जब लोग गहरी नींद में थे, तब कांपने लगी चमोली जिले की धरती, पहले भी आ चुका है यहां बड़ा भूकंप

उत्तराखंड के चमोली जिले में जब रात को लोग गहरी नींद में थे, तब भूकंप का झटका लोगों ने महसूस किया। कई स्थानों पर नींद खुलते ही लोग घरों से बाहर दौड़ पड़े। ये भूकंप शनिवार 19 जुलाई की रात 12 बजकर दो मिनट 44 सेकंड पर आया। नेशनल सेंटर फार सिसमोलोजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.3 थी। इसका केंद्र चमोली था। इसकी जमीन के भीतर करीब 10 किलोमीटर थी। इसका 30.51 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 79.33 डिग्री पूर्वी देशांतर था। हालांकि, कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।