एचआईएचटी के फाउंडर्स डे समारोह में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित, छात्र-छात्राओं को किया गया सम्मानित
गौरतलब है कि 01 जून 1989 को संस्थापक डॉ.स्वामी राम ने की एचआईएचटी की स्थापना की थी। इस उपलक्ष्य में संस्थान में फाउंडर्स डे समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान एचआईएचटी अध्यक्षीय समिति के सदस्य व कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने नवीन चित्र का अनावरण किया। साथ ही उन्होंने एसआरएचयू में गठित नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस) यूनिट को झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। इसमें 200 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।
इसके अलावा पूर्व में इस्कॉन ऋषिकेश के सहयोग से भगवद गीता की शिक्षा पर आयोजित प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को नगद पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। प्रथम पुरस्कार में 11000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार- 7000 रुपए, तृतीय पुरस्कार- 5000 रुपए, चतुर्थ पुरस्कार- 2000 रुपए जबकि सांत्वना पुरस्कार- 500 रुपए प्रदान किया गया।
इस दौरान सभागार में आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि एचआईएचटी की मूल अवधारण है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’। इसका अर्थ कर्म में कुशलता ही योग है। मनुष्य जीवन में कर्म सर्वोपरि है। अगर आपको मालूम है कि कोई काम आपको करना ही है तो आपको इच्छा-अनिच्छा से ऊपर उठकर उसे करना चाहिए। चाहे उसके फल में आपका स्वार्थ सिद्ध हो या न हो। कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता, हर काम को सही से करना आपके अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है। इससे पहले इस्कॉन वृंदावन ईस्ट ट्रस्ट (इस्कॉन ऋषिकेश) के सचिव हरि कृष्ण दास जी ने कहा कि किसी को सही दिशा में प्रेरित करने में भगवद गीता आदर्श गुरु के समान है। भगवद गीता में सफलता के मूल मंत्र समाहित हैं। गरिमा कपूर के संचालन में आयोजित समारोह में प्रति कुलपति डॉ.विजेंद्र चौहान, आरडीआई निदेशक बी.मैथिली, डॉ.कैथी, डॉ.शीला श्रीवास्तव, डॉ.सुनील सैनी, कुलसचिव डॉ.सुशीला शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी आदि मौजूद रहे।
सम्मानित होने वाले छात्र-छात्राएं
प्रथम पुरस्कार- शैलश बर्थ्वाल, द्वितीय पुरस्कार- हर्ष बलूनी व शिवम रतूड़ी, तृतीय पुरस्कार- शालिनी, चतुर्थ पुरस्कार- गौरव रावत, सांत्वना पुरस्कार- अनुष्का रावत, भावना झा, शिवानी रावत, अभिषेक नेगी, नेहा बिष्ट, अनमोल बिंजोला, अंजलि, दिव्या राजपूत, गरिमा पथार, मेघा बहुगुणा, शीनम सेठी, स्मृति चौहान।
एचआईएचटी : तीन दशकों से जन सेवा को समर्पित
एचआईएचटी के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व एसआरएचयू के कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि गुरुदेव डॉ.स्वामी राम ने जन सेवा के उद्देश्य से गढ़वाल हिमालय की घाटी जॉलीग्रांट में करीब तीन दशक पूर्व 01 जून 1989 को एचआईएचटी की स्थापना की। इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं के पहुंचाने को मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट का निर्माण करवाया। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए हुए स्वामी जी ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में गुरुदेव डॉ. स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए। वर्ष 2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यट (सीआरआई) बनवाया गया।
वर्ष 2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) स्थापना की गई। इसके तहत हिमालयन इंस्टिट्यट ऑफ मेडिकल साइंसेज (मेडिकल कॉलेज), हिमालयन कॉलेज ऑफ नर्सिंग (नर्सिंग कॉलेज), हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (इंजीनियरिंग कॉलेज) व हिमालयन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (मैनेजमेंट कॉलेज), हिमालयन स्कूल ऑफ योगिक साइंसेज, हिमालयन स्कूल ऑफ बायो साइसेज सहित पौड़ी जिले के ब्लॉक सतपुली स्थित ग्राम सभा तोली में संचालित गौरी हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं।
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