वीडियो में अलग अलग एंगिल से देखें, कैसे नौ सेकेंड में गिरी 40 मंजिला इमारत, जानिए क्या है मामला
सालों चली कानूनी कार्रवाई के बाद आखिरकार आज नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया। इस 40 मंजिला इमारत में दोपहर ठीक 2:30 बजे विस्फोट किया गया, जिसके बाद नौ सेंकेंड के भीतर 40 मंजिला इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर्स को ढहाने के लिए 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक टावर्स में लगाए गए थे। इमारतों को ढहाने के लिए व्यापक तैयारियां की गई थीं। हर नजरिए से तैयारी की गई थी, ताकि आपात स्थिति में उनसे निपटा जा सके। जैसा पहले से अनुमान लगाया गया था, उसी के तहत कार्य संपादित किया गया। नौ सेकेंड में इमारत जमींदोज हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुरक्षा की दृष्टि से बरती गई सावधानी
डीसीपी सेंट्रल नोएडा ने कहा था कि हमने 450 मीटर पर एस्कप्लोजन जोन बनाया है। पूरे इलाक़े को खाली करा लिया गया है। हमने मानिटरिंग के लिए 7 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं और ट्विन टावर आने वाले रास्ते बंद कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि 2 एनडीआरएफ की टीम को स्टैंड बॉय पर रखा है। हमने 450 मीटर दूर वैन पर मिनी कंट्रोल रूम बनाया है।
डीसीपी ने लोगों से अनुरोध है कि खिड़की से देखें तो सावधानी बरतें। ब्लॉस्ट के बाद घरों पर भी डबल मॉस्क लगा कर रखें। ध्वस्तिकरण से 15 मिनट पहले और बाद तक एहतियातन रूट को बंद कर दिया गया था। सुबह सात बजे से टावरों के पास यातायात को डायवर्ट किया गया था। वहीं, धूल को कम करने के लिए फायर ब्रिगेड सर्विस की ओर से आसपास के इलाकों में पानी के छिड़काव की व्यवस्था की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मामला
दरअसल यह मामला पर्यावरण से जुड़ा है। एमराल्ड सोसायटी में जिस जगह पर इस टावर का निर्माण किया गया है, वह पहले ग्रीन जोन था। उस सोसायटी में घर खरीदने वालों को भी यही बताया गया कि यह ग्रीन जोन है। इस सोसायटी में 660 परिवार रहते हैं। इन्हें धोखा देकर टावर का निर्माण काम शुरू किया गया। पहली बात कि इसका निर्माण धोखे से किया गया। दूसरी बात तमाम नियमों को ताख पर रख दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया गया था
टावर निर्माण के कारण सोसायटी में रहने वाले अन्य परिवारों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 2009 में सोसायटी के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर बिल्डर के खिलाफ लड़ाई करने की ठानी और 2010 में रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी की मदद से इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया गया। 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश दिया। बाद में सुपरटेक ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। यहां भी आमलोगों की जीत हुई और सुप्रीम कोर्ट ने भी टावर को गिराने का निर्देश जारी किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जरूरी सामान लेकर आसपास के लोग छोड़ चुके थे घर
आस-पास की सोसायटी के लोग कल ही अपना सामान लेकर निकल चुके थे। कई लोग तो ट्रकों में जरूरी सामान लेकर कहीं अन्य के लिए निकले। एमराल्ड कोर्ट और उससे सटे एटीएस विलेज सोसाइटियों के करीब 5,000 निवासियों को रविवार सुबह 7 बजे तक एक दिन के लिए घर से बाहर निकलने को कहा गया था। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। अभी फिलहाल ये सूचना नहीं है कि आसपास के इलाके के भवनों में कोई नुकसान पहुंचा। उम्मीद जताई जा रही है कि सबकुछ प्लानिंग के अनुरूप हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धूल को कम करने की कोशिश
ट्विन टावर में धमाका होते ही पूरी बिल्डिंग पलक झपकते ही नीचे गिर गई, लेकिन धूल का गुबार हर तरफ फैल गया. फिलहाल धूल को कम करने का काम शुरू हो चुका है। इसके लिए पहले से तैनात की गई स्मोक गन्स का सहारा लिया जा रहा है। इसके अलावा पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



