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November 12, 2024

लॉकडाउन में उत्तराखंड सरकार दे रही लगातार झटके, बिजली के बाद बैकडोर से बढ़ाए पानी के रेट

उत्तराखंड में लगातार चल रहे कोरोना कर्फ्यू से जहां आम व्यक्ति की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है, वहीं सरकार लोगों को लगातार झटके दे रही है। पहले बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की गई। अब पानी की कीमतें भी बैकडोर से बढ़ा दी गई हैं।

उत्तराखंड में लगातार चल रहे कोरोना कर्फ्यू से जहां आम व्यक्ति की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है, वहीं सरकार लोगों को लगातार झटके दे रही है। पहले बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की गई। अब पानी की कीमतें भी बैकडोर से बढ़ा दी गई हैं। इसके साथ ही लोगों को पानी की बढ़ी दर के साथ बिजली के बिलों के मोबाइल में संदेश आ रहे हैं। यानी से साफ है कि भले ही कोई बेरोजगार हो गया हो, किसी के पास परिवार चलाने के लिए पैसा नहीं हो, लेकिन सरकार को इससे ज्यादा अपना राजस्व बढ़ाने की चिंता है।
स्थिति ये है कि पानी के बिलों में सामान्यत तौर पर 15 से बीस फीसद की बढ़ोत्तरी की गई है। वहीं, ग्रामीण क्षत्रों में जहां पहले पानी की कीमत मामूली वसूली जाती थी, वहां तो इस बार दोगुना राशि का बिल भेजा गया है। ग्रामीण क्षेत्र में सौ से सवा सौ के बिल जहां दिए जाते थे, अबकी बार वहां दो से ढाई सौ रुपये तक के बिले भेजे जा रहे हैं। इसी तरह शहरी क्षेत्र में भी पंद्रह से बीस फीसद की बढ़ोत्तरी की जा रही है। मलीन बस्तियों में करीब पांच फीसद की बढ़ोत्तरी की गई। पहले जहां 690 का बिल भेजा गया, वहीं इस बार वहां 726 रुपये का बिल भेजा गया। यानी 36 रुपये की यहां बढ़ोत्तरी की गई। यानी यहां पांच फीसद पानी के रेट बढ़ाए गए हैं। यानी इस बार बस्तियों को भी नहीं छोड़ा गया है।
इस तरह से भी किया गया खेल
पहले जल संस्थान साल भर में तीन बिल भेजता था। यानी हर चार माह में एक बिल। फिर जल संस्थान ने एक बार पानी के रेट तो नहीं बढ़ाए, लेकिन साल में बिलों की संख्या चार कर दी। हर बार बिल की राशि उतनी ही रखी गई। चार बिल भेजने पर चार माह की राशि को तीन माह के लिए रखा गया। जैसे यदि किसी उपभोक्ता को चार माह में 600 रुपये का भुगतान करना होता था और साल भर में उसे 1800 रुपये देने पड़ते थे। बिलों की संख्या चार यानी हर तिमाही पर एक बिल करने पर भी हर बार पानी की कीमत 600 रुपये ही की गई। ऐसे में साल भर में उपभोक्ता को कुल 2400 रुपये देने पड़ रहे हैं। अबकी बार सीधे ही पानी के रेट को बढ़ा दिए गए हैं। इस संबंध में जल संस्थान की महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग से संपर्क किया गया तो उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं की।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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