साइबर अटैक के बाद उत्तराखंड पुलिस ने पांच राज्यों से मांगे सुझाव
उत्तराखंड में हाल ही में साइबर अटैक के चलते राज्य के कई सरकारी बेवसाइट कुछ दिन तक बंद रही। हालांकि, बाद में इसे दुरुस्त करने का दावा कर लिया गया। साथ ही कहा गया कि सुरक्षा के चलते बेवसाइट को अस्थायी तौर पर बंद किया गया था। सारा डाटा वापस ले आए हैं। फिर भी इस साइबर हमले ने सरकार के साथ ही पुलिस तंत्र के कान खड़े कर दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साइबर अपराधों की चुनौतियों से निपटने के लिए अपने साइबर अपराध तंत्र को सशक्त करने की दिशा में उत्तराखंड पुलिस भी प्रयासरत है। इसके तहत पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने पांच राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर साइबर अपराधों के प्रभावी नियंत्रण के लिए उनके राज्य में उठाए जा रहे कदमों की विस्तृत जानकारी मांगी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्र में विगत तीन वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत पंजीकृत साइबर अपराधों के साथ-साथ अन्य संबंधित भारतीय दंड संहिता (IPC) और बीएनएस (BNS) के तहत अपराधों की जानकारी मांगी गई। इसमें प्रत्येक राज्य से संख्यात्मक विवरण प्रदान करने की अपील की गई है। ताकि साइबर अपराधों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साथ ही इन राज्यों में पुलिस स्टेशन, जिला और राज्य स्तर पर साइबर अपराधों के नियंत्रण के लिए बनाए गए तंत्र की जानकारी भी मांगी गई। इसमें साइबर अपराध इकाइयों की स्थापना, प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति और उपलब्ध
तकनीकी संसाधनों का विवरण आदि शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किसी भी बड़े साइबर संकट जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले, डेटा उल्लंघन और रैंसमवेयर जैसी घटनाओं से निपटने के लिए अपनाए गए प्रोटोकॉल एवं व्यवस्थाओं की जानकारी भी मांगी गई है। इसके अतिरिक्त, संकट प्रबंधन टीम और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों या राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी के विवरण की भी माँग की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने बताया कि यह पहल उत्तराखंड राज्य में साइबर अपराधों की रोकथाम और उन पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की दिशा में उठाई गई है। अन्य राज्यों से प्राप्त जानकारी के आधार पर उत्तराखंड पुलिस साइबर अपराध से निपटने की अपनी कार्यप्रणाली में आवश्यक सुधार और बदलाव करेगी। साथ ही यह आपसी सहयोग राज्यों के बीच साइबर अपराधों की चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस क्षेत्र में उभरते नए खतरों को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकेगा।
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