उत्तराखंड की बेटी वंदना का टोक्यो में धमाल, हॉकी में हैट्रिक लगाकर बनाया इतिहास, प्रदर्शन पर मां बोलीं-ऐसी ही थी उम्मीद
खुश हैं मां, बोलीं-ऐसे प्रदर्शन की थी उम्मीद
वंदना कटारिया के शानदार प्रदर्शन और हैट्रिक से देश के साथ ही उनके परिवार के लोग भी बेहद खुश हैं। वंदना की जीत की खबर सुनते ही भाई ने मां को बताया। इस पर मां ने कहा कि हमें उम्मीद थी वंदना अपने खेल के दम पर भारत के लिए कुछ बेहतर करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वंदना पिता का सपना भी पूरा करेगी।
बताया जा रहा है कि घर के काम निपटा रही मां को भाई ने फोन पर इस बात की खबर दी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां और भाई ने कहा कि जब भारत को महिला हॉकी में अपने आप को पदक की दौड़ में बनाए रखने के लिए यह जीत जरूरी थी, उस वक्त वंदना ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के साथ-साथ उत्तराखंड, हरिद्वार और हम सब का मान बढ़ाया है। कुछ ही महीनों पहले वंदना ने अपने पिता को खोया है।
पिता की थी ये इच्छा
वंदना के पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनें। पिता के इस सपने को साकार करने के लिए भारतीय टीम के कैंप में वंदना ने अपनी तैयारियों के लिए जी-जान एक की। इसी बीच उन्हें पता चला कि अब उनके पिता नहीं रहे। उनकी अंतिम दर्शन और अंतिम इच्छा के बीच वंदना ने अंतिम इच्छा को चुना और तैयारियों में जुटी रहीं। उस वक्त वंदना की मां ने उन्हें मजबूत किया और कहा था कि जिस उद्देश्य के लिए मेहनत कर रही हो पहले उसे पूरा करो, पिता का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।
हाकी के सफर में वंदना को मिला माता-पिता का साथ
वंदना कटारिया का परिवार हरिद्वार के रोशनाबाद में रहता है। हरिद्वार भेल से सेवानिवृत्त के बाद वंदना के पिता ने रोशनाबाद में दूध का व्यवसाय शुरू किया था। उनकी सरपरस्ती में वंदना कटारिया ने रोशनाबाद से अपनी हाकी की यात्रा शुरू की। उस वक्त गांव में वंदना के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ उनका भी मजाक उड़ाया था। पिता नाहर सिंह और माता सोरण देवी ने इसकी परवाह न करते हुए वंदना के सपने को साकार करने के लिए हर कदम पर उसकी सहायता की।
पिता के अंतिम दर्शनों के लिए भी नहीं पहुंच पाई थी वंदना
पिता की मौत के बाद भी बंगलुरू में टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी वंदना कटारिया ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए मैच में शानदार प्रदर्शन कर पिता को श्रद्धांजलि दी है। वंदना का सपना ओलिंपिक में मेडल जीतकर पिता को श्रद्धांजलि देना है। वंदना के पिता की 30 मई को हृदयगति रुकने से निधन हो गया था।
यहां से शुरू हुआ था सफर
हरिद्वार के रोशनाबाद से उनकी हाकी की शुरुआत हुई। इसके बाद वह हरिद्वार में ही हाकी का प्रशिक्षण लेने लगी। प्रोफेशनल तौर पर मेरठ से उनकी हाकी की शुरुआत हुई। इसके बाद वह लखनऊ स्पोर्ट्स हास्टल पहुंची। घर की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण उन्हें अच्छी किट और हाकी स्टिक खरीदने में दिक्कत होती थी। कई ऐसे भी मौके आए जब हास्टल की छुट्टियों में साथी खिलाड़ी घर चले जाते थे, लेकिन पैसे न होने के कारण वह घर नहीं जा पाती थीं। ऐसे में कोच पूनम लता राज और विष्णुप्रकाश शर्मा से उन्हें काफी मदद मिली।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।