Video: आशा वर्कर्स ने सचिवालय के बाहर डाला डेरा, देर रात झुकी सरकार, दिया लिखित आश्वासन, आंदोलन स्थगित
इस मौके पर आयोजित सभा को प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे, सुनीता चौहान, मीना जखमोला, आशा चौधरी, लोकेश देवी, मीनाक्षी, संत कुमार, लेखराज, भगवंत पयाल, रविन्द्र नौडियाल, अनंत आकाश, नीरज यादव, नीरा कंडारी आदि ने संबोधित किया। देर रात को भी आशाएं सचिवालय के समीप ही धरने पर डटी रहीं। उन्होंने कहा था कि कि लिखित आश्वासन के बाद ही वे यहां से हटेंगी। आंदोलन लंबा होते देख शाम को सचिवालय के समक्ष ही भोजन की व्यवस्था की गई। साथ ही आशाओं ने वहीं डेरा डालने के लिए बिस्तर आदि भी मंगवा लिए थे। वार्ता के बाद धरनास्थल पर ही आशाओं ने भोजन किया और तब जाकर घर गईं।
इससे पहले यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष श्रीमती शिवा दुबे ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव बना कर शासन को 9 अगस्त 2021 को ही भेज दिया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने भी शीघ्र शासनादेश जारी करने का आश्वासन दिया था। कुमाऊँ की आशाओं ने हड़ताल समाप्त कर दी थी, लेकिन गढ़वाल मंडल की आशाएं लगातार आंदोलन कर रही हैं। कैबिनेट की बैठक में भी इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं होने से आशाएं खुद को ठगा महसूस कर रही हैं।
लगातार कर रही हैं आंदोलन
गौरतलब है कि उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्यबहिष्कार कर वे गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं। सीटू से संबंद्ध आशा वर्कर्स यूनियन की बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं किया गया। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। इसके बाद 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। 21 अगस्त को सचिवालय समक्ष धरना दिया गया। इस दिन भी आशाओं के प्रतिनिधिमंडल को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता के लिए बुलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों के संबंध में 24 सितंबर को कैबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस आश्वासन पर आशाएं वापस लौटीं। इसके बाद 24 सितंबर को भी ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आह्वान पर सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया। पर समस्या जस की तस है।
आशा वर्कर्स की मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।