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October 12, 2024

पहले अंडा आया या मुर्गी, वैज्ञानिकों ने सुलझाई ये पहेली, आप भी जानिए सही जवाब

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अक्सर कई बार लोगों के मन में सवाल उठता है कि पहले अंडा आया का फिर मुर्गी। इस सवाल के जवाब में अलग अलग दावे किए जाते हैं। फिलहाल वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब तलाश लिया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पहले इस दुनिया में मुर्गी आई या फिर अंडा। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस अजीबोगरीब सवाल का जवाब ढूंढ निकाला है। साथ ही बताया है कि आखिरकार ये पता चल गया है कि धरती पर अंडे से पहले मुर्गी आई थी। इसके पीछे जो थ्योरी बताई गई है, वो काफी अलग है। शायद कुछ लोग इससे संतुष्ट न भी हों, लेकिन जो वैज्ञानिक तथ्य इसके जवाब के सपोर्ट में आते हैं, उनमें दम हों। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले इंसान की तरह दिया करते थे जन्म
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक मुर्गे-मुर्गियां पहले से ऐसे नहीं थे। वे पहले इंसानों की तरह ही बच्चों को जन्म दिया करते थे। द टाइम्स के अनुसार, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि आधुनिक पक्षियों और सरीसृपों के शुरुआती पूर्वजों ने अंडे देने के बजाय जीवित युवाओं को जन्म दिया होगा। मतलब धरती पर पहले अंडा नहीं, बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए। खोज का विवरण देने वाला एक अध्ययन जर्नल नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है, लेकिन, फिर भी लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बाद में मुर्गियों में अंडा देने की क्षमता हुई विकसित
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हजारों साल पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं होते थे जैसे आज है। वे अंडे नहीं, बल्कि पूर्ण विकसित बच्चों को जन्म देते थे। इसके बाद इनमें लगातार बदलाव आता गया। पूर्ण विकसित बच्चा देने वाले मुर्गे-मुर्गियों में अंडा देने की क्षमता भी विकसित हो गई। इसे से साबित हो जाता है कि पहले अंडा नहीं, बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि अंडे देने वाले जानवरों की प्रजातियों का विकास बच्चे देने वाली प्रजातियों से हुआ। ये प्रजातियां दोनों की क्षमता रखती थीं. वे अंडे भी दे सकते थे, लेकिन ऐसा बाद में हुआ यानि मुर्गे-मुर्गियां पहले ही मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जन्म देने की क्षमता अलग अलग
रिसर्चर्स ने दावा किया है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होना एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन की वजह से होता है। चिड़िया, मगरमच्छ और कछुए ऐसे अंडे देते हैं, जिनमें भ्रूण ज़रा भी नहीं बना होता है। ये बाद में तैयार होता है। वहीं, कुछ जीव ऐसे होते हैं जो अंदर से ही भ्रूण के विकास के साथ अंडे देते हैं। सांप और छिपकली अंडे तो देते ही हैं, लेकिन वे बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं। क्योंकि उन्हें हैचिंग की जरूरत नहीं होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जीवाश्म और जीवित प्रजातियों का किया अध्ययन
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेज के नेतृत्व में किए गए शोध में 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों का अध्ययन किया गया। इन्हें ओविपेरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो कठोर या नरम-खोल वाले अंडे देते हैं। या विविपेरस हैं, जो आउटलेट के अनुसार जीवित युवाओं को जन्म देते हैं। अध्ययन से पता चला है कि स्तनधारियों सहित एमनियोटा की सभी शाखाएं विस्तारित अवधि के लिए अपने शरीर के भीतर भ्रूण को बनाए रखने के संकेत दिखाती हैं। कठोर खोल वाले अंडे को अक्सर विकास में सबसे महान नवाचारों में से एक के रूप में देखा गया है। इस शोध का अर्थ है कि यह विस्तारित भ्रूण प्रतिधारण था जिसने जानवरों के इस समूह को परम सुरक्षा प्रदान की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अंडे देने की प्रक्रिया का विकास
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन ने बताया कि शुरुआती मछलियों, जिन्हें टेट्रापोड्स कहा जाता है, में विकसित अंग होते थे। उन्हें प्रजनन और भोजन के लिए पानी में रहना पड़ता था। जैसा कि मेंढक या सैलामेंडर जैसे आधुनिक उभयचरों में होता है। ये सभी पहलू मिलकर यह बताते हैं कि मुर्गी और मुर्गा कैसे विकसित हुए और क्यों अंडे देने की प्रक्रिया का विकास हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जैविक परिवर्तन का महत्व
इस शोध में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि प्राचीन मुर्गा और मुर्गी की प्रजातियाँ समय के साथ बदलती रहीं। उनका संतानोत्पत्ति का तरीका और अंडे देने की प्रक्रिया में सुधार होता गया। शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया कि अंडा पहले नहीं आया, बल्कि मुर्गा और मुर्गी पहले अस्तित्व में आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले आए मुर्गी और मुर्गा
यह अध्ययन न केवल जीवों के विकास के अध्ययन में एक नई दिशा प्रदान करता है, बल्कि यह हमारे लिए यह समझने का एक अवसर भी है कि जीवन कैसे विकसित होता है। यह शोध हमें यह सिखाता है कि जैविक विकास में समय और परिस्थितियों का कितना बड़ा योगदान होता है। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, हम अब यह कह सकते हैं कि पहले मुर्गी और मुर्गा आए, और उसके बाद अंडे देने की प्रक्रिया का विकास हुआ। इस प्रश्न का उत्तर केवल एक मजेदार पहेली नहीं है, बल्कि यह जैविक विज्ञान के एक महत्वपूर्ण पहलू को भी उजागर करता है। इस खोज ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ा है, बल्कि यह दर्शाता है कि जीवों का विकास एक जटिल और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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