विधवा ने दिया बच्चे को जन्म, अस्पताल में छोड़ा, चिकित्सक ने गोद लिया तो हिंदूवादी संगठनों ने किया हंगामा
उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक 35 वर्षीय विधवा ने बच्चे को जन्म दिया। लोकलाज के भय से वह बच्चे को अस्पताल में भी छोड़कर चली गई। इस पर एक चिकित्सक ने बच्चे को गोद लिया तो हिंदूवादी संगठनों ने इसका विरोध किया।

उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक 35 वर्षीय विधवा ने बच्चे को जन्म दिया। लोकलाज के भय से वह बच्चे को अस्पताल में भी छोड़कर चली गई। इस पर एक चिकित्सक ने बच्चे को गोद लिया तो हिंदूवादी संगठनों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि कानूनी प्रक्रिया के बगैर गोद लेने का किसी को अधिकार नहीं है। फिलहाल अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दे दी है।
मामला लोहाघाट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां पेट दर्ज की शिकायत को लेकर एक विधवा अस्पताल पहुंची थी। इस बीच उसे प्रसव पीड़ा उठी और उसने बच्चे को जन्म दिया। बताया गया कि महिला के पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी। नवजात को अस्पताल के ही एक डॉक्टर की ओर से बिना प्रक्रिया अपनाए गोद लेने की भनक लगते ही हिंदू संगठनों से जुड़े लोग अस्पताल पहुंच गए। न्होंने इसका विरोध किया। बाद में उन्होंने एसडीएम आरसी गौतम को ज्ञापन सौंप मामले की पूरी जांच करने की मांग की।
प्रभारी सीएमएस ने डा. जुनैद कमर ने बताया महिला अस्पताल में बच्चे का छोड़ गई। उसकी सूचना एसडीएम, सीएमओ और थाने को दी गई। उन्होंने बताया कि नवजात पूरी तरह स्वस्थ्य है और उसे अस्पताल में ही रखा गया है। महिला के पांच बच्चे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सतीश पांडेय ने बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत एसडीएम से की है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक विवेक पुजारी, छात्र संघ अध्यक्ष राहुल ढेक, नीरज सक्टा, राहुल जोशी, अमित जुकरिया, चंद्र किशोर बोहरा, दीपक देव आदि मौजूद रहे। राज्य आंदोलकारी राजू गड़कोटी ने भी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही नवजात को गोद देने की मांग की है। लोहाघाट के एसडीएम आरसी गौतम ने बताया एक महिला की ओर से बिना उचित प्रक्रिया अपनाए बच्चे को गोद लेने की शिकायत हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने की है। मामले का संज्ञान लिया गया है। जांच के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।





