Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

February 6, 2025

सरकार भरोसे नहीं, राम भरोसे चल रहा है उत्तराखंड: गरिमा मेहरा दसौनी

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे लैंसडाउन के भाजपा विधायक दिलीप सिंह रावत की ओर से सड़क परिवहन विभाग के अधिकारी को सरेआम धमकाने वाले दुस्साहसी वीडियो पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसौनी ने कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता के दौरान उत्तराखंड में लगातार भाजपा के मंत्रियों और विधायकों द्वारा किए जा रहे सत्ता के नग्न प्रदर्शन पर भाजपा को घेरा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि आज लगातार उत्तराखंड भाजपा के बाहुबली मंत्रियों और विधायकों की वजह से राष्ट्रीय पटल पर शर्मसार हो रहा है। कहा कि एक जनप्रतिनिधि का आचरण युवा पीढ़ी के लिए अनुसरणीय और अनुकरणीय होना चाहिए और एक जनप्रतिनिधि से अपेक्षाएं और भी बढ़ जाती है यदि वह एक महंत हो। वहीं, उत्तराखंड में जिस तरह से लगातार अधिकारियों के बेलगाम होने की चर्चाएं होती हैं, उसके उलट बेलगाम, निरंकुश और सत्ता के अहंकार में आकंठ डूबे हुए मंत्री और विधायक नजर आ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि यदि प्रदेश के मुखिया और भाजपा संगठन के मुखिया ने शुरुआती दौर में ही इन प्रकरणों को गंभीरता से लिया होता तो लगातार इस तरह की घटनाओं में इजाफा नहीं होता। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि चाहे वह देहरादून के अंसल ग्रीन वैली में उद्योगपति प्रवीण भारद्वाज के यहां एक मंत्री के इशारे पर पांच पार्षदों के द्वारा घर पर किया गया हमला हो, या फिर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा सरे बाजार एक व्यक्ति को पीटे जाने का प्रकरण हो। भाजपा ने किसी भी स्तर पर इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया और कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आए दिन उत्तराखंड में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच में खाई बढ़ती चली जा रही है। इसका कारण भाजपा के वर्तमान जनप्रतिनिधियों का बर्ताव भी है। एक तरफ उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की तैयारी कर रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। कभी देहरादून के एक ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े 28 करोड़ की डकैती हो जाती है, तो कभी उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 17 दिनों तक 41 मजदूर फंसे होने की वजह से उत्तराखंड की राष्ट्रीय पटेल पर फजीहत होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा की जैसे ही टनल का प्रकरण सुलझा तो उत्तरकाशी के एक रिसॉर्ट में 19 वर्षीय अमृता की हत्या के प्रकरण ने उत्तराखंड को झकझोर दिया है। यदि अंकिता भंडारी के प्रकरण को सरकार और प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए अंकिता के हत्यारे और दुष्कर्मियों को सख्त से सख्त सजा दिलवा दी होती और उत्तराखंड की आत्मा को छलनी कर देने वाली उस घटना पर कंबल डालने का प्रयास न किया होता तो आज उत्तरकाशी के रिसोर्ट में 19 वर्षीय अमृता को बचाया जा सकता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि अमृता हत्याकांड में आरोपियों के मंसूबे इसीलिए मजबूत हुए, क्योंकि अंकिता के अपराधियों को उत्तराखंड आज तक सजा नहीं दिलवा पाया है। दसौनी ने कहा कि आज महिला अपराध में उत्तराखंड ने यूपी और बिहार को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड की बेटियां लगातार उत्पीड़न और शोषण का शिकार हो रही हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ नारा बन कर रह गया है। जुमलेबाजों के मुंह पर अंकिता भंडारी और उत्तरकाशी का अमृता प्रकरण एक तमाचे के समान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा की उत्तराखंड सरकार पिछले आठ वर्षों से एक लोकायुक्त उत्तराखंड में नियुक्त नहीं कर पाई है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी सरकार लगातार समय मांग रही है। पिछले वर्ष अगस्त 2022 में हाईकोर्ट ने सख्ती से आदेश दिए थे कि सरकार तीन महीने के अंदर उत्तराखंड में लोकायुक्त नियुक्त करें, लेकिन सरकार ने उच्च न्यायालय से अब अगले वर्ष मार्च तक का मांगा है। इससे पता चलता है कि धामी सरकार की प्राथमिकताएं क्या है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा की उत्तराखंड की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। सरकार अब तक उत्तराखंड को एक पूर्णकालिक डीजीपी तक का नाम तय नहीं कर पाई है। वहीं पूर्व डीजीपी जाते-जाते उत्तराखंड में सफेद पोस्ट अपराध व्याप्त होने की बात कह चुके हैं। दसौनी ने कहा कि पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने अपनी विदाई से पहले जिस तरह से प्रदेश में भू माफिया, खनन माफिया, शराब माफिया, परीक्षा माफिया इत्यादि के हावी होने की बात स्वीकार की है, वह सीधे-सीधे विपक्ष के द्वारा लगातार लगाए जा रहे आरोपो की पुष्टि करता है। साथ ही सरकार की संवेदनहीनता को समझा जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा की प्रदेश में नगर निकाय, नगर पालिकाएं, नगर निगम अध्यक्ष और मेयर विहीन हो चुकी हैं। प्रदेश के विद्यालयों से हेड मास्टर प्रधानाचार्य नदारद हैं। उत्तराखंड के विद्यालय क्लर्कों के हवाले कर दिए गए हैं। उत्तराखंड भ्रष्टाचार और घोटालों का प्रदेश बन गया है। ऐसे में दोनों महत्वपूर्ण पदों लोकायुक्त और “पूर्णकालिक” डीजीपी का न होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। ऐसे में साफ है कि उत्तराखंड सरकार भरोसे नहीं राम भरोसे चल रहा है। ऐसे में इन्वेस्टर समिट के के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड को सबसे मुफीद प्रदेश कैसे बता सकते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page