पेपर लीक मामले में सीबीआइ जांच से क्यों बच रही सरकार, युवाओं को क्यों नहीं कर रही रिहाः सुजाता पॉल
एनआइसी प्रवक्ता एवं उत्तराखंड प्रोफेशनल्स कांग्रेस की उपाध्यक्ष सुजाता पॉल ने उत्तराखंड में बेरोजगारों पर लाठी चार्ज और उनकी गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के बेरोजगार अपनी जायज मांगों को लेकर सड़क पर आए। क्योंकि भाजपा सरकार ने वादा खिलाफी के साथ ही उत्तराखंडियों के रोज़गार को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बयान में एआईसीसी मीडिया कोऑर्डिनेटर नागालैंड सुजाता पॉल ने कहा कि भाजपा सरकार, शासन, व्यवस्था नहीं दे पाए और जब स्थिति नहीं संभाल पाई तो कभी अध्यादेश, कभी मुक़दमे और कभी मुकदमों की धाराएं हटाने लगी। जब बेरोज़गारों को प्रदर्शन करने की अनुमति दी तो व्यवस्था बनाने की ज़िम्मेदारी शासन प्रशासन की थी। अपने कार्य में विफल होने पर पीछे हटना चाहिए, ना कि कभी युवाओं को बाहरी कभी विपक्ष पर दोष देने के पुराने हथकंडों का प्रयोग करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि बार-बार युवाओं को गुमराह करने वाली सरकार अपनी हरकतों से बाज आए। बच्चों को शहीद स्थल पर नहीं बैठने देने का मतलब है कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है। युवाओं को डराने धमकाने का काम पुलिस प्रशासन बंद करे। महिलाओं के बलिदानों से बने, आंदोलनकारियों के दम से मिले उत्तराखंड में यदि सत्याग्रह करते युवाओं के आंदोलन को यदि सरकार कमजोर करने की कोशिश करेगी तो मुँह की खाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता ने कहा कि जहाँ भाजपा युवा बेरोज़गारों के आंदोलन को तोड़ने की जुगत कर रही है। वहीं उन्हें वर्ष 2002-03 में हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में घोटाले की शिकायत को याद कर सीख लेनी चाहिए। जब सीबीआई जांच में डीजीपी पीडी रतूड़ी और एडीजीपी राकेश मित्तल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। यही फर्क कांग्रेस और भाजपा में है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड राज्य के नौजवान हैं आतंकवादी नहीं। अगर किसी को जाना चाहिए तो वह पुलिस के मुखिया डीजीपी अशोक कुमार हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। पेपर लीक मामले में सीबीआई की जांच से क्यों बच रही है सरकार? बॉबी पवार और बाकी गिरफ्तार युवाओं को क्यों नहीं रिहा करती सरकार?

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।