डब्ल्यूएचओ और एम्स की स्टडीः कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर कम पड़ेगा असर
1 min read
कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के मद्देनजर बच्चों के लिए राहत भरी खबर आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और एम्स के सर्वे में पता चला है कि भारत में कोरोना वायरस की तीसरी संभावित लहर में वयस्कों की तुलना में बच्चों पर कोरोना का ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा।
स्टडी के लिए 15 मार्च 2021 से 10 जून 2021 के डेटा कलेक्ट किए गए हैं. कुल मौजूद डेटा में से 4509 लोगों ने सर्वे में भाग लिया। इनमें 18 वर्ष से कम उम्र के 700 लोग थे। 18 साल से अधिक के 3809 थे। 18 से कम उम्र के लोगों में सेरो पॉजिटिविटी 55.7 फीसदी थी, वहीं 18 से ज्यादा उम्र वालों में 63.5 फीसद थी।
अध्ययन दिल्ली, फरीदाबाद, भुवनेश्वर, गोरखपुर और अगरतल्ला में हुआ है। स्टडी के फाइनल नतीजे दो से तीन महीने में आएंगे। भारत में महामारी की पहली लहर के दौरान, सबसे बुरी तरह दिल्ली सहित बड़े शहरी क्षेत्र प्रभावित थे। इस साल मार्च के दूसरे पखवाड़े के दौरान डेटा एकत्र किया गया. यह वो समय था जब पहली लहर कम हो रही थी और दूसरी लहर नहीं आई थी।
परिणाम बताते हैं कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा पहले ही इससे संक्रमित हो चुका था। बच्चों और वयस्कों के बीच सीरो-पॉजिटिविटी दर में अंतर बताता है कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ रही है ये सभी आयु वर्ग को समान रूप से प्रभावित कर रही है। महामारी के दौरान स्कूल बंद थे और वयस्कों की तुलना में बच्चे घरों में ज्यादा रहे, लेकिन बच्चों के लिए संक्रमण का स्रोत ये रहा जब घर के बड़ी उम्र के लोग काम काज के लिए घर से बाहर निकले और अपने साथ इंफेक्शन लेकर घर आए। कुल मिलाकर, परिणाम बताते हैं कि बच्चे और वयस्क समान रूप से कोविड-19 संक्रमण के लिए संवेदनशील हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।