देखें वीडियोः सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू मचाएगा सियासी तूफान, बोले-भ्रष्टाचार से पीएम मोदी को नफरत नहीं, पुलवामा हमला केंद्र की गलती
बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक एक बार फिर से अपने इंटरव्यू के जरिये चर्चा में आ गए हैं। माना जा रहा है कि उनका इंटरव्यू सियासी तूफान मचाने के लिए काफी है। केंद्र सरकार पर अक्सर हमलावर रहने वाले मलिक ने अब रिटायरमेंट के बाद सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है। उन्होंने एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट द वायर को दिए इंटरव्यू में ऐसे-ऐसे दावे किए हैं, जिससे बड़ा राजनीतिक बवंडर खड़ा हो सकता है। मलिक का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार से कोई खास नफरत नहीं है। इतना ही नहीं, मलिक का दावा है कि पीएम मोदी को कश्मीर के बारे में कुछ भी नहीं पता है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री कश्मीर को लेकर गफलत में हैं और उन्हें कश्मीर के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। वहीं, उन्होंने पुलवामा हमले को केंद्र सरकार की विफलता करार दिया। साथ ही इस मामले में खुद की भी गलती मानी, क्योंकि तब वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएमओ का नाम लेकर पीएम के निकटवर्ती लोग करते हैं करप्शन
मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे केंद्रशासित प्रदेश बना देना गलत है। उसे तुरंत राज्य का दर्जा लौटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मस्त हैं, बाकी भाड़ में जाए। उन्होंने दावा किया कि अगस्त 2020 में उन्हें गोवा से हटाकर मेघालय भेजा ही इसीलिए गया था, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी को भ्रष्टाचार के कई मामलों को प्रदेश सरकार की तरफ से नजरअंदाज किए जाने की बातें बताई थीं। मलिक का दावा है कि पीएम के ईर्द-गिर्द के लोग ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और वो अक्सर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम लेकर करप्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सेफली (बिल्कुल बचते हुए) कह रहा हूं कि प्राइम मिनिस्टर को करप्शन से बहुत नफरत नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुलवामा हमले को लेकर खोले राज
मलिक ने यह सनसनीखेज दावा भी किया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में जो आतंकी हमला हुआ था, उसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय की बहुत बड़ी गलती थी। सत्यपाल मलिक इस हमले के दौरान जम्मू-कश्मीर के ही राज्यपाल थे। इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पूर्व राज्यपाल का आरोप है कि पुलवामा हमला खासकर सीआरपीएफ और गृह मंत्रालय की अक्षमता और लापरवाही का नतीजा था। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ का इतना बड़ा काफिला सड़क से भेज दिया गया। उसके बाद सीआरपीएफ ने जिस सड़क से जवानों को भेजा, पहले वहां की अच्छे से पड़ताल नहीं की। क्योंकि उक्त सड़क पर दस लिंक रोड मिलती थी। इसकी सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया। इस लापरवाही के लिए वह खुद की भी जम्मेदारी लेते हैं, साथ ही केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय भी सबसे बड़े जिम्मेदार हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नहीं दिए गए एयरक्राफ्ट
उन्होंने कहा कि इस संबंध में सीआरपीएफ ने गृह मंत्रालय से पांच एयरक्राफ्ट की मांग की थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने इस मांग को नजर अंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि ये बड़ी बात नहीं थी। यदि सीआरपीएफ उनसे ही ये मांग करते तो पांच सात एयरक्राफ्ट की वह खुद व्यवस्था करा देते। नतीजन सड़क से काफिला गुजरने पर ये हमला हुआ। ध्यान रहे कि पुलवामा हमले के वक्त राजनाथ सिंह केंद्र सरकार के गृह मंत्री थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोदी और डोभाल ने कहा चुप रहने को
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक का दावा है कि पुलवामा हमले के तुरंत बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की थी। तब मोदी उत्तराखंड में थे। वहां तक के सिगनल तक नहीं मिल रहे थे। बाद में मोदीजी ने कहीं से उन्हें फोन किया। इस पर उन्होंने पीएम मोदी से बात की। इस पर मोदी ने उन्हें इस मामले पर किसी से ज्यादा नहीं बोलने की हिदायत दी थी। द वायर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने यह भी कहा कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने भी उनसे पुलवामा हमले पर चुपचाप रहने को कहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनावी मकसद से फोड़ा पाकिस्तान पर ठीकरा
मलिक का आरोप है कि इसका मकसद चुनावों में सरकार और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए पुलवामा हमले का सारा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ना था। इसका अहसास मुझे बाद में हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से 300 किलो आरडीएक्स लेकर गाड़ी जम्मू-कश्मीर के गांवों में 10-15 दिन घूमती रही और किसी को पता ही नहीं चला। यह खुफिया विभाग की बड़ी नाकामयाबी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महबूबा का प्रस्ताव क्यों ठुकराया था, मलिक ने बताया
मलिक ने महबूबा मुफ्ती पर भी झूठ बोलने का आरोप लगाया। महबूबा ने बीजेपी से गठबंधन टूटने पर नवंबर 2018 में नई सरकार गठन के गठन का दावा किया था, लेकिन बतौर राज्यापल ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया? इस सवाल पर मलिक ने कहा कि एक तरफ महबूबा ने नैशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के समर्थन का दावा किया था तो दूसरी तरफ एनसी ने उनसे (राज्यपाल से) विधानसभा भंग करने की मांग कर डाली। क्योंकि पार्टी को विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राम माधव पर गंभीर आरोप
मलिक ने बीजेपी नेता राम माधव पर भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि माधव ने एक पनबिजली योजना और रिलायंस इंश्योरेंस स्कीम की मंजूरी के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने (मलिक ने) साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं गलत काम नहीं करूंगा।’ राम माधव ने मलिक के इस दावे को झूठा बताते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की बात कही है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।