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August 26, 2025

उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य निर्वाचन आयोग से की मांग, कहा- हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावितों को आवंटित ना किया जाए चुनाव चिह्न

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश का हवाला देते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। इसमें मांग की गई है कि उच्च न्यायालय के 11 जुलाई के आदेश का अनुपालन करते हुए ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित ना किए जाएं, जिनके नाम एक से अधिक क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गौरतलब है कि उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगरीय क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज नाम वाले मतदाताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी गई थी। इस पर हाईकोर्ट नैनीताल ने स्थगन आदेश दिया है। अब इसी मामले में उत्तराखंड कांग्रेस की ओर से राज्य निर्वाचन आयोग से अगला कदम उठाने की मांग की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग को उच्च न्यायालय के 11 जुलाई के आदेश के साथ ही मांगपत्र भेजा है। साथ ही मांग की गई कि ऐसे सभी प्रत्याशी, जो इस आदेश से प्रभावित हो रहे हैं, उनको चुनाव चिह्न आवंटित ना किए जाएं। क्योंकि वे चुनाव लड़ने की योग्यता नहीं रखते हैं। अगर वो चुनाव जीत भी जाते हैं तो परिणाम के बाद उनका चुनाव शून्य घोषित हो जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध आयोग की ओर से ऐसे प्रत्याशियों को दी गई सुविधा असंवैधानिक व गैर कानूनी है। एक से अधिक क्षेत्रीय निर्वाचन की मतदाता सूची में नाम दर्ज कोई भी व्यक्ति नहीं करा सकता है। किसी भी क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने से पहले अन्य किसी निर्वाचन क्षेत्र की सूची से नाम हटाना अनिवार्य है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय का आदेश आने के बाद यदि फिर भी किसी को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई तो इस बिंदु पर न्यायालय की ओर से उनका चुनाव रद्द हो जाएगा। धस्माना ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जानबूझकर की गी बड़ी गलती के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के विरुद्ध जो स्टे हुआ है। उससे पूरे राज्य के पंचायत चुनाव प्रभावित हुए हैं। बड़ी संख्या में ऐसे प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनके नाम दो दो या उससे भी अधिक स्थानों पर वोटर लिस्ट में हैं। ऐसे में वे चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं। वहीं, सत्ताधारी दल के दबाव में राज्य निर्वाचन आयोग ने गलत आदेश जारी किया। इसके कारण यह परिस्थितियां निर्मित हुई।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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