उत्तराखंडः चार साल के जश्न की तैयारी, तीरथ पर त्रिवेंद्र भारी, करोड़ों खर्च के बाद सीएस ने किए ये आदेश, सौ दिन पर होगा कार्यक्रम
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के चार साल के कार्यक्रम में भी नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भारी पड़ गए। 18 मार्च को प्रदेश भर की 70 विधानसभाओं में आयोजित होने वाले कार्यक्रम को अचानक निरस्त करना इसकी तस्दीक कर रहा है। अब इस दिन कार्यक्रम होता है तो उसका स्वरूप कैसा होगा, ये अभी तय नहीं हो पाया है। फिलहाल राज्य की 70 विधानसभाओं को मुख्यमंत्री की ओर से एक साथ संबोधित करने के कार्यक्रम को निरस्त कर दिया गया है। अब बताया जा रहा है कि तीरथ सरकार के सौ दिन पूरे होने पर कार्यक्रम होगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के चार साल 18 मार्च को पूरे होने जा रहे हैं। सरकार के चार साल होने पर पिछले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 70 विधानसभाओं को एकसाथ संबोधित करने का कार्यक्रम तय किया था। तीरथ सरकार ने इसी कार्यक्रम में हल्का फेरबदल कर दिया था। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत 70 विधानसभाओं को अपनी विधानसभा डोईवाला से संबोधित करते। नए सीएम ने कार्यक्रम का स्थल बदलकर रायपुर विधानसभा कर दिया गया था। इससे नए सीएम तीरथ सिंह रावत की ओर से नाराज विधायकों को साधने की दिशा में भी एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा था।
ये था तय कार्यक्रम
कार्यक्रम को पूरा सरकारी स्वरूप दिया जा रहा था। उत्तराखंड सरकार के 4 साल पूरे होने को लेकर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को लेकर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी 12 मार्च को आदेश जारी कर दिए थे। आदेश में कहा गया था कि 18 मार्च को राज्य की सभी 70 विधानसभा क्षेत्र में एक समय में आयोजित होगा। सरकार के 4 साल पूरे होने के कार्यक्रम कार्यक्रम की अध्यक्षता संबंधित विधानसभा के विधायक करेंगे। इसके अलावा आयोजन समिति के अध्यक्ष संबंधित क्षेत्र के विधायक होंगे। 11:00 बजे से कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा।
सीएम का दोपहर साढ़े 12 बजे से कार्यक्रम
मुख्यमंत्री की ओर से रायपुर विधानसभा क्षेत्र से 12:30 बजे संबोधन किया जाना तय था। इसका सजीव प्रसारण किया जाना था। वे सभी विधान सभा क्षेत्रों में एकसाथ संबोधित करते। इस लाइव प्रसारण के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में एलईडी डिश आदि की व्यवस्था सूचना विभाग के माध्यम से की जा रही थी। कार्यक्रम के स्थानीय स्तर पर प्रचार प्रसार के लिए अतिरिक्त धनराशि सूचना विभाग की ओर सेआवंटित की जा चुकी है।
अब आए ये आदेश
अब मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से इस कार्यक्रम को स्थगिति करने के आदेश आज 13 मार्च को जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि 18 मार्च को विधानसभावार प्रस्तावित कार्यक्रमों को अपरिहार्य कारणों से निरस्त किया जाता है।
तीरथ पर त्रिवेंद्र पड़े कार्यक्रम
कार्यक्रम स्थगन को लेकर जो बड़ी बात सामने आई, वो ये है कि सूचना विभाग ने कम समय पर आयोजन की तैयारी में हाथ खड़े कर दिए। इस आयोजन में हर विधानसभा की उपलब्धियों की बुकलेट प्रकाशित की गई। इसे सूचना विभाग से प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया जा रहा है कि करोड़ों रूपये खर्च हो चुके हैं। एक विधानसभा में दस हजार बुकलेट बांटी जानी थी। यानी 70 विधानसभाओं में कुल सात लाख बुकलेट बंटनी थी। ये छपकर भी आ चुकी थी। अब दिक्कत ये आई कि बुकलेट में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही स्थानीय विधायकों को फोटो है। बैनर आदि में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत की फोटो है, जबकि अब सीएम तीरथ सिंह रावत हैं। ऐसे में पुरानी छापी गई सामग्री कबाड़ हो गई।
अब नए सीएम की फोटो के साथ बुकलेट आदि प्रकाशित होनी थी। दोबारा से बुकलेट के साथ ही झंडे, बैनर आदि प्रकाशित करने का वक्त नहीं बचा। 18 मार्च तक इसका प्रकाशित होना मुश्किल लग रहा है। सूत्र बताते हैं कि तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव ने सूचना विभाग के अधिकारियों से बैठक की। जब इस बात का खुलासा हुआ तो कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
अब सौ दिन पूरे होने पर होगा आयोजन
अब बताया जा रहा है कि तीर्थ सरकार के सौ दिन पूरे होने पर ये कार्यक्रम आयोजित होगा। भाजपा विधायकों की पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराजगी इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें सरकार के चार साल पूरे होने से नौ दिन पहले ही नौ मार्च को हाईकमान के आदेश पर इस्तीफा देना पड़ा। उनके स्थान पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। अब तीरथ सिंह रावत के समक्ष नाराज विधायकों को साधने की चुनाती भी है। हालांकि उन्होंने मंत्रिमंडल में कांग्रेस से उन्हीं पांच चेहरों को फिर से मौका दिया, जो पहले भी त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में शामिल थे। साथ ही अब दूसरे विधायकों को साधने के प्रयास कर दिए हैं।
सीएम ने चुनी थी रायपुर विधानसभा
चार साल के कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रायपुर विधानसभा ही चुनी थी। रायपुर विधानसभा के विधायक उमेश शर्मा काऊ हैं। वह वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। उस दौरान करीब 11 विधायकों ने एक साथ कांग्रेस छोड़ी थी। कांग्रेस छोड़कर आए अधिकांश विधायकों ने वर्ष 2017 के चुनाव में जीत हासिल तो कर ली, लेकिन कई विधायक खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे।
नहीं हुए काम, लगते रहे अड़ंगे
रायपुर विधानसभा की ही बात करें तो यहां के विधायक उमेश शर्मा काऊ वर्ष 14-15, 15-16 और इसके बाद की भी विधायक निधि को पूरी तरह खर्च नहीं कर पाए। इससे पहले वह जिस गति से विकास कार्यों को अंजाम दे रहे थे, भाजपा में आने के बाद तो उसमें लगभग ब्रेक सा लग गया। तब वह शहरी विकास विभाग पर ही आरोप लगाते रहे कि उनके कार्यों को वहीं से अड़ंगा लग रहा है। ऊर्जा निगम के कार्यों के लिए विधायक निधि तो कट गई, लेकिन काम एक इंच नहीं हुआ। इसी तरह एमडीडीए आदि के प्रकरण में तो कुछ नेताओं के ही विभाग में फोन आ जाते थे। इसके काम नहीं हो रहे थे। तब शहरी विकास विभाग मदन कौशिक देख रहे थे, जो अब मंत्रिमंडल से बाहर हो गए और उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि भाजपा के कुछ नेता कांग्रेस पृष्ठभूमि के विधायकों को पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में भीतरखाने ही उनका समय समय पर विरोध होता रहा है। ऐसे में वे भी एकजुट होकर सीएम त्रिवेंद्र के विरोध में उतर आए।
कार्यक्रम से थी उम्मीद
निजाम बदलते ही अब रायपुर विधानसभा के दिन भी बहुरने की उम्मीद लगाई जा रही थी। 18 मार्च को रिंग रोड स्थित जहां भाजपा का प्रदेश कार्यालय प्रस्वावित है, वहां सरकार के चार साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित होना था। इसकी अध्यक्षता रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ को करनी थी। साथ ही उम्मीद जताई जा रही थी कि उस दिन मुख्यमंत्री रायपुर क्षेत्र के लिए कोई घोषणा कर सकते हैं। फिलहाल कार्यक्रम निरस्त हो गया। अब बताया जा रहा है कि तीरथ सरकार के सौ दिन पूरे होने पर कार्यक्रम होगा।
ये था राजनीतिक घटनाक्रम
गौरतलब है कि छह मार्च को केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। इसके बाद मंगलवार नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। आज ही सुबह 12 मार्च को बंशीधर भगत को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष पद से मुक्त करते हुए मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इसी दिन शाम को तीरथ के मंत्रिमंडल ने शपथ ली। इनमें आठ कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री शामिल थे। इन मंत्रियों में पांच वे हैं कांग्रेस शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।