परिसंपत्तियों के बंटवारे में उत्तराखंड को हुआ नुकसान, पूरा पैसा लिया नहीं और वाहवाही लूट रही सरकारः लालचंद शर्मा

उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन किया गया था। उस समय की अधिसूचना में चार केंद्रीय परिसंपत्तियों चयनित की गई। इसमें कश्मीरी गेट स्थित गेस्ट हाउस, कानपुर केंद्रीय कार्यशाला, कानपुर बॉडी वर्कशॉप तथा लखनऊ स्थित मुख्यालय एवं कार सेक्शन उक्त परिसंपत्तियां थी। इसमें उत्तराखंड परिवहन निगम का अंश 13.34 अधिसूचित किया गया था। साथ ही तय किया गया कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से उक्त परिसंपत्तियों के मूल्य का बाजार भाव नगद उत्तराखंड परिवहन निगम को शेयर अनुसार भुगतान करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उक्त अधिसूचना का उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा पालन नहीं किया गया। ऐसे में कर्मचारी यूनियन की ओर से अधिसूचना का पालन कराने तथा उत्तराखंड परिवहन निगम को उसके लगभग 700 करोड़ भुगतान कराने के लिए उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका दाखिल की गई। न्यायालय द्वारा प्रथम किश्त के रूप में लगभग ₹280000000 का भुगतान करने के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को निर्देश दिए। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार उक्त निर्णय के विरोध में उच्चतम न्यायालय चली गई। सभी साक्ष्य उत्तराखंड परिवहन निगम के पक्ष में थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा भी उक्त अधिसूचना को लागू करने के निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार एवं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को किए गए। ऐसे में यूपी और उत्तराखंड सरकार ने आपस में मीटिंग कर इस प्रकरण को 205 करोड रुपए में सेटल कर दिया। जिसका भुगतान 105 करोड रुपए खाद विभाग से तथा 100 करोड रुपए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से उत्तराखंड परिवहन निगम को प्राप्त हो गए। ऐसे में करोड़ों रुपए का नुकसान उत्तराखंड परिवहन निगम का हुआ है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।