विवादों में घिरे उपराष्ट्रपति धनखड़, निजी स्टाफ को राज्यसभा की कमेटियों में कर दिया फिट, कांग्रेस ने उठाए सवाल
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के एक फैसले पर विवाद शुरू हो गया है। आरोप है कि उपराष्ट्रपति ने अपने निजी स्टाफ के आठ सदस्यों को राज्यसभा सचिवालय के दायरे में आने वाली 20 अलग-अलग कमेटियों में शामिल कर लिया है। इन समितियों में उपराष्ट्रपति सचिवालय में तैनात चार कर्मचारी भी हैं। अब इसको लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता दिग्वजिय सिंह ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ है। इसको लेकर जो स्पष्टीकरण दिया गया है, वो भी अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह पूरी तरह से अवैध है। उपराष्ट्रपति अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरअसल, राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी ही संसदीय समितियों की सहायता करते हैं और समिति सचिवालयों का हिस्सा भी बनते हैं। आमतौर पर ऐसा ही होता आया है। लेकिन आरोप है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के आने के बाद इसमें बदलाव हो गया है। उन्होंने इन संसदीय समितियों में अपने निजी स्टाफ को शामिल करा दिया है। इसी को लेकर अब कांग्रेस समेत विपक्ष के अन्य नेताओं ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मामला
राज्यसभा सचिवालय की ओर से मंगलवार को एक आदेश जारी किया गया। इसमें समितियों में अधिकारियों की तत्काल प्रभाव से नियुक्ति का आदेश दिया गया। आदेश के मुताबिक, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 8 निजी अधिकारियों को 20 संसदीय समितियों में नियुक्त किया गया। चार कर्मचारी उपराष्ट्रपति सचिवालय के अधीन, जबकि चार कर्मचारी राज्यसभा के सभापति के अधीन हैं। इन संसदीय समितियों की कार्यवाही गुप्त होती हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति के निजी स्टाफ को संसदीय समितियों को हिस्सा बनाना एक तरह से इनके कामकाज में सीधे दखल के तौर पर देखा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन्हें किया गया नियुक्त
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराष्ट्रपति के स्टाफ से समितियों में ओएसडी राजेश एन नाईक, निजी सचिव सुजीत कुमार, अतिरिक्त निजी सचिव संजय वर्मा और ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत को अटैच किया गया है। इसके अलावा राज्यसभा चेयरमैन के ऑफिस से ओएसडी अनिल चौधरी, दिनेश डी, कौस्तुभ सुधाकर और पीएस अदिति चौधरी को समितियों में नियुक्त किया गया है। मंगलवार को इसका आदेश जारी किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विपक्ष ने उठाए सवाल
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया कि यह पूरी तरह से अवैध और उपराष्ट्रपति की ओर से अधिकारों का दुरुपयोग है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ है और इस फैसले को लेकर दिया गया स्पष्टीकरण भी अनुचित है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह राज्यसभा के चेयरमैन का अपने सचिवालय के मौजूदा स्टाफ में भरोसे की कमी को नहीं दर्शाता है? कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उप-सभापति की तरह वह सदन के सदस्य नहीं है। ऐसे में उपराष्ट्रपति संसदीय समितियों में अपने पर्सनल स्टाफ को कैसे नियुक्त कर सकते हैं? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी लग रहे आरोप
राज्यसभा में कर्मचारियों की संख्या भी घटाने की चर्चा चल रही है। बताया जाता है कि करीब 60 प्रतिशत से ज्यादा राज्यसभा के कर्मचारियों को हटाया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति के तौर पर जगदीप धनखड़ ने अपने पर्सनल स्टाफ की संख्या भी बढ़ा दी है। इनमें ज्यादातर उन्होंने बाहर के लोगों को शामिल किया है।
समितियों में जिन पर्सनल स्टाफ को शामिल किया गया है, वो समिति की गोपनीय बैठकों में भी शामिल होंगे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।