वीडियोः देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने काली पट्टी बांधकर की पूजा अर्चना, दिया धरना, किया भजन
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। अभी तक सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। साथ ही पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का ऐसा बयान हाल ही में आया कि इससे तीर्थ पुरोहित भड़क उठे। उन्होंने कहा कि कि बोर्ड को लेकर पुनर्विचार का सवाल नहीं उठता। हालांकि महाराज बाद में अपनी बात से मुकर गए। वहीं, हाल ही में तीर्थ पुरोहितों ने पर्यटन मंत्री का पुतला भी दहन किया था। ऐसा गंगोत्री के इतिहास में पहली बार हुआ, जब किसी नेता का पुतला जलाया गया हो।
आज गुरुवार 17 जून को गंगोत्री धाम में तीर्थ पुरोहितों ने बांह में काली पट्टी बांधकर गंगा मैया की पूजा अर्चना की। साथ ही माँ गंगा से प्रार्थना की मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि जल्द अपनी घोषणा को पूरी करें। उपाध्यक्ष पांच मंदिर समिति गंगोत्री के उपाध्यक्ष पंडित अरुण सेमवाल के नेतृत्व में काली धरना भी दिया। इस दौरान भजन कीर्तन भी किया गया। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि आंदोलन की कड़ी में अब 20 जून को सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन व यज्ञ किया जाएगा। 21 जून से चारों धाम में धरना एवं प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। तब से ये आंदोलन अनिश्चितकालीन चलेगा।
इस अवसर पर पंडित हरीश सेमवाल, राकेश सेमवाल, दीपक सेमवाल, संजय कुमार, मुकेश सेमवाल, प्रकाश सेमवाल, मयंक सेमवाल, सागर सेमवाल, सहसचिव राजेश सेमवाल, रमाकांत, व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सेमवाल और तमाम तीर्थ पुरोहित मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।