उत्तराखंड को भारत सरकार ने स्वास्थ्य के लिए दिए 699.77 करोड़, एएनएम और स्टाफ नर्स सहित भरे जाएंगे कई बंपर पद
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारत सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी। आज नई दिल्ली में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारियों के साथ उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में प्रस्तावित उन सभी महत्त्वपूर्ण योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी, जिनके लागू होने से उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास एवं विस्तार को गति मिलेगी।
भारत सरकार के साथ सम्पन्न बैठक में राज्य सरकार की ओर से प्रभारी सचिव डॉ. पवाज कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एवं प्रभारी अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
एनएचएम की वार्षिक कार्ययोजना को स्वीकृति मिलने पर प्रभारी सचिव एवं अध्यक्ष, राज्य स्वास्थ्य समिति, एचएमएन ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि इस वर्ष उत्तराखंड के लिए 699.77 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। राज्य की ओर से प्रस्तावित सभी प्रस्तावों को भारत सरकार से मंजूरी प्रदान कर दी गयी है। डॉ. पाण्डेय ने पीआईपी के अनुमोदन को उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है।
भारत सरकार के निर्णयों की जानकारी देते हुए निदेशक एनएचएम डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि इस वर्ष की कार्ययोजना निम्न महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए स्वीति प्रदान की गयी है-
ये होंगे काम
-राज्य में संचालित हैल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टरों में 500 नए कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर्स की तैनाती।
-राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत 400 एएनएम तथा 158 स्टाफ नर्सों की संविदा पर नियुक्ति की मंजूरी।
-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत एक नई टीम की तैनाती की स्वीकृति। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में 139 आरबीएसके टीम कार्य कर रही है।
-जनपद बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, टिहरी व उत्तरकाशी के लिए डायलिसिस यूनिट की मंजूरी (3 डायलिसिस मशीन/यूनिट अनुसार)
-108 आपातकालीन सेवा को प्रदान किए गए 132 नई एबुलेंस के संचालन एवं रख-रखाव को बजट लगभग रू 18.50 करोट स्वीकृत।
-बच्चों एवं शिशुओं को उपचार के दौरान बड़े अस्पतालो (Tertiary care Hospital) को रेफर करने पर रेफरल ट्रांसपोर्ट की सुविधा।
-सरकारी अस्पतालों में उपचार लेने वाले सभी मरीजों के लिए रैफरल लिंकेज की सुविधा।
-प्रसव उपरांत जच्चा बच्चा को घर तक छोड़ने के लिए खुशियों की सवारी को मंजूरी दे दी गयी है।
-राज्य में स्थापित 29 एफआरयू को क्रियाशील बनाने के लिए प्रस्तावित बजट की मंजूरी तथा 05 अतिरिक्त एफआरयू की स्वीकृति भी दी गयी है।
-ढवाल एवं कुमायूं मण्डल में 1-1 कार्डियक केयर यूनिट को पीपीपी मॉडल के तहत खोले जाने की मंजूरी।
-वार्षिक कार्ययोजना के अन्तर्गत लगभग रू0 700 करोड़ के बजट की मंजूरी के बारे में जानकारी देते हुए निदेशक एनएचएम डॉ० सरोज नवानी ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा राज्य में संचालित 54 डिलीवरी केन्द्रों तथा 29 एफआरयू को को सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण सुझाव पीआईपी में प्रस्तावित किया गया था, इसके लिए भारत सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग प्रदान किए जाने का अनुमोदन कर दिया गया है। विदित है कि डिलीवरी केन्द्रों एवं एफआरयू की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के कारण राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायता मिल रही है।
डा. नैथानी ने बाल स्वास्थ्य में सुधार के लिए जनपद पौडी, चमोली व टिहरी के लिए स्वीकृत 9 आरबीएसके टीमों की मजूरी को इस कार्यक्रम के लिए उपयोगी बताया है। इसी प्रकार बीमार बच्चों को अस्पतालों में उपचार हेतु रेफर किए जाने के दौरान रेफरल वाहन की स्वीकृति को भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए उपयोगी बताया गया है। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में इस प्रकार बीमार बच्चों को उच्च चिकित्सा इकाई पर रैफर किए जाने के दौरान कोई कारगर व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। अब 104 कॉल सेन्टर के माध्यम से चिह्नित बीमार बच्चों को ट्रांसपोर्ट के अलावा एक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी की देखरेख में रेफर किया जा सकेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।