18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने जिलों में दिया धरना, 27 सितंबर को रैली
उत्तराखंड में विभिन्न 18 सूत्रीय मांगों को लेकर गठित किए गए साझा मंच उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के तत्वावधान में दूसरे चरण का आंदोलन आज सोमवार यानी 20 सितंबर से शुरू हो गया है।

राज्य के कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारियों के साझा मंच के तत्वावधान में प्रदेश भर में मांगों के समर्थन में आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलन के पहले चरण में सरकारी कार्यालयों के समक्ष गेट मीटिंग के आयोजन किए गए। इस दौरान समिति के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों से वार्ता भी की। हर तरफ से सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन तो मिला, लेकिन अभी तक शासन और कर्मियों के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू नहीं हो पाया है। अब आंदोलन का दूसरा चरण आज 20 सितंबर से शुरू किया गया है।
इसके तहत देहरादून में परेड मैदान में कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी धरने पर बैठे। कर्मचारियों ने बताया कि 27 सितंबर को जनपद स्तरीय रैलियां निकाली जाएंगी। साथ ही जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे जाएंगे। पांच अक्टूबर को देहरादून राजधानी में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली प्रस्तावित है। उसी दिन आगामी अनिश्चित कालीन आन्दोलन की घोषणा की करने की कार्मिकों की रणनीति है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आज प्रदेश के समस्त जनपदों में राज्य कर्मी शिक्षक एंव निगम/निकाय कर्मी आदि एकत्र होकर समन्वय समिति की ओर से घोषित कार्यक्रम के तहत धरने का आयोजन कर रहे हैं। आरोप लगाया कि जब कभी भी कार्मिकों की मांगो को पूर्ण किये जाने की बात उठती है तो प्रदेश का वित्त विभाग सदैव ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति का रोना रोता है। आने वाला वास्तविक व्यय वित्त विभाग के अनुमान से काफी कम होता है। जैसे कि एसीपी को ही ले लिया जाय तो उसको लागू किये जाने से उस पर आने वाला व्यय वित्त विभाग की ओर से कई गुना बताया जा रहा है। इसके विपरीत इसका लाभ मात्र पदोन्नति से वंचित कार्मिकों को ही मिलना है। इनकी संख्या अत्यन्त कम है। इसी प्रकार शीथिलीकरण को लागू करने पर किसी प्रकार का वितीय भार नहीं आना है। साथ ही गोल्डन कार्ड की सुविधा के लिए राज्य कर्मी एंव पेशनर अपने वेतन एंव पेशन से धनराशि प्रतिमाह जमा कर रहे हैं। लगभग अन्य समस्त मांगों को पूर्ण करने पर भी न्यूनतम वितीय भार आने की सम्भावना है।
धरने को सम्बोधित करते हुए रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रान्तीय महामंत्री दिनेश पंत ने कहा कि राज्य सरकार सदैव निगम कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार करती रही है। इसके परिणामस्वरूप आज तक उन्हें सातंवे वेतन आयोग के आधार पर मकान किराया भत्ता नहीं मिला। साथ ही उनका उत्पीडन करते हुए उन लोगों को पुर्व में अनुमन्य एसीपी के भुगतान की कटौती प्रारम्भ कर दी गयी है। जिससे प्रत्येक कार्मिक से लगभग पांच से दस लाख तक की कटौती की जानी है। पंत ने कहा कि एसीपी की अनुमन्यता शासनादेशों के अनुरूप ही समस्त वित्तिय एंव प्रशासनिक औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरान्त ही की गयी थी। अब उसकी कटौती करने से इस पूरी प्रक्रिया में कोई योगदान न देने वाले कार्मिक को उसका दण्ड भुगतना पड रहा है। इससे समस्त पीड़ित कार्मिक अत्यधिक आर्थिक कठिनाई से गुजर रहे हैं। अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि कोई भी निगम प्रबन्धन की कमी से घाटे में जाता है न कि कर्मचारियों के कारण।
उन्होंने कहा कि इस बात के कई उदाहरण है कि जब-ंउचयजब निगम घाटे में गए हैं तो कहीं न कहीं प्रबन्धन अथवा सरकार की ओर से स्वेछाचारिता से किये गये निर्णय ही उसके लिए कारण रहे हैं। इसके अतिरिक्त निगमों के घाटे में जाने के कारण हर दो से छः माह की अवधि पर प्रबन्धन में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानान्तरण भी हैं। इस सम्बन्ध में अवश्य ही उच्च स्तर से निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है।
समिति के सदस्यों ने बताया कि मुख्य सचिव के आमत्रण पर समन्वय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल दिनांक 10 सितंबर को उनसे सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में मिला। समन्वय समिति के मांगपत्र पर विस्तार से चर्चा की। जिसमें मुख्य सचिव ने अत्यन्त ही सकारात्मक रूख दिखाया। इसके बावजूद उनके आश्वासन के उपरान्त भी आज तक महंगाई भत्ते का शासनादेश जारी नहीं किया गया है। इससे मुख्य सचिव के आश्वासन के पूरे होने पर प्रश्न चिह्न लगता है।
ये रहे उपस्थित
आज के धरने में अरूण पाण्डेय, सुनील कोठारी, नन्दकिशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भटट, पंचम सिहं विष्ट, हरीशचन्द्र नौटियाल, पूर्णानन्द नौटियाल, निशंक सरोही, आरपी जोशी, विक्रम सिहं नेगी दीपचन्द बुडलाकोटी, दिनेश पंत, गुडडी मटुडा, रामकृष्ण नौटियाल, बीएस रावत, चौधरी ओमवीर सिंह, दीप चन्द बुडलाकोटी, दिनेश पंत, दिशा बडोनी, मेजपाल सिहं, अनिल धीमान, प्रेम सिहं रावत, राकेश रावत, एमआर खडूडी, सांतनू शर्मा, संजीव मिश्रा,
राकेश ममगाई, प्रताप सिहं रौथाण इत्यादि कर्मचारी नेताओं ने प्रतिभाग किया। संचालन राकेश पेटवाल ने किया।
दोहराई गई ये मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाए।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-केन्द्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए 11 फीसद मंहगाई भत्ते की घोषणा शीघ्र की जाए।
5-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
6-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
7-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
8-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
10-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
11-सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों (शहरी विकास विभाग, पर्यटन विभाग, परिवहन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग आदि) के निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्थाई रूप से अधिकृत कर दिया जाए।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।