उत्तराखंड के सीएम का फिर से दिल्ली दौरा, यूपी के विभाजन में उत्तराखंड के विस्तार के कयास, जाने क्या है खबरों की सच्चाई
पांच दिन पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दिल्ली दौरे पर थे। इन दिनों वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई केंद्रीय मंत्रियों से मिले। इसके बाद फिर आज रविवार से वे दोबारा दो दिवसीय दिल्ली दौरे के लिए निकल गए हैं। ऐसे में फिर उन खबरों की चर्चा तेज हो गई, जो तीन दिन पहले योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे के दौरान उठी थी। तीरथ की तर्ज पर योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली में पीएम से मिले, केंद्रीय नेताओं से मिले। इनके अलावा उत्तराखंड के पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी दिल्ली में कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की। ये चर्चा है कि क्या फिर से यूपी का विभाजन होने जा रहा है। क्या यूपी को तीन राज्य में बांटा जा रहा है। क्या इसके साथ ही दिल्ली और उत्तराखंड की सीमाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। क्या ये काम यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले होगा। या फिर ये सारी चर्चाएं सिर्फ चर्चाएं हैं। इसमें कोई दम नहीं हैं।
आज से दिल्ली दौरे पर हैं सीएम तीरथ
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रविवार सांय नई दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। अपने दो दिवसीय दौरे पर मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभाध्यक्ष से शिष्टाचार भेंट करेंगे। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री 14 व 15 जून को विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियो से भेंट कर राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार विमर्श करेंगे। मुख्यमंत्री जिन केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे उनमे श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी, मंत्री कपड़ा, महिला बाल विकास, श्री किरण रिजिजू, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), खेल एवं युवा मामले, श्रीमती निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री, श्री धर्मेन्द्र प्रधान, मंत्री पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, श्री प्रकाश जावडेकर मंत्री सूचना एवं प्रसारण, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, मंत्री पंचायतीराज, कृषि एवं किसान कल्याण ग्रामीण विकास, श्री पीयूष गोयल, मंत्री वाणिज्य एवं उद्योग, रेल, उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, श्री हरदीप पुरी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), नागरिक उडून, आवास और शहरी मामले, श्री प्रहलाद सिंह पटेल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन शामिल हैं।
सोशल मीडिया में इस तरह की उड़ाई जा रही हैं खबरें
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश राज्य को तीन भागों में बांटने का दावा काफी शेयर किया जा रहा है। इसके साथ 3 अलग प्रदेशों के नाम और उनमें शामिल शहरों की एक लिस्ट भी शेयर की जा रही है। लिस्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश-उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल ऐसे तीन भागों में विभाजित होगा। ट्विटर हैन्डल ‘फर्स्ट इंडिया न्यूज़ राजस्थान’ ने 11 जून 2021 को ये दावा ट्वीट किया है।
वर्ष 2000 में हुआ था विभाजन
जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश वर्ष 2000 में दो भागों में विभाजित हो गया था। 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। 25 अगस्त 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के पारित होने के साथ लंबे समय से चली आ रही यह मांग पूरी हुई थी। पहले अलग राज्य का नाम उत्तरांचल था, जिसे बाद में बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
अचानक चर्चा क्यों हुई शुरू
अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक से उत्तर प्रदेश के विभाजन की चर्चा इतने सालों बाद क्यों की जा रही। दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी वे मिले। उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में इन मुलाकातों को कई नजरियों से देखा जा रहा है। इस दौरे के दौरान इन चर्चाओं को हवा मिल गई।
उत्तराखंड की दृष्टि से
पूर्वांचल की नेता और अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने दो दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत फिर से आज दिल्ली के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं। दिल्ली में उनकी केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात,पार्टी पदाधिकारियों से भी करेंगे मुलाकात होगी। इस बार उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाशवसचिव मुख्यमंत्री आदि अधिकारी भी मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली जा रहे हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस समय उत्तर प्रदेश के 3 राज्य बनने की भी चर्चा जोरों पर है। इसमें पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, छोटा उत्तर प्रदेश आदि राज्य बनने की बात कही जा रही है।
ऐसे में चर्चा ये भी है कि उत्तर प्रदेश के कुछ जिले उत्तराखंड में मिलाए जा सकते हैं। पूर्व में भी सहारनपुर, बिजनोर और मुरादाबाद मंडल को उत्तराखंड में मिलने की चर्चा समय समय पर होती रही हैं। वहीं खबर यह भी है कि भले मुख्यमंत्री योगी व अनुप्रिया पटेल पूर्वांचल से ही हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार होना हे और अनुप्रिया पटेल इसीलिए एनडीए नेताओं मंत्रियों से मिली। यही वजह मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी
की कही जा रही है।
दायित्वधारियों पर भी हो सकती है चर्चा
उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के आज से शुरू दिल्ली दौरे को सीएम कार्यालय के स्तर से अप्रैल में हटाए गए सभी दायित्वधारियों के बाद नए स्तर से उत्तराखंड में दायित्व वितरण होना भी बताया जा रहा है। सीएम के सचिव शैलेश बगोली ने सभी विभागों से उनके अधीन कार्यरत आयोग, निगम, परिषद में दायित्व के पदों की रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों को इसके लिए 15 जून तक ही वक्त दिया गया है। विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा संगठन वरिष्ठ नेताओं को दायित्व देने के पक्ष में है। सीएम तीरथ रावत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षा जेपी नड्डा से इस बाबत चर्चा भी कर चुके हैं। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में भी इस पर चर्चा होना बताया जा रहा है। वहीं, सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक सप्ताह के भीतर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का दूसरा दिल्ली दौरा है क्या निगम में पार्षद मनोनीत करने के लिए है। या फिर उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड का भी भूगोल बदलने की तैयारी है।
ये भी है दावा
सोशल मीडिया में दावा किया गया है कि इसी संदर्भ में एके शर्मा की यूपी में तैनाती की गई है। जानकार बताते हैं कि अगर पूर्वांचल बना तो योगी का घर गोरखपुर भी नए राज्य में आएगा। इसके साथ ही अयोध्या, काशी और मथुरा भी अलग-अलग राज्यों में आ जाएंगे।
नवंबर 2011 को मायावती ने भेजा था प्रस्ताव
वायरल मैसेज में आगे लिखा है कि- इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने नवंबर 2011 में प्रपोजल तैयार किया था और यूपी को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव भेजा था। तब यूपी को चार राज्यों पूर्वांचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि में बांटे जाने का प्रस्ताव था, लेकिन सपा सरकार बनने के बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।
केंद्र को नहीं आएगी कोई दिक्कत
चर्चा है कि अब एक बार फिर केंद्र सरकार इस मसले पर गंभीरता से विचार कर रही है। यूपी विधानसभा में सीएम योगी के पास पूर्ण बहुमत है, जबकि लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत है। ऐसे में यूपी से प्रस्ताव भेजा जाता है तो उसे लोकसभा और राज्यसभा में पास करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
इस वायरल मैसेज की सच्चाई
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस खबर की भनक सरकार की सूचना एजेंसी पीआईबी यानी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो को लगी तो इसकी पड़ताल कर इसे फेक यानी फर्जी बताया गया है। पीआई की फैक्ट चेक टीम ने ट्वीट कर इसकी सच्चाई बताई है।
पीआईबी ने ट्वीट में लिखा है कि एक खबर में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश को 2-3 हिस्सों में विभाजित करने और पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने पर विचार कर रही है। यह दावा फर्जी है. केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश के अलग हिस्से करने से संबंधित कोई विचार नहीं कर रही है। यानी स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं है। सोशल मीडिया में वायरल हो रही खबर झूठी है और भ्रम फैलाने के लिए इसे वायरल किया जा रहा है।
कई बार उठ चुकी है ये मांग
2013 में भी यूपी राज्य के बंटवारे की चर्चा चल रही थी। उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर समय समय पर मांग उठती रही है। 2017 में फिर से मायावती ने उत्तर प्रदेश के विभाजन की बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि अगर यूपी में बसपा की सरकार बनती है तो उत्तर प्रदेश का विभाजन किया जायेगा।
वहीं, यूपी सरकार के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार भी इस दावे को खारिज कर चुके हैं। वह कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे की कोई योजना नहीं है। योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने इस तरह का कोई प्रस्ताव भी नहीं है। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित जो भी खबरें घूम रही हैं, वे झूठ हैं। प्रदेश सरकार पूरे सूबे के विकास की चिंता कर रही है। किसी भी हिस्से के साथ अन्याय नहीं हो रहा है। ऐसे में इन मांगों को सुर देने का मतलब नहीं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
उत्तर प्रदेश का बिभाजन आवश्यक है