उत्तराखंड क्रिकेट प्रकरण पहुंच चुका है सुप्रीम कोर्ट में, सरकार भी करेगी जांच, यूसीए ने उठाए कई सवाल
उत्तराखंड में क्रिकेट की मान्यता के बाद से समय समय पर उठ रहे विवादों का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। साथ ही इस मामले में सरकार ने भी जांच का ऐलान किया है।
उत्तराखंड में क्रिकेट की मान्यता के बाद से समय समय पर उठ रहे विवादों का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। हालांकि कल शुक्रवार को खेल मंत्री अरविंद पांडे ने इस मामले में विधानसभा सत्र के दौरान क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पर लगे आरोपों को लेकर सचिव स्तर के अधिकारी से जांच कराने का ऐलान किया है। इसके बावजूद क्रिकेट से जुड़े अधिकांश लोगों को इस जांच की बजाय सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है। इस पर इसी माह सुनवाई के आसार हैं।
विधायक करण महारा ने उठाया था मुद्दा
गौरतलब है कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड के खेल मंत्री अरविंद पांडे ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की जांच सचिव स्तर के अधिकारी से कराने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि किसी भी गड़बड़ी के लिए दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले को कांग्रेस विधायक करण माहरा ने विस्तार से सदन में उठाया था।
विधानसभा के सत्र में कांग्रेस के विधायक करण माहरा ने उत्तराखंड क्रिकेट में घपले, क्रिकेटरों से भेदभाव, घोटाले, जालसाजी आदि मुद्दे को उठाया। इस पर खेल मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि उत्तराखंड के क्रिकेटरों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी। किसी से नाइंसाफी नहीं होगी। सचिव स्तर के अधिकारी इसकी जांच करेंगे।
मुख्य कोच के इस्तीफे पर भी उठा था विवाद
हाल ही में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन से सीनियर टीम से मुख्य कोच वसीम जाफर ने इस्तीफा दे दिया था। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर वसीम जाफर ने सीएयू के सचिव महिम वर्मा के साथ ही चयनकर्ताओं पर अंगुली उठाई थी। साथ ही खिलाड़ियों के चयन में मनमानी करने, अच्छे खिलाड़ियों की उपेक्षा करने आदि के आरोप लगाए थे। वहीं, वसीम जाफर पर आरोप लगाए गए थे कि वे खिलाड़ियों को बजरंग बली का नारा लगाने से रोकते हैं। साथ ही मैदान पर नमाज पढ़ने के लिए मौलवी बुलाते हैं।
युवा संगठन ने भी उठाई थी जांच की मांग
उत्तराखंड युवा संगठन के सचिव गोपाल गेलाकोटी ने मुख्यमंत्री को एक ई मेल के जरिये उत्तराखंड में बर्बाद हो रहे क्रिकेट को बचाने का अनुरोध किया था। इसमें कहा गया कि सीएयू क्रिकेट के क्षेत्र में कामयाबी में नाकामयाब हो रहा है। इससे प्रदेश में क्रिकेट का प्रदर्शन निरंतर गिर रहा है। इसका कारण संघ के भीतर आपसी खींचतान, वित्तीय अनियमितताएं, चयन प्रक्रिया में मनमानी आदि हैं। टीम चयन में भी नियमों की अनदेखी की जा रही है।
कहा गया था कि वसीम जाफर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेटर है। उन्होंने भी मुख्य कोच पद से इस्तीफा देकर कई अनियमितताओं पर ध्यान दिलाया है। सीएयू सचिव खेल में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी करते हैं। यही नहीं, बीसीसीआइ के लोकपाल ने भी अपने हालिया फैसले में बताया है कि कैसे संबद्धता हासिल करने के बाद से सीएयू ने उत्तराखंड में क्रिकेट के खेल को नष्ट करने के अलावा कुछ नहीं किया है। उन्होंने सीएयू सचिव के खिलाफ जांच करने और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन ने किए कई खुलासे
उत्तराखंड में क्रिकेट की दुर्दशा के लिए उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव चंद्रकांत आर्य ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही कई बड़े खुलासे भी गिए। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड राज्य को बीसीसीआइ की ओर से दी गई मान्यता भी गलत तरीके से नियमों के विरुद्ध दी गई है। इस संबध में सर्वोचय न्यायालय में रिट पेटीसन दाखिल की गई है। इसमें जल्द ही सुनवाई होने के आसार है।
याचिका में कई अनियमितताओं की ओर दिलाया गया ध्यान
याचिका में कहा गया कि है कि उत्तराखंड को मान्यता किसी राजनीतिक प्रेशर की वजह से दी गई थी। उसको निरस्त करके उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिऐशन को मान्यता दी जानी चाहिए। ताकी उत्तराखंड में क्रिकेट को इमानदारी से सही दिशा में बढ़ाया जा सके। और उत्तराखंड राज्य के प्रतिभावान खिलाडियो को न्याय मिल सके।
सीएयू की कार्यप्रणाली पर लगाए आरोप
कहा गया कि उत्तराखंड क्रिकेट की बदहाली और राज्य के सभी खिलाड़ियों के साथ अन्याय के लिए सीएयू जिम्मेदार है। अनप्रोफेशनल व अनफेयर व फ्राड तरीके से एसोसिएशन कार्य कर रही है। इसमें यूपीसीए के आकाओं से संबंधित कुछ लोगों का चयन प्रक्रिया के व्यवसायिकरण में भी बहुत बडा हाथ है, जो जांच का विषय है।
कमेटी की रिपोर्ट में भी की गई थी पुष्टि
चंद्रकांत आर्य ने बताया कि बीसीसीआइ के क्रिकेट प्रबंधन के लिए सर्वोचय न्यायलय की ओर से गठित कमेटी ने अपनी अन्तिम स्टेटस रिर्पोट न्यायलय में प्रस्तुत की थी। इसमें साफ-साफ लिखा है कि उत्तराखंड की सीएयू के चुनाव एवं अन्य प्रक्रियाओं में यूपीसीए पदाधिकारी राजीव शुक्ला का बहुत ज्यादा हस्तक्षेप है। साथ ही क्रिकेट एसोसिऐशन उत्तराखंड (सीएयू) का काम करने का तरीका BCCI के नियमों के विरूद्ध है। सीएयू सचिव महीम वर्मा को BCCI के चुनाव लड़ने के लिए अवैध माना गया था।
मान्यता कमेटी ने भी किया था जिक्र
उन्होंने बताया कि इसके साथ साथ उत्तराखंड को मान्यता देने से पहले उत्तराखंड में आई मान्यता कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखण्ड (सीएयू) के विरूद्ध उपरोक्त सभी आरोपो का साफ-साफ जिक्र किया। उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन की कार्यप्रणाली व क्षमताओं का साफ-साफ उल्लेख करते हुऐ यह बताया की यूसीए ही राज्य की क्रिकेट गतिविधियों का संचालन राज्य
बनने के साथ से ही BCCI के सभी दिशानिर्देशो का पालन बड़े ही प्रोफशनल तरीके से सफलतापूर्वक करती आ रही है। कमेटी का साफ-साफ कहना था कि यूसीए ही राज्य की क्रिकेट को आगे भी सफलतापूर्वक संचालन कर सकने में समर्थ होगी।
पक्षपातपूर्ण भेदभाव का आरोप
उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिऐशन ने क्रिकेट एसोसिऐशन आफ उत्तराखंड (सीएयू) के पर टीमों के चयन में कुछ क्रिकेट माफियाओं का हाथ होने का आरोप लगाती रही है। सीनियर टीम के मुख्य कोच वसीम जाफर का इस्तीफा इन आरोपों को बल दे गया था। चंद्रकांत के मुताबिक पिछले वर्ष भी सीनियर टीम के वरिष्ठ चयनकर्ता मनोज मुदगल, जो कि नेशनल क्रिकेटर होने के साथ ही पूर्व में उत्तर प्रदेश में भी चयनकर्ता रह चुके है ने आरोप लगाया कि मुझे सीनियर टीम चयन ट्रायल प्रक्रिया को बीच में ही छोड़कर चले जाने के लिये कहा गया था।
ऐसे में मुदगल ने भी वसीम जाफर की ओर से सीएयू सचिव पर लगाए गए आरोपों को सही करार दिया। उनका कहना है कि जो मेरे साथ पहले हुआ, वही जाफर के साथ किया गया। उन्होने बताया कि उनपर भी कुछ गलत तरीके से यूपीसीए से सम्बन्धित आदमी एवं सीएयू के लोगों की ओर से खिलाड़ियों के चयन में दबाव बनाया गया।
नियम विरूद्ध काम नहीं करते मुदगल
यूसीए के सचिव चंद्रकांत के मुताबिक उन्हें मनोज मुदगल पर पूरा विश्वास है। क्योंकि वह उनके साथ काफी क्रिकेट खेले हैं। वे बहुत ही ईमानदार हैं व नियम के विरूद्ध कोई भी कार्य नही करते है। उन्होंने फोन पर बताया कि मैने वसीम जाफर के इस्तीफे के बारे में सुना। उनकी ओर से सीएयू सचिव पर लगाये गये संगीन
आरोपों को पढ़कर मेरा भी जमीर जागा। मैंने भी सोचा कि अब मुझे भी अपनी बात सबके सामने लानी होगी।
चुप नहीं बैठेगी यूसीए
यूसीए सचिव चंद्रकांत के मुताबिक अब उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिऐशन चुप नही बैठेगी। वो सभी संगीन आरोपो को माननीय सर्वोचय न्यायलय के सम्मुख दृढता से उठाएगी। साथ ही उत्तराखंड क्रिकेट को गहरी खाई व गर्त में जाने से बचाएगी। जल्द ही माननीय सर्वोचय न्यायलय में हमारे केस की सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की जांच में उन्हे ज्यादा भरोसा नहीं है। क्योंकि घोटाले के आरोप कई ऐसे लोगों पर हैं, जिन्हें बचाने के लिए ही जांच का नाटक किया जा रहा है। उम्मीद है कि हमारी एसोसिऐशन यूसीए को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।