देखें वीडियोः हौसले को सलाम, अंकिता ने पैरों से लिखकर दी एमए की परीक्षा, आइएएस बनने का है सपना

मूल रूप से चमोली गढ़वाल कर्णप्रयाग ब्लाक के विदोली गांव के निवासी प्रेम सिंह तोपाल की बेटी अंकिता तीन बच्चों में मजौली बेटी है। उससे एक भाई बड़ा और एक छोटा है। प्रेम सिंह तोपाल टिहरी में आइटीआइ में इंस्ट्रक्टर हैं। लोकसाक्ष्य से बातचीत के दौरान अंकिता ने बताया कि जन्म से ही उनके दोनों हाथ कमजोर थे। माता पिता ने उनका इलाज कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में जब वह स्कूल गई तो लिखने में परेशानी होने लगी।
अंकिता ने बताया कि हाथ से लिखने में समय काफी लग रहा था और लिखते समय हाथ में कंपन भी होती थी।
ऐसे में उन्होंने खुद ही पैरों से काम करने का अभ्यास आरंभ किया। इसके लिए उन्हें माता पिता के साथ परिवार के लोगों, नातेदारों ने भी प्रेरित किया। फिर उन्हें पता ही नहीं चला कि वह कब हाथ ही अपेक्षा पैरों से लिखना सीख गई। धीरे धीरे उनकी लिखने की स्पीड भी बढ़ती चली गई।
अंकिता के मुताबिक, उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल से हुई। पांचवी के बाद देवाल में बालिका जूनियर हाई स्कूल से उन्होंने दसवीं पास की। इसके बाद ऋषिकेश में गर्ल्स विद्या मंदिर ढालवाला एस इंटरमीडिएट की पढ़ाी के बाद एमकेपी महाविद्यालय देहरादून से स्नातक किया। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट के लिए देहरादून में डीएपी पीजी कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां से वह इतिहास विषय से एमए कर रही हैं।
देहरादून में पढ़ाई के लिए अंकिता अपनी माता के साथ धर्मपुर स्थित सुमननगर में किराए के मकान में रह रही हैं। अंकिता ने बताया कि पढ़ाई के साथ ही वह आइएएस की तैयारी कर रही हैं। साथ ही नेट की भी तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले माता पिता ने उनका इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं मिला। चिकित्सकों ने यही बोला कि धीरे धीरे हाथों में कुछ जान आ जाएगी। बस इसी उम्मीद में वह अपने हौसलों की उड़ान भर रही है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।