Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 7, 2024

दिवाली पर वनतारा ने बचाए तीन अफ्रीकी हाथी, चार्टर्ड कार्गो विमान से लाए गए भारत

दिवाली के मौके पर तीन अफ्रीकी हाथियों को ट्यूनीशिया से बचा कर भारत के जामनगर स्थित वनतारा में लाया गया है। 28 से 29 वर्ष के इन अफ्रीकी हाथियों में दो मादा और एक नर हाथी है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत मुकेश अंबानी का ड्रीम प्रोजेक्ट वनतारा, दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव बचाव केंद्रों में से एक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दरअसल वनतारा से ट्यूनीशिया के एक निजी चिड़ियाघर ने संपर्क किया था, जो खराब वित्तीय हालात के कारण हाथियों के आहार, आवास और पशु चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा था। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत हाथियों को एक चार्टर्ड कार्गो विमान से भारत लाया गया है। वनतारा अब इन अफ्रीकी हाथियों का नया घर होगा।(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ट्यूनीशिया के चिड़ियाघर फ्रिगुइया पार्क ने लागत कम करने के लिए तीनों अफ्रीकी हाथियों को हटाने का निर्णय कर लिया था। अचटम, कानी और मीना नाम के इन हाथियों को वापस जंगल में छोड़ना संभव नहीं था। ऐसे में उन्हें एक ऐसी जगह की तलाथ थी जहां हाथियों की बेहतर देखभाल हो सके। काफी खोजबीन और जांच पड़ताल के बाद अचटम, कानी और मीना के लिए उन्हें वनतारा में एक नया घर मिल गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वनतारा में अफ्रीकी हाथियों की चिकित्सीय जांच में पता चला है कि अचटम, कानी और मीना कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्हें शारीरिक और मानसिक सहायता की जरूरत है। कुछ मामलों में शल्य चिकित्सा भी करनी पड़ सकती है। वनतारा के पशु चिकित्सक दिन-रात उन पर नजर रखे हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वनतारा ने देशी वनस्पतियों, मिट्टी के तालाबों और खाद्य संवर्धन वाले विशाल बाड़ों को काफी सोच समझ कर डिजाइन किया है। वनतारा में उनका नया घर अचटम, कानी और मीना को ऐसा माहौल देगा जो उनके जंगली आवास से काफी मिलता-जुलता होगा।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page