उत्तराखंड: त्रिवेंद्र को मिल सकती है चुनाव की जिम्मेदारी, प्रवक्ता का बयान कर रहा इशारा, अनिल बलूनी बन सकते हैं सीएम

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को लेकर अब एक और बड़ी खबर आई है। दिल्ली में उत्तराखंड भाजपा के प्रवक्ता एवं विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने दावा किया कि किसी भी भाजपा नेता की सीएम को लेकर नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या सीएम बने रहेंगे तो उनका कहना था कि इसमें मैं कुछ नहीं कह सकता हूं। ये फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड का होता है। साथ ही उन्होंने इस खबर को भी खारिज किया कि देहरादून में भाजपा विधानमंडल की कोई बैठक नहीं बुलाई गई है। अब मुन्ना सिंह चौहान के बयान के कई मायने लगाए जा रहे हैं।
मुन्ना सिंह चौहान सीएम के बने रहने के सवाल को बखूबी टालते रहे। यानी अभी स्पष्ट नहीं है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पार्लियामेंट्री बोर्ड ही कुछ कहने को अधिकृत है। वो किसी को भी कोई जिम्मेदारी दे सकता है। एसे में सूत्र बता रहे हैं कि पांच राज्यों में चुनाव के चलते भाजपा फूंक फूंक कर कदम रख रही है। यदि सीएम बदले जाते हैं तो उसका ये संदेश न चला जाए कि विधायकों में विद्रोह के चलते ऐसा किया गया है। ऐसे में एक रास्ता ये नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम की जिम्मेदारी से मुक्त कर पार्टी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है और किसी दूसरे को सीएम बनाया जा सकता है। ताकी मुख्यमंत्री बदलने पर भाजपा की बदनामी न हो।
मुन्ना सिंह चौहान ने बार बार जोर देकर यही संदेश देने का प्रयास किया कि किसी भी विधायक की किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज को लेकर किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है। सीएम के बने रहने के सवाल को वे हर बार टालते रहे और ये ही कहते रहे कि नीतिगत निर्णय भारतीय जनता पार्टी में हाईकमान या पार्लियामेंट्री बोर्ड करते हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मुद्दों पर चुनाव प्रक्रिया के दौरान क्या निर्णय लेता है। ये सतत प्रक्रिया है। ये लीडरशिप निर्णय करता है। पार्लियामेंट्री बोर्ड के निर्णय के बारे में सवाल जवाब देने को मैं अधिकृत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि कल त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून पहुंचेंगे। उनके साथ सांसद अनिल बलूनी भी आ रहे हैं। इस वक्त सीएम की दौड़ में वे सबसे आगे हैं। सूत्र बताते हैं कि आलाकमान ने उनके नाम पर मोहर लगा दी है। साथ ही आज दिल्ली में त्रिवेंद्र को उनसे मिलने को कहा गया। तब ही वे बलूनी से साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने गए।
कल शाम देहरादून में सीएम आवास पर विधानमंडल की बैठक की चर्चा थी, इसे पार्टी ने खारिज कर दिया। आज शाम को दिल्ली में भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक प्रस्तावित थी। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही बीएल संतोष ने उत्तराखंड के मुद्दे को लेकर आपस में चर्चा की।
इस बीच सुबह ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक मुन्ना सिंह चौहान, कुछ विधायकों और महापौर सुनील उनियाल गामा के साथ दिल्ली पहुंच गए थे। ये नेता भाजपा के आला नेताओं मिलने का दिन भर प्रयास कर रहे थे। वहीं देर शाम रात आठ बजे सीएम सांसद अनिल बलूनी से मिलने गए। दोनों में करीब आधे घंटे तक बात हुई। इसके बाद सीएम ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी थे।
वहीं, खबर आ रही है कि सीएम त्रिवेंद्र ने अपने विधायकों और प्रदेश भर की नगर निगमों के मेयरों को बुलाया है। सीएम वहां शक्ति प्रदर्शन के जरिये ये संदेश देना चाहते थे कि उत्तराखंड में सबकुछ ठीकठाक है। वहीं विधायकों को बाद में दिल्ली पहुंचने से मना कर दिया गया। वहीं कल सुबह तक सीएम देहरादून पहुंच जाएंगे। खास बात ये है कि राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भी कल सीएम के साथ देहरादून आ रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम पद के लिए उनका नाम लगभग फाइनल हो चुका है। सिर्फ इसकी औपचारिक घोषणा हो सकती है। कल दोपहर तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
नए चेहरे को लेकर अटकलें भी लगनी शुरू हो गई हैं। इनमें सांसद अनिल बलूनी सब पर भारी पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कल चमोली जिले के गैरसैंण में पहुंचे थे। वहां उनका आज सोमवार आठ मार्च को भी कार्यक्रम था। कल ही वे वहां से देहरादून को रवाना हो गए थे। महिला दिवस के मौके पर सीएम के कल और आज गैरसैंण में कार्यक्रम तय थे। कल ही वह गैरसैंण से दो घंटे के बाद वापस आ गए थे। इसके बाद वे पूरी रात भर फाइल निपटाते रहे। आज तड़के ही करीब तीन बजे वह सोने गए। और सुबह साढ़े दस बजे दिल्ली के लिए निकल गए। दिल्ली में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका दौरा सामान्य दौरा है। आला कमान से कुछ मुद्दों पर बात होनी है।
उत्तराखंड में शनिवार से भाजपा की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। उस दिन से ही राजनीतिक अटकलों का दौर जारी रहे। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने विराम लगाने का प्रयास किया, लेकिन जैसे हालात दिख रहे हैं, उससे अंदाजा कुछ और ही लगाया जा रहा है।
बजट सत्र छोड़कर देहरादून पहुंचे थे सीएम और विधायक
शनिवार को एक तरफ चमोली जिले में ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था। उसी दौरान अचानक सीएम सहित अन्य विधायकों को देहरादून पहुंचने का फरमान जारी होता है। इस बैठक के चलते विधानसभा का बजट सत्र भी बीच में छोड़कर सीएम सहित कोर कमेटी के सदस्य विधायक देहरादून कूच कर गए थे। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में बजट सत्र को विभागवार चर्चा होनी थी। आनन फानन बजट पारित कर दिया गया। साथ ही विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। बजट सत्र 10 मार्च तक चलना था। उधर, भाजपा ने पार्टी के विधान मंडल दल की बैठक को लेकर सोशल मीडिया और मीडिया में चल रहे समाचारों को निराधार बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी मनबीर सिंह चौहान ने कहा कि विधान मंडल दल की बैठक आयोजित होने पर सभी सदस्यों को औपचारिक रूप से सूचना दी जाएगी।
हेलीकॉप्टर से दून लाए गए विधायक
इस बीच कोर कमेटी के सदस्य और विधायकों को भराड़ीसैंण से देहरादून हेलीकॉप्टर से लाया गया। वहीं, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तो यूपी के विमान से देहरादून आना था, लेकिन वे देर से देहरादून पहुंचे। वह बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने जौलीग्रांट एयरपोर्ट में इन पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी से भेंट की। उधर, भाजपा के महामंत्री संगठन अजय को भी कोलकाता से विशेष विमान से देहरादून बुलाया गया था। इससे संकेत मिल रहे थे कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
पर्यवेक्षक ने बुलाई थी बैठक
असल में असम चुनाव के लिए लिस्ट फाइनल होते ही भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने पर्यवेक्षक के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को उत्तराखंड भेजा। उन्होंने कोर ग्रुप की बैठक ली। इस बैठक में भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी थे। बाद में ये दोनों नेता फीडबैक लेकर दिल्ली रवाना हो गए थे।
ये प्रचारित किया गया और ये लगाए कयास
बैठक को लेकर मीडिया में प्रचारित किया गया कि भाजपा सरकार के चाल साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उक्त बैठक बुलाई गई। अब ये बात किसी के गले नहीं उतर रही कि चार दिन पहले बजट सत्र समाप्त करने की बैठक के लिए क्या जरूरत थी। ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रीमंडल का भी विस्तार हो सकता है। इसके तहत पांच विधायकों की लॉटरी लग सकती है। इनमें तीन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं, पहले से मंत्री का काम देख रहे दो विधायकों को आगामी चुनाव के मद्देनजर पार्टी में जिम्मेदारी देकर नए विधायकों को उनकी जगह अर्जेस्ट किया जा सकता है। इन कयासों पर ज्यादा दम इसलिए भी नहीं दिखा कि यदि किसी को मंत्री बनाना होता तो उसके लिए पर्यवेक्षक को भेजने की जरूरत नहीं थी।
गले नहीं उतरा तर्क
यहां फिर से सवाल भी उठते हैं कि क्या दो नेता यहां आकर चार साल के कार्यकाल की चर्चा करके चले गए। फिर उन्होंने बंद कमरे में अलग अलग नेताओं से बातचीत क्यों की। यदि जश्न मनाना था तो सामूहिक चर्चा हो सकती थी। क्योंकि भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी ने पहले सभी से भेंट की। बैठक शुरू होते ही कुछ ही देर में यानी दस पंद्रह मिनट बाद मुख्यमंत्री बैठक से चले गए। वहीं, कई लोगों के चेहरे उतरे हुए भी देखे गए। इसके बाद पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी ने सांसद माला राज्य लक्ष्मी और अन्य बड़े नेताओं से अकेले-अकेले बातचीत की। बातचीत करके एक एक नेता कक्ष से बाहर निकलते गए। इसके बाद विधायकों से भी बातचीत करने का कार्यक्रम तय था, लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी कोर कमेटी की बैठक में शामिल थे।
बैठक के बाद फीडबैक लेकर दोनों नेता संघ कार्यालय भी गए। वहां भी संघ के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेकर वे दिल्ली को रवाना हो गए। इससे अभी भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी एक दो दिन के भीतर कुछ भी हो सकता है। भले ही भाजपा के नेता अभी इसे छिपाने में जुटे हैं।
पर्यवेक्षक का काम
भाजपा के रणनीतिक जानकारों के मुताबिक पर्यवेक्षक का काम नेता चुनने में मदद करना होता है। जब कोई नेता बदलना होता है, या फिर पार्टी संगठन में कोई संकट आता है, तब भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है। ऐसे में अचानक पर्यवेक्षक भेजना और विधानसभा सत्र को बीच में ही बैठक तरह तरह की चर्चाओं को हवा दे गया है। बताया ये भी गया कि भाजपा के करीब 22 विधायक विद्रोह की स्थिति में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं।
सीबीआइ केस भी है गले की फांस
सूत्र बताते हैं कि सीएम के खिलाफ हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में स्टे है। इस पर दस मार्च को सुनवाई होनी है। ऐसे में भाजपा हाई कमान आगामी चुनाव को देखते हुए कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। ऐसे में कयास लगाए गए कि इससे पहले नेता बदलने पर विचार हो सकता है।
पर्यवेक्षक और प्रभारी के फीडबैक पर निर्भर
सीएम त्रिवेंद्र का भविष्य पर्यवेक्षक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा प्रदेश प्रभारी दुश्यंत कुमार गौतम की रिपोर्ट के आधार पर तय होगा। इन नेताओं की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही पीएम मोदी को फीडबैक देना था। सूत्र बता रहे हैं कि आज शाम को दिल्ली में पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक होगी। इसमें ही कुछ तय होगा। इस बैठक में तय किया जा सकता है कि आगे क्या होना है। वहीं, बताया गया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी केंद्रीय नेताओं से मिलने दिल्ली रवाना हो गए हैं। अब देखना ये है कि वह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होते हैं या नहीं।
नेता बदलने की भाजपा में पहले से परंपरा
भाजपा में मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा उत्तराखंड के गठन से बाद से ही होती रही है। पहले नित्यानंद स्वामी को हटाकर उनके स्थान पर भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। फिर मेजर जनरल (अ.प्रा.) भुवन चंद्र खंडूड़ी के को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बनाया गया। इसके बाद फिर अगला चुनाव खंडूड़ी के नाम पर लड़ा गया। इसी तरह त्रिवेंद्र सिंह को सीएम बने चार साल पूरे हो रहे हैं। गाहेबगाहे उन्हें बदलने की चर्चा अक्सर उठती रही है। हर बार त्रिवेंद्र विरोधियों को मात देते आते रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
त्रिवेंद्र सिंह जी को तो जाना ही था, साल पहले सही.
बीजेपी का भविष्य अंधकार है उत्तराखण्ड में. केवल कांग्रेस ही बचा सकती है.
Badiya khabar.
अनिल बलूनी का तो कोई जनाधार नहीं है.
अब और लुटिया डूबेगी.