनें।
कफ
रेड वाइन, सुस्त कफ पाचन तंत्र (sluggish Kapha digestive system) के लिए एक यूजफुल वेवरेज है। रेड वाइन की गर्माहट पाचन की आग (digestive fire) को हल्का करने में मदद कर सकती है और साथ ही शरीर में अतिरिक्त नमी को भी सुखा सकती है।
नोट- अगर आप वाइन का सेवन करते हैं तो आपका आयुर्वेद को बहुत थोड़ी मात्रा में पीने की सलाह देता है। वाइन का स्टैंडर्ड आयुर्वेदिक गिलास 2–4 oz. (0.07 से 0.11 लीटर) सर्विंग की सलाह देता है जो कि USDA डायट्री गाइडलाइन की 5 oz. सर्विंग से काफी कम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शराब से शरीर के इन अंगों पर पड़ता है बुरा असर
बहुत ज्यादा शराब पीने से आपके पाचन स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। यह आपकी आंतों को खाद्य पदार्थों को पचाने, पोषक तत्वों और विटामिनों को प्रभावी ढंग से अवशोषित करने से रोक सकती है। इसके अलावा, बहुत अधिक शराब पीने से भी गैस, सूजन, दस्त और पेट भरा हो सकता है। शराब भी पेट की परत को परेशान कर सकती है, पुरानी सूजन से पेट में अल्सर हो सकता है, जिससे आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाई ब्लड प्रेशर
एल्कोहल दिल से संबंधित बीमारियों से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें उच्च रक्तचाप भी शामिल है। अत्यधिक शराब पीने से रक्त वाहिकाओं में मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं, और इसे काफी हद तक नुकसान पहुंचाती है।
लिवर डैमेज
शराब का सेवन करने के बाद यह पेट पर भी काफी बुरा असर पड़ता है। आपका लिवर सबसे बड़ा आंतरिक अंग है, जो एल्कोहल को तोड़ने के लिए एंजाइम जारी करता है। हालांकि, एक समय में बहुत अधिक शराब पीने से एल्कोहल को मेटाबोलाइज करना मुश्किल हो सकता है। ज्यादा शराब पीने से आपको फैटी लीवर की समस्या हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तंत्रिका संबंधी समस्याएं
विशेषज्ञों का मानना है कि शराब दिमाग में रसायनों को धीमा कर देती है, जो फोकस, मूड और रिफ्लेक्स सहित कई कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहलिज़्म बताते हैं, शराब दिमाग पर बुरा असर डालती है और मस्तिष्क के दिखने और काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। आपके पैरों और हाथों में सुन्नता और झुनझुनी समस्याएं जैसे याददाश्त की समस्या तक में शराब कारण बन सकती है।
शराब अग्न्याशय को करती है प्रभावित
शराब के ज्यादा सेवन से अग्न्याशय में सूजन हो सकती है, अग्न्याशय वह अंग है जो एंजाइम पैदा करता है जो पाचन और हार्मोन में मदद करता है जो आपके शरीर को चीनी (ग्लूकोज) की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है, मेयो क्लिनिक बताते हैं। अग्न्याशय में पुरानी सूजन भी अग्न्याशय के कैंसर के आपके जोखिम को बढ़ा सकती है। शराब पीने से लीवर पर काफी बुरा असर पड़ता है और लीवर अपना काम ठीक से नहीं कर पाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पैंक्रियटिक कैंसर का खतरा
पैंक्रियास को हम सभी इंसुलिन और अन्य रसायन बनाने के लिए जानते हैं। यह आपके आंतो की भोजन को तोड़ने में मदद करता है, लेकिन जब आप अत्यधिक शराब पीते हैं तो ये उस प्रक्रिया को रोक देता है। पैंक्रियास के अंदर जो जो रसायन रहते हैं वो शराब के विषाक्त पदार्थों के साथ मिलकर अंग में सूजन पैदा करते हैं, जिससे गंभीर क्षति होती है और आपको पैंक्रियटिक कैंसर होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इंसुलिन कम बनने की वजह से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
दिल के लिए नुकसानदायक
शनल एसोसिएशन ऑफ हार्ट के मुताबिक अल्कोहल हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है। ज्यादा शराब पीने से रक्त में वसा का स्तर बढ़ जाता है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हड्डियों की समस्या
ज्यादा शराब पीने से हड्डियां कमजोर हो सकती है। शराब की वजह से शरीर में सही मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी काम नहीं कर पाता है। लो बोन डेंसिटी की समस्या होती है ऐसे लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हो सकते हैं।
इनफर्टिलिटी की समस्या
ज्यादा शराब का सेवन करने से इनफर्टिलिटी की समस्या होती है. अगर सप्ताह में कोई 14 या इससे ज्यादा ड्रिंक लेता है तो संभव है कि उसका टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होगा और स्पर्म काउंट पर असर पड़ेगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।