खूबसूरती का जादू नहीं चला पाई तो शूर्पणखा ने लिया डरावना रूप, लक्ष्मण ने काटी नाक, सीता को उठा ले गया रावण
देहरादून में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर की ओर से 75वें हीरक जयंती श्रीराम लीला महोत्सव-2024 के सातवें दिन गुरुवार 10 अक्टूबर को शूर्पणखा लीला, खर दूषण वध, रावण मारीच संवाद, सीताहरण और जटायु उद्धार लीला का मंचन किया गया। राम, लक्ष्मण सीता के साथ वनवास के लक्ष्य की पूर्ति के लिए पंचवटी के लिये प्रस्थान कर गये। जहां राम (उपदेश भारती) सीता (संगीत) और लक्ष्मण (गणेश भारती) कुटिया बनाकर रहने लगे। यह स्थान रावण की बहिन शूर्पणखा (रघुबीर) का स्थान था। जहां स्वच्छंद रुप से शूर्पणखा भ्रमण करती रहती थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राम और लक्ष्मण को देख मोहित हुई शूर्पणखा
एक बार शूर्पणखा वनविहार करती हुई राम की पंचवटी के पास जा पहुंची। जहां मनमोहक और अति सुन्दर छवि वाले कुमार राम और लक्ष्मण को देखते ही शूर्पणखा का मन विचलित हो गया। शूर्पणखा राम से प्रेम विवाह का निवेदन करने के साथ साथ अनेक प्रलोभन देने लगी। राम के मना करने पर शूर्पणखा लक्ष्मण से भी प्रेम विनय करने लगी- मेरा रुप देखकर चंद्रमा शरमा गया और छुप गया। अत्यधिक हठ करने पर भी शूर्पणखा के मन की ना हुई तो उसने डरावनी राक्षसी का रूप धर लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शूर्पणखा को लक्ष्मण ने समझाया। वह नहीं मानी। उसे रूप को देखकर सीता भी डर गई। लक्ष्मण ने तब कहा कि-काहे को इतनी उछलती फिरे। देख लिया तेरा रूप अनोखा…। फिर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक को काट डाला।
खर दूषण का वध
कटी हुई नाक की पीढ़ा से तड़पती हुई शूर्पणखा अपने भाई खर (विनोद) और दूषण (बाबूलाल) के पास जाकर करुण पुकार करने लगी। अपनी कटी नाक का बदला लेने के लिए खर और दूषण को संकल्प करवाने लगी। भाई खर और दूषण राक्षस सेना को साथ लेकर शूर्पणखा की कटी नाक का बदला लेने के लिए तथा राम और लक्ष्मण का वध करने पंचवटी पहुंचे। जहां राम का राक्षस सेना सहित खर दूषण के साथ घनघोर युद्ध हुआ। परिणाम स्वरूप राक्षस सेना के साथ खर और दूषण का भी राम ने वध कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिर लंकापति रावण से लगाई गुहार
खर दूषण के वध का समाचार लेकर शूर्पणखा अपने बड़े भाई लंका के राजा रावण (सोहन चंद्र) के पास पहुंची । रावण ने उसकी हालत को देखकर पूछा- ऐ बहिना किससे नाक कटाया ………। शूर्पणखा ने व्यथा सुनाई और बताया कि खर और दूषण का राम ने बध कर दिया है। गम्भीरता से शूर्पणखा की व्यथा को सुनने पर रावण ने स्वत: ही विचार किया कि क्या विष्णु का अवतार हो गया। अन्यथा रावण का विरोध करने का सामर्थ्य किसी में नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मारीच को योजना में किया शामिल
रावण ने बहुत सोच विचार कर विष्णु के अवतार का परीक्षण करने का निर्णय लिया। परिणाम स्वरूप छल बल से किसी भी प्रकार राम की पत्नी का हरण करने की योजना बनाई। रावण ने इस योजना में मामा मारीच (शमशेर) को शामिल किया। मारीच ने स्वर्ण मृग का वेश धारण कर सीता को आकर्षित कर स्वर्ग मृग की मृगछाला लाने को राम को विवश किया। राम मृग का शिकार करने को दौड़ पड़ते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मारीज की आवाज से सीता हुई परेशान
जब राम स्वर्ण मृग के पीछे पीछे गये, तो इसी स्वर्ण मृग ने अपनी आवाज बदलकर राम की आवाज में भैया लक्ष्मण मुझे बचाओ, भैया लक्ष्मण मुझे बचाओ कि आवाज लगाई। इसे सुनकर सीता को लगा कि उसके पति संकट में है। सीता राम की सहायता के लिए लक्ष्मण को राम की आवाज वाले मार्ग पर भेजने के लिए विवश करने लगी। जब लक्ष्मण ने राम का वास्ता दिया तो सीता लक्ष्मण पर आरोप लगाकर लक्ष्मण को विवश कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीता की जिद्द पर लक्ष्मण गए राम को तलाशने
जब सीता लक्ष्मण के चरित्र पर ही सवाल उठाने लगी तो लक्ष्मण राम को तलाशने के लिए निकलते हैं। जाते समय वह कुटिया के चारों तरफ रेखा खींचते हैं। साथ ही सीता को उस रेखा को पार ना करने के लिए कहते हैं। लक्ष्मण के जाते ही रावण साधु का वेश धरकर भिक्षा मांगने पहुंच जाता है। रावण सीता से रेखा से बाहर निकलने को कहता है। अन्यथा वह भिक्षा लेने से मना कर देता है। सीता जैसे ही रेखा से बाहर निकलती है रावण सीता का हरण कर लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जटायु ने किया मदद का प्रयास
जब रावण सीता का हरण कर ले जा रहा था तो उस समय वह विलाप कर रही थी। इसे देखकर गिद्धराज पक्षी जटायु सीता को रावण के चंगुल से बचाने का प्रयास करता है। एक बार वह सफल हो जाता है। महापराक्रमी रावण से मुकाबला वह ज्यादा देर कर नहीं कर पाता। रावण ने जटायु के पंख काटकर उसे अधमरा कर पवन वेग आकाश मार्ग से सीता को विमान में बैठाकर लंका ले गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीता के कुटिया में नहीं मिलने पर राम करने लगे विलाप
जब राम और लक्ष्मण आपस में मिलते हैं, तो राम उन्हें सीता को अकेले छोड़ने का कारण पूछते हैं। वह कहते हैं- सुनो जी लखन तुम क्यों आए यहां, अकेली सीए को क्यों छोड़ा वहां। इस पर लक्ष्मण बताते हैं कि सीता माता ने ही जोर देकर उन्हें भेजा। कुटिया में सीता नहीं मिलती है तो अनहोनी की आशंका में राम विलाप करने लगते हैं। इधर सीता को ढूंढते हुए राम और लक्ष्मण को घायल जटायु मिलता है। जटायु ही बताता है कि सीता को लंका का राजा रावण हरण करके ले गया है। इस समाचार को सुनकर राम ने रावण वध का संकल्प लिया। साथ ही ब्रह्मलीन हुए जटायु का अंतिम संस्कार श्री राम ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अतिथियों का किया गया स्वागत
रामलीला मंचन के सातवें दिन हर साल की तरह इस बार भी सीता हरण की लीला देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ रही। अतिथियों में अस्थि रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. बीकेएस संजय, कैलाश अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन शर्मा, अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा, वैगा ज्वैलर्स के स्वामी हरीश मित्तल, प्रेरणा मित्तल, समाजसेवी डॉ. विश्वरमन विशाल शर्मा, समीर पुंडीर, मोहन शर्मा, विधायक सहदेव सिंह पुंडीर के प्रतिनिधि मेधसिह मधवाल, अभिलाष गुप्ता, स. मंगल सिंह, आयुष जैन, संदीप बंसल, अर्जुन सिंह नेगी का स्वागत सम्मान आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर पदाधिकारियों ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंचन में इनका रहा सहयोग
लामलीला मंचन में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर के वरिष्ठ संरक्षक विजय जैन, जयभगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल, उप प्रधान संजीव गर्ग, राजकुमार गोयल, संजीव गर्ग, भारत भूषण गर्ग, आडिटर ब्रह्म प्रकाश वेदवाल, निर्देशक शिवदत्त अग्रवाल, चरण सिंह, स्टोर कीपर वेद प्रकाश साहू, स्टेज मैनेजर सुभाष कन्नौजिया, अनुनय गोयल अन्य पदाधिकारियों में मोहित अग्रवाल, अमित रावत, अमन अग्रवाल, विभू वेदवाल, विनय शर्मा, अमन कन्नौजिया, करण कन्नौजिया आदि अनेक पदाधिकारियों का सहयोग रहा।
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