आसमान से बरसा पानी, बिजली की टरबाइन बंद, नल सूखे, दून के बड़े इलाके में जलापूर्ति ठप

बिजली कटौती भी बन रही समस्या
जल विद्युत निगम की टरबाइन चलने पर आधारित पेयजल व्यवस्था बार बार ध्वस्त होती रहती है। गर्मियों में तो ऐसा बार बार देखा जाता है, लेकिन सर्दियों में भी अब देखने को मिल रहा है। इसके अलावा दून में नलकूपों के जरिये की जा रही जलापूर्ति भी बार बार बिजली की कटौती के चलते गड़बड़ाने लगी है। सर्दियों में इन दिनों ऊर्जा निगम बार बार बिजली गुल कर रहा है। ऐसे में नलकूप से पानी खींचने के लिए पंप पर्याप्त समय तक नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में पानी के टैंक भी नहीं भर रहे हैं। टैंक नहीं भरने से कई बार जल संस्थान पंप से सीधे जलापूर्ति कर देता है। इसमें लो प्रेशर की समस्या रहती है। ढलान वाले इलाकों में तो पानी मिल जाता है, लेकिन ऊंचाई वाले इलाकों में पेयजल संकट बना रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सर्दियों में कम हो जाती है पानी की डिमांड
सर्दियों में पानी की डिमांड कम हो जाती है। ऐसे में जलापूर्ति भी नियमित रहती है। पिछले दो दिनों से देहरादून के कई इलाकों में हल्की बूंदाबांदी भी हुई। ऐसे में लोग को कीचन गार्डन में भी पानी से सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ रही है। ऐसे में उपलब्धता का भी फिलहाल कोई संकट नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं जलापूर्ति के स्रोत
दून में वर्तमान में 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत हैं, लेकिन ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही की जाती है। आमतौर पर दून में पेयजल की मांग 162.17 एमएलडी है, जबकि उपलब्धता 162 एमएलडी है। इस हिसाब से दूनवासियों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है। वहीं, अब बार बार बिजली संकट के चलते पानी की उपलब्धता कम होती जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्लोगी पावर हाउस स्रोत से आपूर्ति टरबाइन पर निर्भर
देहरादून शहर के उत्तरी भाग के एक बड़े हिस्से में ग्लोगी पावर हाउस से जलापूर्ति की जाती है। ये ग्रेविटी वाला स्रोत है। यानी कि यहां से पेयजल लेने के लिए बिजली के पंप की जरूरत नहीं पड़ती है। पानी अपने आप ही ढलान वाले क्षेत्र में पाइप लाइनों में बहता है और एक बड़े क्षेत्र में जलापूर्ति होती है। ग्लोगी पावर हाउस में जल विद्युत निगम की चार टरबाइनें हैं। इसे चलाने के लिए जो पानी नदी के स्रोत से लिया जाता है, वही आगे चलकर जल संस्थान की पाइप लाइनों में डाल दिया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन टरबाइन में मात्र दो ही नियमित चलती हैं। ऊर्जा निगम यदि किसी खराबी के चलते इन टरबाइन से बिजली पैदा करना बंद हो जाता है तो निगम स्रोत से पानी लेना भी बंद कर देता है। ऐसे में जल संस्थान को भी जलापूर्ति के लिए पानी नहीं मिलता है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की दोपहर बाद से टरबाइन बंद कर दी गई हैं। इससे आगे की जलापूर्ति ठप हो गई है। शुक्रवार की शाम और शनिवार की सुबह भी इस स्रोत से जलापूर्ति नहीं होने से एक बड़े क्षेत्र में पानी की आपूर्ति ठप हो गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये किए गए उपाय
जल विद्युत निगम से पानी की निर्भरता को समाप्त करने के लिए जल संस्थान ने करीब डेढ़ साल पहले एक योजना बनाई थी। बताया जा रहा है कि करीब 45 लाख रुपये की ये योजना है। इसके तहत एक वाटर टैंक स्रोत पर बनाया गया है। टरबाइन बंद होने की स्थिति में टैंक से जलापूर्ति शुरू कर दी गई। क्योंकि टरबाइन बंद होने पर जल संस्थान सीधे स्रोत से ही पेयजल आपूर्ति करता है। अब टरबाइन बंद करने के साथ ही स्रोत से पहले ही निगम ने नदी की सफाई कर रहा है। ऐसे में नदी के पानी में गाद के रूप में बजरी और रेत भी बह रही है। इसका पेयजल लाइनों में जाने का खतरा है। ऐसे में जलापूर्ति रोक दी गई है। बताया जा रहा है कि शनिवार की शाम तक व्यवस्थाएं ठीक कर ली जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन इलाकों में पेयजल संकट
दो दिन से टरबाइन बंद होने से कई इलाकों में जलापूर्ति बाधित पड़ी है। देहरादून में पुरकुल गांव, भगवंतपुर, गुनियाल गांव, चंद्रोटी, जौहड़ी गांव, मालसी, सिनौला, कुठालवाली, अनारवाला, गुच्चूपानी, नया गांव, विजयपुर हाथी बड़कला, किशनपुर, जाखन, कैनाल रोड, बारीघाट, साकेत कालोनी, आर्यनगर, सौंदावाला, चिड़ौवाली, कंडोली सहित कई इलाकों में शनिवार की शाम से पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।