उत्तराखंडः फिलहाल चुनाव से बचना चाहेंगे तीरथ, उनके कार्यकाल के पांच माह बाद ही होगी तस्वीर साफ

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद से ही मीडिया में ये खबर सुर्खियां बनी है कि आखिर नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। उत्तराखंड में आम चुनाव के लिए नौ माह का वक्त बचा है और सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए चुनाव में जाने के लिए छह माह का। फिर सवाल उठता है कि वे तीन माह के लिए आखर चुनाव में क्यों जाना चाहेंगे। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनने के छह माह होने से ठीक एक दिन पहले विधान परिषद की सदस्यता ली थी। वहीं, इसके तीन दिन बाद 21 सितंबर को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था।
योगी को 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया था। उन्होंने 18 सितंबर को विधानपरिषद की सदस्यता ली थी। 21 सितंबर 17 को लोकसभा से इस्तीफा दिया था।
ऐसे में सवाल है कि आखिर तीरथ सिंह रावत के लिए जब कार्य करने के लिए छह माह हैं तो चुनाव में जाने, प्रचार अभियान में जुटने, लोकसभा से इस्तीफा देने और फिर लोकसभा के चुनाव में भाजपा क्यों उलझना नहीं चाहेगी। फिर जहां से वे चुनाव लड़ेंगे, वहां आचार संहिता लग जाएगी। फिर लोकसभा चुनाव होते हैं तो वहां भी उस सीट के क्षेत्र में आचार संहिता लगेगी। ऐसे में पौड़ी संसदीय सीट के काम भी रुक जाएंगे।
इसके विपरीत भाजपा के पास तीरथ सिंह रावत के लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा न देकर छह माह तक कार्य करने का विकल्प है। इन छह माह में सरकार और संगठन का पूरा जोर पिछली सरकार के कार्यों की कमियों को दूर करना और जनता को नए वादों, घोषणाओं के साथ ही निर्णयों से जनता को लुभाना होगा। इस विकल्प से लोकसभा की सीट भी बची रह सकती है।
इसका उदाहरण योगी आदित्यनाथ भी हैं। जब तक उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा नहीं दिया, तो तब बजट सत्र के दौरान वह लोकसभा के सत्र में भी गए थे। ऐसे में छह माह तक मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास कार्य करने का मौका है। इसके बाद वह कार्यवाहक सीएम हो सकते हैं। या फिर छह माह या नौ माह बाद भाजपा सीधे आम चुनाव में उतर सकती है।
वहीं, इन दिनों चर्चाओं का दौर चला हुआ है कि आखिर तीरथ सिंह रावत किस सीट के विधायक का चुनाव लड़ सकते हैं। इसके लिए कयासों का दौर जारी है। सल्ट विधानसभा खाली है। इसके बावजूद कभी कोई, तो कभी कोई विधायक सीट छोड़ने की बात कर रहा है। वहीं, सीट छोड़ने की बात कुछ इसलिए हजम नहीं हो रही है कि ऐसी परिस्थिति में तीन चुनाव पर भाजपा जाएगी। एक सल्ट, दूसरा तीरथ, तीसरा लोकसभा का चुनाव। ऐसे में यदि चुनाव लड़ना होगा तो तीरथ के पास सल्ट सीट से चुनाव लड़ना ही बेहतर विकल्प है। यदि चुनाव होते भी हैं तो तीरथ के पांच माह का कार्यकाल पूरा होने के बाद हो सकते हैं। यानी उनके कार्यकाल का समय छह माह होने से पूर्व चुनाव पर जा सकते हैं। ताकि वोट मांगने के लिए कुछ उपलब्धियां बताई जा सके।
ये था राजनीतिक घटनाक्रम
गौरतलब है कि छह मार्च को केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। इसके बाद मंगलवार नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। आज ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले गए। बंशीधर भगत की जगह मदन कौशिक को उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वहीं, तीरथ के मंत्रिमंडल में 11 सदस्यों ने आज शपथ ली। इनमें आठ कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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