एम्स में राज्यभर के फिजिशियनों की वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न
कार्यशाला में एम्स निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने अपने संदेश में कहा कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत मिल रही सुविधाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए यह जरूरी है कि हर स्तर पर स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार द्वारा जारी इस कार्यक्रम का प्रशिक्षण प्राप्त करें। साथ ही इससे जुड़ी अहम जानकारियां लें। उन्होंने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस को राज्य में एक सामाजिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में खत्म करने के लिए फिजिशियंस का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। लिहाजा हमें उम्मीद है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद राज्य के अलग- अलग जिलों से आए डॉक्टर्स वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों को सही व सुगम उपचार उपलब्ध करने में अधिक सक्षम हो सकेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निदेशक एम्स ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम सततरूप से जारी रखे जाएंगे और किसी भी तरह की सहायता के लिए एम्स ऋषिकेश और स्टेट वायरल हेपेटाइटिस मैनेजमेंट यूनिट, उत्तराखंड हमेशा चिकित्सकों के सहयोग के लिए उपलब्ध रहेगी। कार्यशाला में उत्तराखंड के नोडल ऑफिसर डॉ. अर्चना ओझा, संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित गुप्ता व डा. आनंद, माइक्रो बायोलॉजी के एडिशनल प्रोफेसर डा. योगेंद्र मथूरिया, कम्युनिटी एंड फेमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह भदौरिया, एम्स के एनाटोमी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पूजा भदौरिया बतौर मास्टर ट्रेनर शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के ट्रेनिंग कॉर्डिनेटर डॉ. अजीत भदौरिया ने राज्य में उपरोक्त प्रोग्राम के अंतर्गत चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हेपेटाइटिस ए और इ की रोकथाम में स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। डॉ. भदौरिया ने विश्वभर, देश और राज्य में वायरल हेपेटाइटिस के स्तर, वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम के तौरतरीकों और हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन के बाबत जानकारी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. पूजा भदौरिया ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरस लिवर की संरचना को किस तरह प्रभावित करता है। गैस्ट्रो फिजिशियन डॉ. आनंद ने वायरल हेपेटाइटिस के कारण और लक्षणों पर प्रकाश डाला। गैस्ट्रो विभागाध्यक्ष डा. रोहित गुप्ता ने लीवर फंग्शन टेस्ट के अध्ययन के तौर तरीके बताए । साथ ही उन्होंने हेपेटाइटिस सी बीमारी की नेचुरल हिस्ट्री, उपचार व केस स्टडीज पर चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डा. योगेंद्र मथूरिया ने वायरल हेपेटाइटिस के संक्रमण का पता लगाने के लिए की जानी वाली जरुरी जांचों की जानकारी दी। डा. आनंद ने हेपेटाइटिस बी के बारे में बताते हुए विभिन्न मामलों में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रशिक्षण लेने आए चिकित्सकों ने अपने -अपने अस्पतालों में अब तक वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों का उपचार संबधित अनुभव साझा किए और उपचार के दौरान आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।