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June 24, 2025

उपराष्ट्रपति प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा ने बीजेपी सांसदों सहित इन दलों के सांसदों को फोन करने से की तौबा, जानिए कारण

80 वर्षीय अल्वा देश के हर राज्य के सीएम के साथ ही सभी सांसदों से भी फोन से संपर्क साध रही हैं। इस बीच उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अब बीजेपी सांसदों के साथ ही कुछ अन्य दलों के सांसदों को फोन करने से तौबा कर ली है।

भारत में उप राष्ट्रपति पद के लिए छह अगस्त को चुनाव होने हैं। विपक्ष की प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा ने अपने लिए समर्थन जुटाने के प्रयास कर दिए हैं। 80 वर्षीय अल्वा देश के हर राज्य के सीएम के साथ ही सभी सांसदों से भी फोन से संपर्क साध रही हैं। इस बीच उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अब बीजेपी सांसदों के साथ ही कुछ अन्य दलों के सांसदों को फोन करने से तौबा कर ली है। दरअसल उनका फोन हैक हो गया है और उनका मानना है कि ऐसा बीजेपी के सांसदों को फोन करने से हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कुछ मित्रों से बात करने के बाद उनके सभी फोन कॉल डायवर्ट किए जाने लगे हैं। अब वह किसी को भी कॉल नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने इसके लिए MTNL और BSNL का नाम लिखकर आग्रह किया है कि अगर उनका फोन रीस्टोर कर दिया जाता है तो वह बीजेपी, टीएमसी और बीजेडी के किसी भी सांसद को फोन नहीं करने का वादा करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वहीं, सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मार्गरेट अल्वा एक साइबर फ्रॉड का शिकार हुई हैं, जिसके बारे में दिल्ली पुलिस ने भी 19 जुलाई को ही ट्विटर पर चेतावनी जारी की थी। इस बीच, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने मार्गरेट अल्वा के फोन टेप किए जाने के कांग्रेस के आरोप पर कहा कि यह एक बचकाना आरोप है। कांग्रेस इस तरह के आरोप लगाती ही रहती है, क्योंकि हमारी सरकार में इस तरह की हरकतों की कोई गुंजाइश नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

बता दें कि उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को संवैधानिक पद पर रहने का खासा अनुभव है। अल्वा गोवा की 17वीं राज्यपाल रहीं। वहीं उन्होंने गुजरात की 23वीं राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं। अल्वा राजस्थान की 20वीं और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल के रूप में भी काम किया। अल्वा का जन्म 1942 में मैंगलोर में हुआ था। वह तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के विभिन्न हिस्सों में पली-बढ़ीं और इस दौरान उन्होंने स्थानीय संस्कृति को आत्मसात किया। इसके कुछ हिस्से अब आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उनके पिता भारतीय सिविल सेवा से जुड़े थे। अल्वा राज्यसभा के लिए लगातार चार बार और लोकसभा में एक कार्यकाल के लिए चुनी गईं। राज्यपाल बनने से पहले अल्वा कांग्रेस की संयुक्त सचिव और कैबिनेट मंत्री रह चुकी थीं। उनकी सास वायलेट अल्वा 1960 के दशक में राज्यसभा की स्पीकर थीं। अल्वा पेशे से वकील हैं। वकालत के दौरान वे कई कल्याणकारी संगठनों से जुड़ी रहीं। साथ ही उन्होंने महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम किया।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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