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August 7, 2025

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र ने विधानसभा में पेश किया बजट, स्वरोजगार पर जोर

मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट में पिछले चाल साल की उपलब्धियों को भी गिनाया। साथ ही स्वरोजगार की योजनाओं पर भी बजट में ध्यान रखा गया। बजट की खास बातें इस प्रकार हैं।

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने अपना पांचवां बजट गुरुवार को गैरसैंण विधानभवन में पेश किया। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बजट का आकार करीब 57 हजार 400 करोड़ रुपये रखा गया है। इसमें स्वरोजगार पर जोर दिया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले चाल साल की उपलब्धियों को भी गिनाया। साथ ही स्वरोजगार की योजनाओं पर भी बजट में ध्यान रखा गया। बजट की खास बातें इस प्रकार हैं।
रोजगार सृजन
बजट पेश करते हुए सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले लगभग 04 वर्षों के दौरान रोजगार सृजन पर विशेष फोकस किया गया है। सामान्यतः सरकारी नौकरी प्राप्त करना प्रदेश के युवाओं की प्राथमिकता रहती है, परन्तु यह एक सुविदित तथ्य है कि सर्जित राजकीय पदों को रिक्त सीमा तक ही भरा जा सकता है। इससे अधिक इस क्षेत्र में रोजगार विद्यमान नहीं हो सकता है। अतः स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर विकसित किये जाने के भरसक प्रयास सरकार द्वारा किये गये हैं। ताकि इच्छुक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकें और उनकी प्रतिभा व क्षमता का पूर्ण सदुपयोग हो सके।
चार साल में सात लाख को रोजगार
सीएम ने कहा कि सरकार के प्रयासों से अप्रैल, 2017 से 31 जनवरी, 2021 तक विभिन्न विभागों के अन्तर्गत 7 लाख से अधिक व्यक्तियों को रोजगार/स्वरोजगार प्रदान किया गया है।जहां तक सीधी भर्ती का प्रश्न है तो उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वर्ष 2014 से 2017 तक के 03 वर्षों में जहां कुल 08 परीक्षायें आयोजित की गयी। इनमें 801 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। वहीं वर्ष 2017 से 2020 तक के 3 वर्षों में ही कुल 59 परीक्षायें आयोजित की जा चुकी थी। जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया था।
इस वित्तीय वर्ष में भी अब तक 6 परीक्षाओं के माध्यम से 1000 पदों पर चयन किया गया है। इस प्रकार पिछले 4 वर्षों में 65 परीक्षायें आयोजित हुई और कुल मिलाकर 7000 पदों पर मार्च, 2022 तक उपलब्ध है। प्रदेश में यह योजना सभी 91 नगरीय निकायों में 02 जुलाई, 2020 से प्रारम्भ की गयी है।
वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 6200 पदों हेतु अधियाचन एवं भर्ती की प्रक्रिया गतिमान है। लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2017 से वर्तमान तक 3050 से अधिक पदों पर चयन किया गया है व 1100 पदों पर चयन की प्रक्रिया चल रही है।
ग्राम विकास विभाग
दीनदयाल अन्त्योदय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना ( DAY-NRLM)- के माध्यम से 19070 स्वयं सहायता समूहों के 114421 सदस्यों को बैंक लिंकेज करवाते हुए स्वरोजगार से जोड़ा गया तथा राज्य परियोजना प्रबन्धन इकाई द्वारा 10833 स्वउद्यमियों तथा उत्तराखण्ड ग्राम विकास समिति द्वारा 16117 व्यक्तियों को स्वरोजगार से जोड़ा गया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत लगभग 6 लाख व्यक्तियों को प्रतिवर्ष मानकानुकूल मजदूरी आधारित रोजगार प्रदान किया गया कोविड के दौरान इस योजना के अन्तर्गत अतिरिक्त रोजगार भी सृजित किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2.21 लाख अतिरिक्त परिवारों (3.31 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में रू0 219 करोड़ अतिरिक्त भुगतान किये गये।
बजट पेश करते हुए सीएम ने कहा कि स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने हेतु राज्य सरकार की ओर से पिछले 4 साल में केन्द्रीय योजनाओं व केन्द्र पोषित योजनाओं का कनवर्जेन्स किया गया है। अपने सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद सरकार द्वारा राज्य सेक्टर में अनेक फ्लेगशिप कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं। जिनमें से प्रमुख है- मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम, मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना, ग्रोथ सेण्टर्स की स्थापना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, प0 दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे विकास योजना, मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना, सोलर पावर प्लाण्ट्स योजना, दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना। रोजगार एवं आजीविका के अवसरों के सृजन के क्षेत्र में इनके अच्छे परिणाम परिलक्षित हुए है।
शहरी विकास विभाग
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेन्डर्स आत्मनिर्भर निधि (प्रधानमंत्री स्वनिधि) योजना का, क्रियान्वयन वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण को रोकने हेतु उठाये गये कदमों, विशेषकर लॉकडाउन के कारण शहरी पथ विक्रेताओं के व्यापार पर दुष्प्रभाव पड़ा है। उक्त के दृष्टिगत शहरी पथ विक्रेताओं को आत्म निर्भर बनाने एवं उनके द्वारा अपना कार्य फिर से पुनः प्रारम्भ किये जाने हेतु भारत सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज के रूप में आसान ऋण सुविधा के द्वारा कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराए जाने हेतु पी०एम0 स्ट्रीट बेन्डर्स आत्मनिर्भर निधि (पी०एम० स्वनिधि) योजना का आरम्भ वित्तीय वर्ष 2020-21 से किया गया है।
यह योजना पूर्ण रूप से आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसके द्वारा पात्र पथ-विक्रेताओं को रू0 10,000 की कार्यशील पूंजी व्याज अनुदान आधारित आसान ऋण पर उपलब्ध करायी जाएगी। जो कि नियमित धन-वापसी पर आधारित है। इस योजना से डिजिटल लेन-देन को भी प्रोत्साहन मिलेगा। योजना प्रदेश के समस्त नगर निकायों में संचालित होगी। ऐसे पथ विक्रेताओं जिनको नगर निकाय के द्वारा विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र जारी किये गये है यो इसके पात्र हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे पथ विक्रेता, जो कि सर्वे के माध्यम से चिन्हित किए गए हैं। परन्तु उनको विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र जारी नहीं किए गए हैं, ऐसे पथ विक्रेताओं को नगर निकाय द्वारा एक माह के अन्दर विक्रय प्रमाण पत्र एवं पहचान पत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इस स्कीम के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने वाले विक्रेता, 7 प्रतिशत की दर पर तथा अतिरिक्त 2 प्रतिशत (राज्य सरकार द्वारा) कुल 9 प्रतिशत व्याज सब्सिडी के पात्र हैं। व्याज सब्सिडी की राशि ऋण प्राप्तकर्ता के खाते में त्रैमासिक रूप से जमा किये जाने का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में श्रम रोजगार के अन्तर्गत लगभग 20000 से लेकर अधिकतम 35000 कुशल अर्धकुशल श्रमिकों को रोजगार दिया गया है।
सहकारिता विभाग
दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के अधीन लघु, सीमान्त तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले कृपक सदस्यों को कृषि तथा कृषियेत्तर कार्यो हेतु रू0 1 लाख तक का अल्पकालीन, रू0 3 लाख तक का मध्यकालिक एवं स्वयं सहायता समूहों को रू० 5 लाख तक की धनराशि का ब्याज रहित ऋण वितरित किया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत 20 फरवरी, 2021 तक कुल 471353 लाभार्थी एवं 1056 स्वयं सहायता समूहों को कुल रू0 2467 करोड़ की धनराशि ऋण के रूप में वितरित की गयी। इस योजना का प्रभाव सामने आया है कि इसके क्रियान्वयन से कृषकों की आय में वृद्धि हुई है तथा ऋण प्राप्त कर लाभार्थी आत्म निर्भर हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ई-रिक्शा कल्याण योजना के अन्तर्गत रू० 28.08 करोड़ की सहायता से 2691 महिलाओं एवं पुरूषों को ई-रिक्शा क्रय करने हेतु व्चण वितरित किया गया।
मोटर साइकिल टैक्सी सर्विस- योजना को मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत आवेदनकर्ता को प्रमुख पर्यटक स्थलों में पर्यटकोंध्यात्रियों को परिवहन सेवा उपलब्ध कराने हेतु सहकारी बैंकों के माध्यम से वाहन (मोटर साइकिल स्कूटर) क्रय करने हेतु 60 हजार से 1.25 लाख तक का 02 वर्षों तक का व्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। परिवहन विभाग टू व्हीलर टैक्सी सेवाओं हेतु गाइड लाइन तैयार करेगा। मुख्यमंत्री स्वरोजगार की परिधि के अन्तर्गत इस योजना से 20 हजार युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा।
पर्यटन विभाग
पं0 दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम-स्टे) विकास योजना-वर्ष 2018-19 में प्रारम्भ इस योजना के अन्तर्गत राज्य के मूल व स्थायी निवासियों को नये होम स्टे निर्माण के अतिरिक्त पुराने भवनों की साज-सज्जा, उनका विस्तार नवीनीकरण सुधार शौचालयों के निर्माण के लिये मैदानी क्षेत्रों में 7.50 लाख एवं पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतम दस लाख सब्सिडी की रूप में दिया जा रहा है। तथा ब्याज में भी अधिकतम रू0 1.50 लाख प्रतिवर्ष का अनुदान भी देय है। माह 20 फरवरी, 2021 तक ऐसे 222 होम-स्टे तैयार हो चुके हैं तथा 2857 व्यक्तियों द्वारा होम-स्टे निर्मित करके उनका पंजीकरण कराया गया है। पलायन में रोक, स्थानीय समुदायों की आजीविका में वृद्धि के प्रभावी परिणाम इस योजना के अन्तर्गत आये है।
कौशल विकास विभाग
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना -इस योजना के अन्तर्गत 25 फरवरी, 2021 तक कुल 47576 युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रम में प्रशिक्षणोपरान्त प्रमाणित किया गया है. जिसके सापेक्षा 36010 युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये है तथा नेशनल कैरियर योजना के अनक्र्गत 1516 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया।
कृषि विभाग के अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 12000 व्यक्तियों को स्वयं उद्यमिता ध् निजी निवेश से स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया।
पीरूल एवं अन्य बायोमास से विद्युत उत्पादन
महोदय आप अवगत हैं, राज्य में पीरूल एक कच्चा संसाधन है। प्रतिवर्ष 15 लाख मीट्रिक टन पीरूल का उपयोग नहीं हो पाता है और यनारिन का कारण बनता है। वर्ष 2019-20 में हमने इसरो विद्युत उत्पादन प. बायोमास ब्रिकेटिंग की योजनायें प्रारम्भ की है। गाह दिसम्बर 2020 तक 62 परियोजनायें आवण्टित की गयी है जिसमें से 07 परियोजनायें स्थापित हो चुकी है इसके परिणामस्वरूप स्थानीय स्तर पर पीरूल संग्रहण हेतु स्वरोजगार फे अवसर (विशेष तौर पर महिलाओं को) प्राप्त हो रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत स्वयं उद्यमिता निवेश के माध्यम से 13546 देवभूमि जन सेवा केन्द्र पंजीकृत हैं। इनमें से 9233 केन्द्र सकिय हैं। विशेष उल्लेखनीय है कि 975 जन सेवा केन्द्रों का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।जबकि इस योजना में इससे पूर्व के 5 वर्षों में औसत रोजगार मात्र 6,060 प्रतिवर्ष का था।
उद्योग विभाग
सीएम ने कहा कि औद्योगिक विकास के सन्दर्भ में पिछली सरकार की 5 वर्ष की अवधि व वर्तमान सरकार के 4 वर्षों की तुलनात्मक स्थिति का ब्यौरा आपके विचारार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ। जहाँ, वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक 5 वर्ष की अवधि में प्रदेश में 13,438 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा 16 बृहत उद्योग स्थापित हुए थे। जिसमें 4,537 करोड़ का पूंजी निवेश तथा 87,056 लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ था, वहीं चर्ष 2017-18 से ब्ष 2020-21 तक चार वर्ष की अवधि में ही प्रदेश में 14,239 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा 47 बृहत उद्योग स्थापित किये गये। इनमें रू0 5,514 करोड़ का पूंजी निवेश और 86,791 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है इस प्रकार स्पष्ट है कि जहां पूर्व सरकार के समय उद्योगों में रोजगार का औसत 17,411 प्रतिवर्ष था, वहीं इस सरकार के समय रोजगार का यह औसत 21,698 प्रतिवर्ष है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, स्वरोजगार के लिए एक सफल एवं महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना में राज्य ने लगातार अच्छी उपलब्धि अर्जित की है। वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक की 05 वर्षीय अवधि में इस योजनान्तर्गत कुल 6,509 इकाईयों की स्थापना की गयी जिसमें 30,304 लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक चार वर्षीय अवधि में इस योजना में कुल 7,265 इकाईयों की स्थापना की गयी और इनमें 58,235 लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। इस प्रकार इस सरकार के लगभग 4 वर्षों के कार्यकाल में औसत रोजगार लगभग 15,000 प्रतिवर्ष है।
जहां तक एम०एसएम0ई0 व वृहद उद्योगों की प्रगति का प्रश्न है वर्ष 2012 से 2017 की पाँच वर्षीय अवधि की अपेक्षा वर्ष 2017 से 2021 की चार वर्षीय अवधि की उपलब्धियां कहीं बेहतर रही है वर्ष 2012 से 2017 की अवधि में प्रतिवर्ष औसतन 2,688 एम0एस०एम०ई० स्थापित हुई थी तो 2017 से 2021 की चार वर्षों में ही औसतन प्रतिवर्ष 3,560 एम०एस०एम०ई० की स्थापना हुई। इसी तरह बृहद उद्योगों का औरत पिछली अवधि में मात्र 03 था जबकि 2017 से 2021 के चार वर्षों में ही प्रतिवर्ष औसतन 12 वृहद उद्योगों की स्थापना हुई है।

उद्योगों में निवेश 
जहां तक निवेश का प्रश्न है इन उद्योगों में वर्ष 2012-17 की अवधि में प्रतिवर्ष औसतन 907 करोड़ रूपये का निवेश हुआ. यहीं 2017-21 की अवधि का औसत 1,378 करोड़ रूपये रहा है। वर्ष 2017-21 की अवधि में इन उद्योगों में प्रतिवर्ष औसतन 21,698 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हुआ जो कि उससे पहले के पांच वर्षो में औसत (17411) से कहीं अधिक है। प्रदेश की स्टार्टअप नीति भी वर्ष 2018 में प्रख्यापित की गयी। 20 फरवरी, 2021 तक कुल 94 स्टार्टअप को मान्यता प्रदान की गयी है, जिनमें 750 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। स्टार्टअप की दिशा में भी राज्य तेजी से प्रगति कर रहा है और स्टार्टअप ईको सिस्टम के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।
इस वर्ष की राज्यों की स्टार्टअप रैकिंग में राज्य को एस्पायरिंग लीडर्स की श्रेणी में स्थान मिला है और हम एक पायदान ऊपर पहुंचे हैं। अब तक राज्य में 8 नये इन्क्यूबेटर्स की रथापना का कार्य प्रारम्भ किया गया है और राज्य के कई स्टार्टप्स ने अपनी विशिष्ट पहचान राष्ट्रीयध्अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बनायी है हमें विश्वास है कि हम इस दिशा में तेजी से प्रगति करेंगे और रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित होंगे।
जहां तक भविष्य में रोजगार सृजन का प्रश्न है। सीएम ने कहा कि एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा कि सरकार द्वारा अक्टूबर, 2018 में अपने किस्म का राज्य का पहला अन्तर्राष्ट्रीय निवेश मेला सफलतापूर्वक आयोजित किया गया राज्य के अत्यन्त महत्वपूर्ण (थ्रस्ट) सेक्टरों यथा, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, योग एवं आयुष, आटो मोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, प्राकृतिक फाइबर, बागवानी फ्लोरिकल्चर, हर्बल व सुगन्ध-पादप, सूचना प्रौद्योगिकी, फिल्म शूटिंग, नवीनीकरणीय ऊर्जा इत्यादि से सम्बन्धित अनेक नई नीतियां या तो प्रख्यापित की गयी या सरलीकृत की गयी थी यथा, पर्यटन नीति, फिल्म नीति, सूचना, संचार प्रौद्योगिक और इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, आयुष नीति, सौर ऊर्जा नीति, पाइन निडिल एवं बायोमास से ऊर्जा उत्पादन नीति, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण नीति, बृहद औद्योगिक पूंजी निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, एरोमा पार्क नीति, जैव प्रौद्योगिकी नीति ताकि राज्य में निवेश करने हेतु देश-विदेश के निवेशक आकर्षित हों।ष्प्रथम निवेश सम्मेलनष् अत्यन्त सफल रहा। इसके परिणामस्वरूप कुल रू0 1.24 लाख करोड़ के 601 एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित हो चुके हैं जिसमें 30 सितम्बर, 2020 तक ही रू0, 25 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों की ग्राउण्डिंग भी हो चुकी थी। इनके परिणामस्वरूप भविष्य में राज्य में रोजगार के अनेकानेक अवसर प्राप्त होंगे।
राज्य में एकल खिड़की व्यवस्था को और भी सरलीकृत व युक्तिसंगतीकृत किया गया है ताकि उद्यमियों को अधिकाधिक सहूलियत मिल सके। इसके परिणामस्वरूप अभी तक लगभग 4796 प्रस्ताव स्वीकृत हो चुके हैं। इनकी स्थापना से लगभग 10 30 हजार करोड़ का पूंजी निवेश प्राप्त होगा एवं अन्ततः एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
चिकित्सा उपकरण (मेडिकल डिवाईसेज) विनिर्माणक उद्योग एक तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है। उच्च प्रौद्योगिकी पर आधारित चिकित्सा उपकरणों का निर्माण देश में बहुत कम होने के कारण अधिकतर उपकरणों के लिए देश आयात पर निर्भर है। सिडकुल, हरिद्वार में एक मेडिकल डिवाइस पार्क राज्य सरकार द्वारा विकसित किया जाना प्रस्तावित है। देहरादून हरिद्वार तथा उधमसिंह नगर में फार्मा उद्योग की प्रगति एवं रूझान को देखते हुए सिडकुल द्वारा छरबा (देहरादून) में 50 एकड़ भूमि पर एक फार्मासिटी की स्थापना पर विचार किया जा रहा है।
इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए प्रदेश की जलवायु एवं क्षमताओं को देखते हुए काशीपुर में एक इलैक्ट्रॉनिक्स पार्क बनाये जाने का का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त सिडकुल द्वारा काशीपुर (उधमसिंह नगर) में अरोमा पार्क भी विकसित किया जाना प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
कोविड-19 से प्रभावित राज्य में वापस लौटे प्रवासियों तथा उद्यमशील युवाओं के लिये राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020 में यह योजना प्रारम्भ की गयी है। इस योजनान्तर्गत अब 12072 लोगों ने स्वयं के उद्यम ध् व्यवसाय की स्थापना के लिये ऋण हेतु आवेदन किया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला कार्यदल की संस्तुति पर 8746 आवदेन पत्र बैंकों को अग्रसारित किये गये हैं, जिसमें से अभी तक 3140 आवेदकों को ऋण की स्वीकृति की जा चुकी है और 2216 आवेदकों को ऋण वितरित किया जा चुका है।
इस योजना में 6648 लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। ऊर्जा विभाग (उरेडा) के अन्तर्गत संचालित मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार ध् योजना से प्रदेश के युवा उद्यमियों तथा प्रदेश के प्रवासियों जो कि कोविड संकट से वापस आये है को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना प्रस्तावित की गयी है इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 10 हजार युवाओं को 25 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लाण्ट आवण्टित किये जायेंगे। इस योजना से राज्यध्जिला सहकारी बैंकों में 8 प्रतिशत ब्याज की दर पर योजना लागत की 70 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करायी जायेगी तथा योजना लागत की 25 से 25 प्रतिशत राशि मार्जिन मनी के रूप में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग द्वारा दी जायेगी।
इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया गया है इस योजना में प्रतिभाग करने के लिये यह शर्त रखी गयी है कि सम्बन्धित आवेदक यूवपी०सी०एल0 के 25 केवी०ए० व इससे अधिक क्षमता के ट्रांसफार्मर से 300 मीटर हवाई दूरी पर्वतीय क्षेत्रों हेतु तथा 100 मीटर मैदानी क्षेत्रों हेतु तक 25 कि०वा० क्षमता तक के संयंत्र स्थापित करने के लिये आवेदन कर सकते है। इन सोलर पावर सयंत्रों से उत्पादित विद्युत को यू०पी०सी०एल० द्वारा 25 वर्षों तक क्रय किया जायेगा। योजना से लाभान्वित होने वाले उद्यमियों को प्रतिवर्ष लगभग रू0 65 से 70 हजार की विशुद्ध आय होगी। अभी तक इस योजना के अन्तर्गत 685 आनलाइन आवेदन प्राप्त हो चुके है जिनमें से 127 को आवण्टन पत्र निर्गत किये जा चुके है तथा 67 आवेदकों की पीपीए हस्ताक्षरित हो चुकी है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना डेयरी विकास घटक के अन्तर्गत प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत किसानों को तीन व पांच दुधारू पशुओं के क्रय हेतु ऋण व अनुदान उपलब्ध कराने की योजना प्रारम्भ की गयी है ताकि पर्वतीय क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक रूप प्रदान किया जा सके। योजना के अन्तर्गत प्रदेश के उन किसानों व बेरोजगार नौजवानों को दुधारू पशुओं के क्रय हेतु सहायता उपलब्ध करायी जा रही है जो पशु पालन के माध्यम से रोजगार करना चाह रहे हैं। योजना के अन्तर्गत 5500 लाभार्थियों को कुल 20 हजार दुधारू पशुओं हेतु 25 प्रतिशत अनुदानध् ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इससे प्रदेश में लगभग 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन अतिरिक्त उत्पादित होगा। दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक रूप से क्रियान्वित करने से उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी।
कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत उत्पन्न संकट के कारण प्रदेश में लौटे प्रवासियों एवं राज्य में निवासरत ऐसे युवाओं जो रोजगार या कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने के इणुक है उन्हें तथा नियोजकों को एक मंग पर लाकर पंजीकरण व रोजगार/स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा 13 मई, 2020 को HOPE (Helping Out People Everywhere) पोर्टल आरम्भ किया गया। इस पोर्टल के आरम्भ होने की तिथि से 31 जनवरी, 2021 तक कुल 31631 प्रवासी/युवाओं द्वारा पंजीयन कराया जा चुका है। उक्त पोर्टल पर अब तक 101 नियोजकों उद्योगों द्वारा 1895 रिक्तियां अपलोड की गयी है। उक्त रिक्तियों के सापेक्ष अब तक 102 युवाओं को रोजगार के अवसरों से जोड़ा जा चुका है तथा अन्य को जोड़े जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त इस पोर्टल पर 18646 युवाओं द्वारा कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किये जाने हेतु भी पंजीयन कराया गया है। इन युवाओं को उनके द्वारा व्यक्त की गयी रूचि तथा रोजगार की सम्भावनाओं वाले क्षेत्रों में राज्य सेक्टर के अन्तर्गत प्रशिक्षण दिये जाने की योजना है। इस हेतु महिला आई0टी0आई0 देहरादून में तीन कॉल सेन्टरों की स्थापना की गयी है जो लगातार पंजीकृत युवाओं तथा नियोजकों से समन्वय स्थापित कर युवाओं को सेवायोजित करने का कार्य कर रहे हैं।
इस पोर्टल पर पंजीकृत युवाओं को विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं से भी जोड़े जाने के प्रयास भी किये जा रहे है। इस हेतु जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अनुश्रवण समिति द्वारा तथा राज्य स्तर पर गठित समिति द्वारा इसका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
महोदय, कोविड संकट के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा जुलाई, 2020 में जिला योजना के अन्तर्गत 40 प्रतिशत धनराशि स्वरोजगार पर व्यय करने का निर्णय हुआ था इसके अच्छे परिणाम दृष्टिगोचर हुए हैं। विभिन्न विभागों के अन्तर्गत 60080 व्यतितयों को प्रत्यक्षा रोजगार तथा 1.85 लाख व्यक्तियों को परोक्ष रूप में रोजगार प्राप्त हुआ है।
उपर्युक्त प्रयासों के सम्पूर्ण परिणाम आने के उपरान्त बेरोजगारी की समस्या में काफी कभी आयेगी।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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