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September 23, 2024

एक पद के सिद्धांत पर क्या टिकी रहेगी कांग्रेस, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का चयन चुनौती

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कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बनाने के बाद अब राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी उनके बने रहने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस को अपनी ही नीति में यू टर्न लेना पड़ेगा और निचले स्तर के नेताओं को भी फिर अपने ऐसे मामलों में बोलने का मौका मिल जाएगा। पार्टी खड़गे के विकल्‍प की तलाश में फिलहाल संघर्ष कर रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की नीति के तहत राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। अगर अब वह कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष दोनों पद पर बने रहते हैं, तो यह कांग्रेस की ‘एक पद, एक व्‍यक्ति’ सिद्धांत के उलट होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीते दिनों जब अशोक गहलोत राजस्थान के सीएम के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष पद लेने की उम्मीद लगाए बैठे थे, तब राहुल गांधी ने इसी नीति को बरकरार रखने पर जोर दिया था। सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी ने पार्टी के रणनीति समूह की बैठक बुलाई है। इसमें राज्‍यसभा से खड़गे, जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल को ही आमंत्रित किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस ने इसी वर्ष मई में अपने उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ का सिद्धांत लागू किया था। इसी सिद्धांत के चलते मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफा देना पड़ा। कांग्रेस के तीन नेताओं के नामों की चर्चा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर है। कहा जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह या प्रमोद तिवारी में से कोई राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की बात जब उठी थी, तब भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत को लेकर बयान दिया था. जिसके बाद, राजस्थान में नया सीएम बनाए जाने को लेकर प्रयास शुरू हो गए थे। हालांकि, इसके चलते पार्टी राज्य में राजनीतिक संघर्ष में उलझ गई और अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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