किसानों के रास्तों पर गाड़ी कीलें, अब पंजाब और हरियाणा के कई गांवों में घुसने से बीजेपी नेताओं रोक रहे किसान

किसान आंदोलन-2 के तहत पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर लगभग दो महीने से किसान डटे हुए हैं। मीडिया में किसान आंदोलन की खबरें गायब हैं। खबरें तो ये भी गायब हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में चुनाव प्रचार के लिए जा रहे बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कारण ये है कि जनता से जुड़े सवालों पर बीजेपी के नेताओं की बोलती बंद है। प्रधानमंत्री का भाषण भी विपक्ष को कोसने पर ही केंद्रित रहता है। वह भ्रष्टाचार की बात करते हैं। वहीं, इलेक्टोरल बांड को लेकर जो घोटाले खुले उससे साफ जाहिर हैं कि कैसे ई़डी और सीबीआई की कार्रवाई के चलते किस पार्टी को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा मिला। जिन कंपनियों पर केस चल रहे थे। जिन पर छापे पड़े या जो जेल गए, जब उन्होंने चुनावी चंदा दिया तब ही उन्हें राहत मिली। नेताओं में ऐसे लोगों की लिस्ट लंबी है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और बीजेपी में वे शामिल हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुद्दों को भटका रहे हैं बीजेपी नेता
इन सबके बीज महंगाई, रोजगार, गरीबी के साथ ही किसानों के मुद्दों को लेकर बीजेपी का प्रचार नहीं हो रहा है। चुनाव प्रचार में धर्म का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन पीएम मोदी हों या अमित शाह। सभी राम मंदिर से लेकर तमाम ऐसे मुद्दे उछाल रहे हैं, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेला जा सके और लोग मूल मुद्दों को भूल जाएं। वहीं, चुनाव आयोग ने भी ऐसे भाषणों को सुनने और कार्रवाई करने पर चुप्पी साध ली है। किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, उनका आरोप है कि उनकी मांगों को लेकर सरकार ने धोखा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनाव प्रचार में फैलाया जा रहा है झूठ
चुनाव प्रचार के दौरान जब मुद्दा नहीं मिला तो झूठ फैलाने का काम भी तेज हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि कांग्रेस का घोषणापत्र में आजादी से पहले मुस्लिम लीग के घोषणापत्र की छाप है। वहीं, हकीकत ये है कि घोषणा पत्र में संविधान की बात की जा रही है। सच तो से है कि जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ बीजेपी के पूर्वज मिले हुए थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल और सिंध में मुस्लिम लीग के साथ सरकार चलाई थी। भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ मुस्लिम लीग और आरएसएस या उससे जुड़ी संस्थाएं हिंदू महासभा आदि थे। सावरकर भी इसके खिलाफ थे। सावरकर तो सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी के भी खिलाफ थे। वे तो अंग्रेजों की सेना में लोगों से भर्ती होने की अपील कर रहे थे। ताकि सुभाष चंद्र बोस की सेना का मुकाबला किया जा सके। आज देशभक्ति का ठेका यदि ऐसे संगठन लें तो बात गले नहीं उतरती है। मुस्लिम लीग की तरह ही सावरकर भी दो देश के सिद्धांत की बात करते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बन रहा है बीजेपी के खिलाफ माहौल
इन दिनों देश में भाजपा विरोधी माहौल बनता जा रहा है। मेरठ में बीजेपी प्रत्याशी अरुण गोविल का विरोध हो या फिर उत्तराखंड में बीजेपी के कार्यक्रमों में पूर्व सैनिकों, महिलाओं और युवाओं की ओर से किया गया विरोध। हर तरफ बीजेपी प्रत्याशियों को विरोध झेलना पड़ रहा है। देश के राजपूतों ने भी मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं, किसानों ने भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। हालांकि, चुनावी सर्वे में बीजेपी को ही बढ़त में दिखाया जा रहा है। ये सच हैं या फिर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है, इस खेल को भी समझना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किसानों ने दिखाए तेवर
वहीं दूसरी ओर देश के अन्नदाताओं ने भी अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन के दौरान अन्नदाताओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को समूचे भारत ने देखा। अब उसी दुर्व्यवहार का खामियाजा भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के तेवर ने भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर सकते में डाल दिया है। यही वजह है कि अन्नदाताओं ने बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर ब्रेक लगा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हमें दिल्ली जाने से रोका, अब गांव में नहीं घुसने देंगे
पहले चरण के किसान आंदोलन की ही तर्ज पर दूसरे चरण के आंदोलन के दौरान भी किसानों को पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोका गया। रास्तों पर कीलें बिछा दी गई। आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे किसानों पर ड्रोन से आसू गैसे के गोलो छोड़े गए। इस दौरान कई घायल हुए और एक किसान की मौत भी हुई। आंदोलन अभी भी जारी है, लेकिन मीडिया की कवरेज से गायब है। अब किसानों ने भाजपा को सीधे आह्वान करते हुए कहा है कि भाजपा ने हमें दिल्ली में जाने से रोका था, अब हम उन्हें अपने गांव में घुसने नहीं देंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हरियाणा और पंजाब में दिखा विरोध
हरियाणा और पंजाब राज्यों के कुछ गांवों में बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर स्थानीय लोगों और किसानों ने ब्रेक लगा रखा है। भाजपा के उम्मीदवारों को किसानों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी हालिया झलक तब देखने को मिली जब सूफी गायक और भाजपा प्रत्याशी हंस राज हंस फरीदकोट में अपना पहला रोड शो निकाल रहे थे। उस दौरान किसानों ने- वापस जाओ, के नारों के साथ बीजेपी नेताओं की जमकर फजीहत की। गायक को एक दिन बाद मोगा शहर में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के विरोध का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर के लिए प्रचार कर रहे हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किसानों में है गुस्सा
पगड़ी संभल जट्टा किसान संघर्ष समिति के नेता मंदीप नथवान ने किसानों और मजदूरों के जीवन को बर्बाद करने के लिए केंद्र और हरियाणा की बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग तब किया, जब वे कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे। बीजेपी नेताओं ने हमें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा। उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी और जेजेपी नेताओं पर प्रतिबंध जारी
पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर लगभग दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में वोट मांगने जाने वाले भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जेजेपी नेताओं का विरोध जारी है। बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशियों और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का कई जगहों पर विरोध की खबरें सामने आई हैं। इस बीच हरियाणा के जींद जिले के एक गांव में करीब कई साल बीत जाने के बाद भी बीजेपी-जेजेपी नेताओं पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गांव के बाहर लगाया गया है बोर्ड
दुराना गांव के ग्रामीणों ने गांव के बाहरी इलाके में एक लोहे का बोर्ड लगाया हुआ है। इस बोर्ड पर लिखा गया है कि बीजेपी-जेजेपी नेताओं को इस गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। भारतीय किसान यूनियन द्वारा लगाए गए बोर्ड पर लिखा है, ‘बीजेपी-जेजेपी नेताओं का गांव में आना मना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेताओं की एंट्री पर किसानों का प्रतिबंध
बीकेयू कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने किसानों के समर्थन में 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान इस बोर्ड को लगाया था। तब हरियाणा के काफी गांवों में किसानों ने बीजेपी और जेजेपी नेताओं के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए उनकी एंट्री पर रोक लगाई थी। दुराना गांव जींद जिले के उचाना कलां खंड के अंतर्गत आता है, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला करते हैं और उन्हें तत्कालीन किसान आंदोलन की शुरुआत से लेकर अंत तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसलिए नाराज हैं किसान
जींद के किसान नेता आजाद पालवा का कहना है कि ये बोर्ड तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमा पर चले किसान आंदोलन के दौरान लगाए गए थे। हमने 2020-21 में 750 किसानों को खो दिया है, लेकिन बीजेपी और जेजेपी के नेताओं ने चुप्पी साधी रखी। यह बोर्ड किसानों पर इन दोनों पार्टियों के अत्याचारों की याद दिलवाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नहीं निकला समाधान
किसान नेता ने कहा, जब लोग 25 मई को घरों से बाहर निकलेंगे तो इस बोर्ड को देखकर बीजेपी-जेजेपी की किसानों के प्रति क्रूरता को याद रखेंगे। उस वक्त हमने बैन लगा दिया था। गांवों में अब भी नेताओं की एंट्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए मतदाताओं का आह्वान किया जाता है। बीजेपी-जेजेपी नेताओं का बहिष्कार किया जाएगा। बता दें कि दुष्यंत चौटाला के खिलाफ हरियाणा में हो रहे विरोध प्रदर्शन से परेशान होकर उनकी मां नैना चौटाला ने माफी मांगी है और मिल बैठकर बातचीत से समाधान निकालने की अपील की है। फिलहाल कोई समाधान नहीं निकला है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।