वंदना कटारिया को बनाया ब्रांड एंबेसेडर, 22 को तीलू रौतेली और 22 आंगनबाड़ी की गई सम्मानित, आप ने उठाए सवाल
वीरांगना तीलू रौतेली के नाम पर उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं और किशोरियों के लिए तीलू रौतेली राज्य स्त्री पुरस्कार की शुरुआत की। प्रतिवर्ष दिए जाने वाले पुरस्कार के लिए इस बार 120 आवेदन आए थे। जिला स्तर पर स्क्रूटनी के बाद 59 नाम राज्य स्तरीय चयन समिति के पाए भेजे गए। समिति ने खेल, समाज सेवा, शिक्षा, बालिका शिक्षा, कोविडकाल में जरूरतमंदों की सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाली 22 महिलाओं व किशोरियों के नाम फाइनल किए।
विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद शुक्रवार शाम को शासन ने इनकी सूची जारी कर दी। इसमें हरिद्वार जिले की निवासी अंतरराष्ट्रीय महिला हाकी खिलाड़ी वंदना कटारिया का नाम भी शामिल है। इसके अलावा राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता पुरस्कार के लिए भी 22 कार्यकर्त्ताओं को चयनित किया गया।
वंदना कटारिया को बनाया ब्रांड एंबेसेडर
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अगले वर्ष से तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार की धनराशि बढ़ाकर 51 हजार रूपये किया जायेगा। भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वन्दना कटारिया उत्तराखण्ड में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागर में तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार के लिए चयनित राज्य की महिलाओं को सम्मानित किया। इस वर्ष 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार एवं 22 महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। तीलू रौतेली पुरस्कार प्राप्तकताओं को 31 हजार रूपये की सम्मान धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार के तहत 21 हजार रूपये की सम्मान राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में हर क्षेत्र में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका रही है। उत्तराखण्ड अलग राज्य निर्माण की मांग हेतु महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मातृ शक्ति को नमन करते हुए कहा कि कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की गई है। कोरोना काल में जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या सरंक्षक को खोया है, उनको राज्य सरकार प्रति माह 03 हजार रूपये, एवं निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थित मजबूत होनी जरूरी है। बच्चों के शुरूआती चरण के विकास में आंगनबाडियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। माता-पिता के बाद बच्चों को संस्कार देने के शुरूआत आंगनबाड़ी से ही होती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जो लोग सीमित संसाधन होने पर बड़ी उपलब्धि हांसिल करते हैं, उनकी अलग ख्याति होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जीवन सामान्य परिस्थितियों में बीता, लेकिन आज उनकी कार्यशैली से भारत को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान मिली है। आज देश हर क्षेत्र में तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि प्रारम्भिक शिक्षा के दौरान हम भी तख्ती (पाटी) पर लिखते थे। जिसके लिए चूने का घोल इस्तेमाल किया जाता था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण की दिशा में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि मातृ शक्ति को इन योजना का लाभ मिला। राज्य में मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना चलाई जा रही है। जिसमें गर्भवती महिलाओं एवं नवजात कन्या शिशु के लिए किट दी जा रही है। राज्य सरकार जनता के साथ साझीदार की भूमिका में कार्य कर रही है। समाज के हर वर्ग के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि उत्तराखण्ड की वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाली राज्य की चयनित महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी में अच्छा कार्य करने वाली महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मात्र 15 वर्ष की आयु में ही वे रणभूमि में कूद पड़ी थी। उन्होंने बहुत कम आयु में सात युद्ध लड़े। यह दिन प्रदेश की महिलाओं को सम्मानित करने का सबसे अच्छा दिन है। तीलू रौतेली ने जिस वीरता का परिचय दिया, आज यह हमारे सामने एक इतिहास है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने में आंगनबाड़ी कार्यकत्रयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोविड के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है। उन्होंने कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की वेशभूषा में प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के पिताजी ने आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए अपनी जमीन दान दी थी।। इस अवसर पर विधायक खजानदास, सचिव हरि चन्द्र सेमवाल, अपर सचिव प्रशांत आर्य एवं गणमान्य मौजूद थे।
इन्हें मिला तीलू रौतेली राज्य स्त्री शक्ति पुरस्कार
खेल- वंदना कटारिया (हरिद्वार), रुचि कालाकोटी (बागेश्वर), कनिका भंडारी।
पर्वतारोहण– रीना रावत (उत्तरकाशी)।
शिक्षा व महिला जागरूकता– डा राजकुमारी भंडारी चौहान (देहरादून)।
महिला स्वयं सहायता समूह– श्यामा देवी (देहरादून)।
सामाजिक कार्य– अनुराधा वालिया (देहरादून), उमा जोशी (ऊधमसिंहनगर), दीपिका बोहरा, दीपिका चुफाल (पिथौरागढ़), रेनू गड़कोटी (चम्पावत)।
शिक्षा, अनुसंधान व विकास– डा कंचन नेगी (देहरादून)।
कोविड संबंधी कार्य-चंद्रकला तिवाड़ी (चमोली), पार्वती किरोला (नैनीताल)।
कोरोना योद्धा- बबीता पुनेठा (पिथौरागढ़)।
महिला स्वास्थ्य एवं पोषण– नमिता गुप्ता (ऊधमसिंहनगर)।
गैर सरकारी संगठन-बिंदुवासिनी (ऊधसिंहनगर)।
स्वरोजगार- ममता मेहता (बागेश्वर), अंजना रावत (पौड़ी), भावना शर्मा (अल्मोड़ा)।
बालिका शिक्षा– रेखा जोशी (पिथौरागढ़)।
कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन-पूनम डोभाल (टिहरी)।
राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार
गौरा कोहली, पुष्पा प्रहरी, पुष्पा पाटनी, गीता चन्द, कुमारी गलिस्ता, अंजना, संजू बलोदी, कु. मीनू, ज्योतिका पाण्डेय, सुमन पंवार, राखी, सुषमा गुसांई, आशा देवी, दुर्गा बिष्ट, सोहनी शर्मा, श्रीमती वृंदा, सुश्री प्रोन्नति विस्वास, सुश्री हन्सी धपोला, सुश्री गायत्री दानू, हीरा भट्ट, सुषमा पंचपुरी, सीमा देवी।
धामी सरकार ने किया पुरस्कार का अपमान, आधी से ज्यााद महिलाएं भाजपा की
आम आदमी पार्टी ने तीलू रौतेली पुरस्कार को लेकर चयन समिति के चयन पर सवाल खड़ा किए हैं। आप प्रवक्ता संजय भट्ट ने पत्रकार वार्ता में कहा कि भाजपा महिला मोर्चा की महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार देना उत्तराखंड का ही नहीं, वरन वीरांगना तीलू रौतेली का भी अपमान है। तीलू रौतेली पुरस्कार सामाजिक, शिक्षा, साहित्य, वीरता, साहस, खेल पर्यावरण आदि क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। बीजेपी की धामी सरकार ने इस पुरस्कार का राजनीतीकरण करते हुए इसमें कई बीजेपी महिला मोर्चा की पदाधिकारियों को ये पुरस्कार देकर एक गलत परंपरा को जन्म दे दिया।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने जो 22 महिलाओं के नाम जारी कर आज जिन्हें ये पुरस्कार दिए गए वे सीधे तौर पर राजनीती से जुड़े हैं। पुरस्कार पाने वालों में आधी से अधिक महिलाएं भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी हैं। इसमें बीजेपी की पार्षद, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा, वर्तमान जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा भाजपा, प्रदेश पदाधिकारी महिला मोर्चा बीजेपी, बीजेपी एनजीओ प्रकोष्ठ महिला मोर्चा, जिला महामंत्री भाजपा महिला मोर्चा, जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी, जिला पंचायत प्रत्याशी बीजपी, मंत्री की बेटी उत्तराखण्ड सरकार आदि शामिल हैं।
पुरस्कार के लिए चयनित नौ महिलाएं भाजपा की
1- रेनु गड़कोटी, मनोनीत पार्षद बीजेपी, नगर पंचायत लोहाघाट, बीजेपी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष व विभिन्न पदों पर रहीं।
2- भावना शर्मा, प्रदेश महामंत्री बीजेपी महिला मोर्चा।
3- उमा जोशी, जिला महामंत्री, बीजेपी महिला मोर्चा उधमसिंह नगर।
4- अनुराधा वालिया, प्रदेश उपाध्यक्ष बीजेपी महिला मोर्चा।
5- बबिता पुनेठा, अध्यक्ष बीजेपी महिला मोर्चा एनजीओ प्रकोष्ठ।
6- दीपिका वोहरा, जिला पंचायत अध्यक्ष पिथौरागढ़, बीजेपी।
7- चन्द्रकला तिवारी, जिला अध्यक्ष चमोली बीजेपी महिला मोर्चा।
8- दीपिका चुफाल, मंत्री बिशन सिंह चुफाल की पुत्री, बीजेपी के टिकट पर चिटगालगांव से जिला पंचायत चुनाव हारी।
9- राजकुमारी चौहान पत्नी भरत चौहान PRO विधानसभा स्पीकर प्रेम चन्द्र अग्रवाल।
कुछ को छोड़कर बाकी ऐसी, जिन्हें कोई नहीं जानता
संजय भट्ट ने कहा कि 22 महिलाओं में 3-4 महिलाओं को छोड़ कर अन्य महिलाओं को पूरे उत्तराखंड में कोई नहीं जानता है। न ही उनके विषय मे गूगल, सोशल मीडिया पर कुछ उपलब्ध है। उन्होंने कहा, कि आज के युग मे यदि कोई भी व्यक्ति किसी क्ष्रेत्र में कार्य करता है तो गूगल व सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उससे जुड़ी लगभग सारी जानकारी मिल जाती हैं। वहीं, पुष्कर सिंह धामी सरकार की ओर से जारी सूची में अधिकांश उन महिलाओं को रखा गया है, जो भाजपा महिला प्रकोष्ठ की पदाधिकारी हैं। यह तीलू रौतेली पुरस्कार के साथ ही उत्तराखंडियत का अपमान है। उन्होंने कहा कि सम्भवतः 22 में से 15 से 18 महिलाएं भाजपा से हैं या भाजपा के नेताओं की पुत्री-पत्नी हैं।
गलत परंपरा को दिया जन्म
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में एक गलत परम्परा को जन्म दे कर हमारी संस्कृति पर सवाल खड़ा करने का काम कर दिया है। सीएम धामी सहित पूरी चयन समिति को उत्तराखंड की जनता को जबाब देना होगा कि आखिर वो उत्तराखंड में इस प्रकार से वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार को राजनीतिक महिलाओं का पुरस्कार क्यों बना रहे हैं। प्रेस वार्ता में प्रवक्ता संजय भट्ट के साथ प्रदेश कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र बंसल व आप नेता विजय पाठक भी उपस्थित रहे।
तीलू रौतेली एक पराक्रमी महिला
उत्तराखंड में सत्रहवीं शताब्दी में तीलू रौतेली नामक वीरांगना ने 15 वर्ष की आयु में दुश्मनों के साथ 7 वर्ष तक युद्धकर 13 गढ़ों पर विजय पाई थी। वह अंत में अपने प्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हो गई थी। 15 से 20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरांगना है। तीलू रौतेली उर्फ तिलोत्तमा देवी भारत की भारत की रानी लक्ष्मीबाई, चांद बीबी, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल के समान ही देश विदेश में ख्याति प्राप्त हैं।
उत्तराखंड सरकार ने तीलू रौतेली के नाम से शुरू की योजना
इसी बात को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने तीलू देवी के नाम पर एक योजना शुरू की है। जिसका नाम तीलू रौतेली पेंशन योजना है। यह योजना उन महिलाओं को समर्पित है, जो कृषि कार्य करते हुए विकलांग हो चुकी हैं। इस योजना का लाभ उत्तराखंड राज्य की बहुत सी महिलायें उठा रहीं हैं।
राज्यों के प्रमुख सभासद में से थे पिता
तीलू रौतेली के पिता का नाम गोरला रावत भूपसिंह था, जो गढ़वाल नरेश राज्य के प्रमुख सभासदों में से थे। गोरला रावत गढ़वाल के परमार राजपुतों की एक शाखा है जो संवत्ती 817 ( सन् 760) मे गुजर देश (वर्तमान गुजरात राज्य) से गढ़वाल के पौडी जिले के चांदकोट क्षेत्र के गुरार गांव (वर्तमान गुराड गांव) मे गढ़वाल के परमार शासकों की शरण मे आयी। इसी गांव के नाम से ये कालांतर मे यह परमारो की शाखा गुरला अथवा गोरला नाम से प्रवंचित हुई। रावत केवल इनकी उपाधी है।
इन परमारो को गढ राज्य की पूर्वी व दक्षिण सीमा के किलो की जिम्मेदारी दी गयी। चांदकोट गढ, गुजडूगढी आदि की किले इनके अधीनस्थ थे। तीलू के दोनो भाईयो को कत्युरी सेना के सरदार को हराकर सिर काटकर गढ़ नरेश को प्रस्तुत करने पर 42-42 गांव की जागीर दी गयी। युद्ध मे इन दोनो भाईयों (भगतु एवं पत्वा ) के 42-42 घाव आये थे। पत्वा (फतह सिंह ) ने अपना मुख्यालय गांव परसोली या पडसोली(पट्टी गुजडू ) मे स्थापित किया जहां वर्तमान मे उसके वंशज रह रहे है। भगतु (भगत सिंह ) के वंशज गांव सिसई(पट्टी खाटली )मे वर्तमान मे रह रहे है।
कांडा मल्ला में बीता बचपन
तीलू रौतेली ने अपने बचपन का अधिकांश समय बीरोंखाल के कांडा मल्ला, गांव में बिताया। आज भी हर वर्ष उनके नाम का कौथिग ओर बॉलीबाल मैच का आयोजन कांडा मल्ला में किया जाता है। इस प्रतियोगीता में सभ क्षेत्रवासी भाग लेते है।
15 साल की आयु में हुई सगाई
तीलू रौतेली गोरला रावत भूप सिंह (गढ़वाल के इतिहास मे ये गंगू गोरला रावत नाम से जाने जाते है। ) की पुत्री थी। 15 वर्ष की आयु में तीलू रौतेली की सगाई इडा गाँव (पट्टी मोंदाडस्यु) के सिपाही नेगी भुप्पा सिंह के पुत्र भवानी नेगी के साथ हुई। गढ़वाल मे सिपाही नेगी जाति सुर्यवंशी राजपूत है जो हिमाचल प्रदेश से आकर गढ़वाल मे बसे है।
युद्ध भूमि में पराक्रम
पहले तीलू रौतेली ने खैरागढ़ (वर्तमान कालागढ़ के समीप) को कन्त्यूरों से मुक्त करवाया। उसके बाद उमटागढ़ी पर धावा बोला। फिर वह अपने सैन्य दल के साथ “सल्ड महादेव” पंहुची और उसे भी शत्रु सेना के चंगुल से मुक्त कराया। चौखुटिया तक गढ़ राज्य की सीमा निर्धारित कर देने के बाद तीलू अपने सैन्य दल के साथ देघाट वापस आयी। कालिंका खाल में तीलू का शत्रु से घमासान संग्राम हुआ, सराईखेत में कन्त्यूरों को परास्त करके तीलू ने अपने पिता के बलिदान का बदला लिया। इसी जगह पर तीलू की घोड़ी “बिंदुली” भी शत्रु दल के वारों से घायल होकर तीलू का साथ छोड़ गई।
धोखे से किया तीलू पर हमला
शत्रु को पराजय का स्वाद चखाने के बाद जब तीलू रौतेली लौट रही थी तो जल श्रोत को देखकर उसका मन कुछ विश्राम करने को हुआ। कांडा गाँव के ठीक नीचे पूर्वी नयार नदी में पानी पीते समय उसने अपनी तलवार नीचे रख दी और जैसे ही वह पानी पीने के लिए झुकी। उधर ही छुपे हुये पराजय से अपमानित रामू रजवार नामक एक कन्त्यूरी सैनिक ने तीलू की तलवार उठाकर उस पर हमला कर दिया। निहत्थी तीलू पर पीछे से छुपकर किया गया यह वार प्राणान्तक साबित हुआ।कहा जाता है कि तीलू ने मरने से पहले अपनी कटार के वार से उस शत्रु सैनिक को यमलोक भेज दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।