उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने प्रदेश सरकार पर जताई नाराजगी, जानिए कारण
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने आंदोलनकारियों को लेकर राज्य सरकार की धीमी चाल पर नाराजगी जताई। राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण को लेकर आंदोलनकारी संयुक्त मंच के तत्वावधान में देहरादून स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें आंदोलनकारियों के संदर्भ में सरकार की ओर से लिए गए निर्णयों पर कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ने पर रोष भी व्यक्त किया गया। (खबर जारी अगले पैरे में देखिए)
आंदोलनकारियों ने सरकार की ओर से कृषि मंत्री सुबोध उनियाल नीत मन्त्रिमण्डलीय उप समिति की सिफारिशों को मंजूरी दिये जाने का स्वागत तो किया, लेकिन इस बात पर निराशा व्यक्त की कि 13 मार्च को गैरसैंण में आयोजित कैबिनेट बैठक को हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। अब तक धरातल पर कुछ भी ठोस होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। (खबर जारी अगले पैरे में देखिए)
आंदोलनकारियों ने कहा कि हम सरकार से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। एक बार 42 दिनों तक धरना दे चुके हैं। मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर चुके हैं। अभी तक आश्वासन अथवा सहमति के अतिरिक्त कुछ भी हमारे हाथ नहीं आया है। हमारी समझ में यह नहीं आ रहा है कि नौकरशाही सरकार को गुमराह कर रही है या फिर सरकार स्वयं ही भ्रम की स्थिति में है ? (खबर जारी अगले पैरे में देखिए)
आंदोलनकारियों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा जो स्वयं कानून के अच्छे जानकार हैं, उनकी सबल पैरवी के पश्चात भी आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण देने की पत्रावली इधर उधर कैसे झूल रही है। स्वयं मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डालने का सम्भवतः यह पहला उदाहरण होगा। (खबर जारी अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अतः सरकार स्पष्ट करे कि वह वास्तव में करना क्या चाहती है। आंदोलनकारियों ने कहा है कि यदि एक सप्ताह में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो हम पुनः आंदोलन की राह जाने को विवश हो जायेंगे। प्रैस वार्ता को संबोधित करने वालों में क्रान्ति कुकरेती, डीएवी महाविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पोखरियाल (पप्पू), मोहन रावत, अम्बुज शर्मा आदि आंदोलनकारी थे। इस मौके पर पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष विजय प्रताप मल्ल, आशीष उनियाल, हरदीप सिंह लक्की, विनोद असवाल, प्रताप सिंह, मनोज कुमार, वीरेन्द्र रावत, राम किशन, आदि आंदोलनकारी मौजूद थे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।