बैकफुट पर आई उत्तराखंड सरकार, विरोध के चलते मिनी होम बार का फैसला वापस, कांग्रेस ने बताया जीत
1 min readहाल ही में उत्तराखंड में आबकारी विभाग ने घर में मिनी बार खोलने को लेकर एक आदेश जारी किया था। इसके तहत देहरादून में एक व्यक्ति को लाइसेंस भी जारी कर दिया गया था। इसका प्रदेशभर में विरोध होने लगा और देवभूमि में शराब को बढ़ावा देने का आरोप सरकार पर लगाए जाने लगे। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया। अब विरोध को देखते हुए आबकारी विभाग ने प्रदेश में पहली बार शुरू किए गए निजी बार लाइसेंस के फैसले को वापस ले लिया। इसे कांग्रेस ने अपनी जीत बताया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बुधवार को आबकारी आयुक्त ने होम मिनी बार के फैसले के स्थगित किये जाने का आदेश जारी किया। आने आदेश में लिखा कि- आबकारी नीति विषयक नियमावली 2023 के नियम-13.11 (वैयक्तिक बार हेतु अनुज्ञापन) को अग्रिम आदेशों तक स्थगित किया जाता है। तदनुसार आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। इस आदेश की प्रति सभी जिला आबकारी अधिकारियों को भेजी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि आबकारी नीति विषयक नियमावली 2023 में निजी बार लाइसेंस की सुविधा प्रदान की गयी थी। नीति में कहा गया था कि इसके तहत अब लोग घरों में मिनी बार बना सकेंगे। इस बार की शराब नीति में ये नई व्यवस्था शामिल की गई थी। घर के लिए बार लाइसेंस लेने के लिए संबंधित के लिए 12 हजार रुपए लाइसेंस फीस तय की गई। हर वर्ष लाइसेंस का नवीनीकरण भी करने की शर्त थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजधानी देहरादून में एक लाइसेंस के लिए आवेदन आया था। चार अक्टूबर को प्रशासनिक स्तर पर यह लाइसेंस जारी किया गया। एक लाइसेंस पर 50 लीटर शराब देसी विदेशी रखी जा सकती है। एक बार मंजूरी मिलने के बाद लाइसेंसधारक 9 लीटर भारत निर्मित विदेशी शराब, 18 लीटर विदेशी शराब, 9 लीटर वाइन और 15.6 लीटर बीयर घर पर रखने का हकदार होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रखी गई थी शर्त
होम मिनी-बार लाइसेंस चाहने वाले व्यक्ति को कुछ शर्तों को पूरा करने के बारे में एक हलफनामा जमा करने को कहा गया था। किसी को बार का उपयोग केवल व्यक्तिगत उपयोग के लिए करना था। किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं थी। अधिसूचित ड्राई डे पर बार को बंद रखने की भी शर्त थी। लाइसेंसधारक को इसके अलावा यह सुनिश्चित करना था कि 21 वर्ष से कम उम्र का कोई भी उस क्षेत्र में न आए, जहां बार स्थापित है। होम बार के निरीक्षण के बाद ही लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाने का प्रावधान था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस ने कहा-हमारी जीत
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार की ओर से घरों में बार लाइसेंस दिए जाने के फैसले को वापस लेने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की जीत बताया। उन्होंने कहा कि जिस दिन से राज्य सरकार ने इस तरह का राज्य विरोधी और जन विरोधी फैसला लिया है, उसी दिन से उत्तराखंड कांग्रेस मुखरता से इसका विरोध कर रही है। उत्तराखंड कांग्रेस की महिला कांग्रेस ने धामी सरकार के खिलाफ इस फैसले को लेकर वृहद प्रदर्शन किया था। साथ ही प्रदेश के हर कोने से इस बेतुके फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की जा रही थी। और तो और राष्ट्रीय पटल पर भी उत्तराखंड की धामी सरकार का यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समझदार सहारकार रखने की नसीहत
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार को समझदार सलाहकार रखने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के बेसिर पैर के फैसलों से धामी सरकार की चारों ओर व्यापक स्तर पर फजीहत हुई है। दसौनी ने कहा कि इस तरह का फैसला कोई संवेदनहीन व्यक्ति ही सुझा सकता है। पहली नजर में ही यह फैसला बहुत ही अव्यवहारिक प्रतीत हो रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चेहरा हुआ बेनकाब
दसौनी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि घर-घर बार लाइसेंस दिए जाने की बात वह लोग कर रहे हैं, जो अपने चुनावी मेनिफेस्टो में शनेः शनेः शराब को हतोत्साहित करने की और उत्तराखंड को ड्राई स्टेट बनाने की वकालत किया करते थे। आज एक बार फिर भाजपा का चाल चरित्र चेहरा सबके सामने बेनकाब हो गया। मुंह में राम और बगल में छुरी, यही भाजपा का असली रूप है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रोजगार उपलब्ध कराने की जगह शराब को बढ़ावा
उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य की तुलना पंजाब से की जा रही है। क्योंकि घर-घर में युवा नशे की गिरफ्त में हैं। ऐसे में नशे से युवाओं को बाहर निकालना और उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने पर राज्य सरकार का ध्यान होना चाहिए था। शायद धामी सरकार यही चाहती है कि युवा हर वक्त नशे की गिरफ्त में रहे और सरकार से सवाल पूछने वाला कोई न हो। साफ है कि भाजपा सरकार युवाओं को शराब का आदि बनाना चाहती है, ताकि बेरोजगार पढ़ना लिखना और रोजगार की बात करना भूल जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बढ़ेंगे अपराध
दसौनी ने आगे कहा कि इस शराब नीति से महिलाओ के प्रति अपराध बढ़ेंगे और महिलाओं को रोजाना गृह क्लेश का सामना करना पड़ेगा। घर पर ही बार खोले जाने को लेकर 12 हजार रुपए फीस के रूप में चुकाने की बात ही अव्यवहारिक और राज्य को गर्त में ले जाने वाली थी। राज्य की विडंबना ही है कि हमारी राजस्व प्राप्ति का जरिया मात्र खनन और शराब बन चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि चुनाव के वक्त भाजपा के नेताओं ने बहुत बड़ी-बड़ी बातें और वादे किए गए थे। कहा गया था कि डबल इंजन की सरकार आएगी तो राज्य विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ेगा। आज केंद्र सरकार लगातार राज्य को ठेंगा दिखा रही है और राज्य की आमदनी मात्र शराब और खनन पर निर्भर हो गई है। धामी सरकार के मंत्रिमंडल और उनकी इर्द गिर्द कोई अधिकारी ऐसा दिखाई नहीं पड़ता है, जो राज्य की आमदनी बढ़ाने हेतु बेहतर सुझाव दे सके।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।