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December 23, 2024

उत्तराखंड में सशक्त भू कानून की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों का सीएम आवास कूच

उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून को लेकर विभिन्न संगठनों ने आज बुधवार नौ अगस्त को सीएम आवास कूच किया। इनकी मांग थी कि प्रदेश में सशक्त भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 को लागू किया जाए। परेड मैदान से निकाले गए जुलूस को पुलिस ने विजय कॉलोनी से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग पर ही धरने पर बैठे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी आज राज्य के मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उल्टा राज्य के मूल निवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसपर एक साजिश के तहत बाहरी तत्व सरकारी संरक्षण में कब्जा कर रहे है। सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं और यहां का मूल निवासी बेरोजगार हो रहा है। सरकार हमारी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की पैरवी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पूरे हिमालयी राज्यों में वहां के मूल निवासियों के लिए विशेष कानून है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है। उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें और उस राज्य के शहीदों के सम्मान के अनुरूप यह राज्य बन पाए, इसलिए प्रदेश में भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 का कानून लाना जरूरी हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

आप कार्यकर्ता और नेता भी हुए प्रदर्शन में शामिल
आज भू कानून समिति के बैनर तले आज के प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए आम आदमी पार्टी के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट अपने सभी साथियों सहित परेड ग्राउंड में पहुंचे। जोत सिंह
बिष्ट ने कहा कि प्रदेश में इतने ज्वलंत मुद्दे जन्म ले चुके हैं। उनकी गिनती नहीं हो सकती, लेकिन धामी सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना कर प्रदेश की जनता को भ्रमित कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि भू कानून एक ऐसा गंभीर मुद्दा है। इसमें प्रदेश की जनता अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए मजबूर हो गई है। एक बार उत्तराखंड बनाने को लेकर प्रदेश की जनता ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर उत्तराखंड को जन्म दिया। अब एक बार फिर भू कानून जैसे संजिदा विषय पर जनता एक साथ सड़कों पर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी। भाजपा प्रदेश सरकार गूंगी और बहरी हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि बहन अंकित भंडारी के वीआईपी का नाम आज तक उजागर नहीं हुआ है प्रदेश के युवाओं को मजबूर होकर पलायन करना पड़ता है इस और सरकार का ध्यान नहीं है अलग-अलग हथकंडे अपना कर सरकार अपनी नाकामी छुपाने की भरपूर प्रयास में रहती है। प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी की ओर प्रदेश प्रवक्ता कमलेश रमन, प्रदेश मीडिया प्रभारी रविंदर आनंद, प्रदेश सचिव विपिन नेगी, संचालन कमेटी के सचिव अशोक सेमवाल, मसूरी विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह, यामिनी आले, सुदेश सैनी ,ललिता कोहली,आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मानसून सत्र में आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने आज मुख्यमंत्री आवास कूच के दौरान आयोजित सभा में कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण को लेकर सरकार लगातार टालमटोल कर रही है। उन्होंने ऐलान किया कि यदि मानसून सत्र में मुख्यमंत्री ने इस वायदे को पूरा नहीं किया तो वह मुख्यमंत्री आवास पर आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भू कानून और मूल निवास के सवालों को उत्तराखंड की अस्मिता का सवाल बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून उत्तराखंड को बचाने को जरूरी है। उन्होंने त्रिवेंद्र रावत की सरकार द्वारा सन 2018 में भू कानून को तुरंत खत्म करने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच और विभिन्न संगठनों की ओर से आयोजित इस प्रदर्शन में जगमोहन सिंह, चयनित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संरक्षक देवी प्रसाद व्यास, अभियान समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अनिल जोशी, चिह्नित आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष नरेश चंद्र भट्ट, जिला देहरादून के अध्यक्ष विशंभर बौठियाल आदि भी शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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