Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 14, 2024

जयंती पर याद किए गए विनोबा भावे, सर्वोदय मंडल ने आचार्य के जीवन संघर्ष पर की चर्चा

जिला सर्वोदय मंडल देहरादून एवं दून पुस्तकालय शोध केंद्र देहरादून की ओर से संयुक्त रूप से पुस्तकालय के सभागार में भूदान आंदोलन के महानायक सर्वोदई आचार्य विनोबा भावे की 128 वीं जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक सर्वधर्म प्रार्थना से की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर इंदु शुक्ला द्वारा की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में सर्वोदय मंडल और विनोबा परिचय सर्वोदई डॉक्टर विजय शुक्ला द्वारा दिया गया। मुख्य अतिथि दून पुस्तकालय के प्रोफेसर बी. के. जोशी जी द्वारा महात्मा गांधी जी एवम आचार्य विनोबा भावे के विराट व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उनके चित्र पर सूत की माला अर्पित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्य वक्ता सर्वोदई हरबीर सिंह कुशवाहा ने कहा कि महात्मा गांधी जी के अनन्य सहयोगी आचार्य एक प्रखर विद्वान, निराले कर्मयोगी, कई भाषाओं के ज्ञाता, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विश्व में अपनी तरह के एक आंदोलन भूदान आंदोलन के प्रणेता थे। उन्होंने अपने जीवन काल में चंबल घाटी के दुर्दांत डाकुओं को अपने आत्मबल से आत्म समर्पण करवा कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का कठिन कार्य करवाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होने बताया कि भूमिहीनों को भूमि दिलवाने के पवित्र उद्देश्य से आचार्य विनोबा जी ने 1959 में भूदान आंदोलन शुरू किया। इसके तहत उनके नेतृत्व में पूरे देश में लाखों लोगों ने पद यात्राएं कर भूमिहीनों के लिए जमीन का दान मांगा। देश में कुल 52 लाख एकड़ जमीन का दान स्वेच्छा से हुआ। देहरादून में बुद्धा टेंपल समेत कई तिब्बती कालोनियां उसी भूमि दान की जमीन पर बसी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

विशिष्ठ अतिथि पर्यावरणविद रवि चोपड़ा ने बताया कि विनोबा जी सभी धर्मों के मर्मज्ञ थे। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब, कुरान, बाइबिल, धम्मपद समेत गीता जी का सार लिखा। जिनको देश विदेश में सराहा गया। उनका लिखा कुरान सार देश विदेश के इस्लाम धर्म गुरुओं द्वारा बहुत ही सराहा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम के अंत में पदमश्री डॉक्टर माधुरी बड़थ्वाल ने बापू के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जानिए … गाकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज तक सभी ने उनकी पहाड़ी धुनों का आनंद उठाया था, लेकिन इस कार्यक्रम में उन्होंने की इस धुन को विनोबा जी के सम्मान में गाकर कार्यक्रम में जोश भर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इससे पूर्व कार्यक्रम के आरंभ में सर्वोदई डॉक्टर रश्मि पैनूली ने विनोबा जी को सभी की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में विनोबा साहित्य का वितरण भी किया गया। अंत में दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसीएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी अमंत्रितों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर बुद्धा टेंपल के प्रतिनिधियों समेत शहर के कई सामाजिक चिंतक, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, साहित्यप्रेमी, पुस्तकालय के सदस्य और युवा पाठक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सर्वोदई कुसुम रावत ने किया।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page