Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

June 23, 2025

आने वाले दिनों में बढ़ जाएगी जल की मांग, ऐसे में जल संरक्षण पर देना होगा ध्यान, पुनर्जीवित करने होंगे स्रोत

यूसर्क की ओर से आयोजित कार्यशाला में घटते जल स्तर पर चिंता व्यक्त की गई। साथ ही बताया गया कि जल संरक्षण की दिशा में समुचित कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि आने वाले दिनों में जल की मांग 50 फीसदी तक बढ़ जाएगी। ऐसे में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना होगा।

यूसर्क की ओर से आयोजित कार्यशाला में घटते जल स्तर पर चिंता व्यक्त की गई। साथ ही बताया गया कि जल संरक्षण की दिशा में समुचित कदम उठाने की जरूरत है। क्योंकि आने वाले दिनों में जल की मांग 50 फीसदी तक बढ़ जाएगी। ऐसे में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना होगा।
बेस्ट प्रैक्टिसेज इन वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट- ग्राउंड वाट विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) देहरादून की ओर से किया गया। इस मौके पर जल शिक्षा व्याख्यानमाला श्रृंखला (वाटर एजुकेशन लेक्चर सीरीज) के अंतर्गत जल स्रोत प्रबंधन के सफल प्रयास विषय पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में बताया कि जल के महत्व को देखते हुये यूसर्क द्वारा जल संरक्षण, जल प्रबंधन, जल गुणवत्ता विषयक कार्यक्रमों को मासिक श्रंखला के आधार पर आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि जल तत्व एक महत्वपूर्ण तत्व है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन सम्भव नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2050 तक जल की मांग 50 प्रतिशत बढ़ जायेगी। अतः भविष्य की जल आवश्यकता के अनुरूप सभी को कम्युनिटी पार्टीशिपेशन के माध्यम से विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े जल स्रोतों का संवर्धन व संरक्षण करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूसर्क के वैज्ञानिक तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि पर्वतीय भाग जल स्रोतों के पुनर्जीवन, संरक्षण, स्वच्छता तथा संवर्द्धन के लिए सामाजिक सहभागिता के साथ कार्य करना होगा। साथ ही जल संरक्षण की स्थानीय परम्परागत विधियों को अपनाना होगा। जल संरक्षण तथा वर्षा जल संचयन का कार्य अपने-अपने घर एवं गांवों से ही प्रारंभ करना होगा। तभी समाज में सभी की सहभागिता से बढ़ती हुई जल की मांग को पूरा किया जा सकेगा।
तकनीकी सत्र का प्रथम व्याख्यान रिलाइंस फाउंडेशन उत्तराखण्ड के परियोजना निदेशक कमलेश गुरूरानी ने ‘सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पर्वतीय भाग में जल संरक्षण’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि रिलाइंस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखण्ड के उत्तकाशी एवं रूद्रप्रयाग जनपदों में सामूहिक भागीदारी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के रिचार्ज संरचनायें बनायी गई। इससे वर्षाजल को एकत्रित करके भूजल में रिचार्ज के माध्यम से वृद्धि की गयी। संस्थागत विकास के माध्यम से जल प्रबंधन एवं जल संरक्षण संबंधी कार्यों को किया गया। इसकी नियमित मॉनीटरिंग करते हुये ग्राउंड वाटर में वृद्धि का सफल प्रयोग किया गया है। इसको अन्य पर्वतीय भूभाग में भी अपनाया जा रहा है।
तकनीकी सत्र में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की (जलशक्ति मंत्रालय, भारत सरकार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा पर्यावरणीय जल विज्ञान डिवीजन के हैड डा. राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय ने ‘बैस्ट प्रेक्टिसेज इन वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट इन इंडिया: ग्राउंड वाटर’ विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रकृति में जलचक्र, जल संसाधनों के सतत प्रबंधन में चुनौतियां, वर्षा की कमी तथा उसका असमान वितरण, कृत्रिम भूजल रिचार्ज, एक्वीफर्स की ओर से भूजल रिचार्ज, भूजल स्रोतों के भूविज्ञान आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक बताया। डॉ. पाण्डेय ने देश के विभिन्न भूभागों में वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न रिचार्ज संरचनाओं को क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार बनाये जाने की जरूरत बतायी।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में उपस्थित प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान उपस्थित विशेषज्ञों की ओर से किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने किया। कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ. मंजू सुंदरियाल, डॉ राजेंद्र सिंह राणा, डा0 राजेश सिंह, इं0 ओमकार सिंह, डा0 सोमवीर सिंह, श्री संजय गुप्ता, आईसीटी टीम के उमेश चन्द्र, ओम् जोशी, राजदीप जंग, शिवानी पोखरियाल सहित डॉ दीपक खोलिया, डॉ अवनीश चैहान, डा. विपिन सती, राधिका सूद सहित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों, शिक्षकों, स्मार्ट ईको क्लब प्रभारियों ने सहित कुल 122 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Kako preprečiti izginotje križnic na redkvicah: korak za korakom vodnik Katera olja Kako se izogniti odrgnjenemu Skrivnost brezhibnih kumaric: kako se izogniti grenkobi in deformaciji