उत्तराखंडः चारधाम यात्रा व्यवस्था 30 अप्रैल तक हों पूरी, तोताघाटी पर हाईवे बंद करने के सीएम के निर्देश, वनाग्नि को लेकर चर्चा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में चारधाम यात्रा की तैयारियों की बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा के दृष्टिगत 30 अप्रैल तक सभी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली जाए। कार्यों के प्रति किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। कार्यों में तेजी के साथ गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। सीएम ने बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को कटिंग कार्यों के चलते तोताघाटी के पास बंद करने के निर्देश टिहरी के डीएम को दिए। कहा कि वैकल्पिक मार्ग से लोगों का आवाजाही कराई जाए। जब तक इस पर कार्य पूर्ण नहीं हो जाता तो इसे बंद रखा जाए। उन्होंने इस मार्ग पर 31 मार्च तक कार्य पूरा करने को कहा है।
उन्होंने सभी सचिवों को निर्देश दिये कि समय-समय पर अपने विभागों की कार्य प्रगति का स्थलीय निरीक्षण करें। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर शीघ्र अवगत कराया जाय। समस्याओं का उचित समाधान निकाला जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के चारधाम देश एवं दुनिया की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। चार धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पूर्व सड़कों के सुधारीकरण का कार्य हर हाल में पूर्ण किया जाय। 31 मार्च तक तोताघाटी में सड़क सुधारीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया जाय। यात्रा मार्गों और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भी सड़क से सबंधित कार्य ससमय पूर्ण कर लिये जाय। यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए यात्रा मार्गों पर पेयजल, स्वच्छता, साइनेज एवं अन्य आधारभूत सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था हो।
यात्रा मार्गों पर वाटर एटीएम की व्यवस्था के लिए जल्द कार्ययोजना बनाई जाय। यात्रा मार्गों पर पानी के टैंकर की भी पर्याप्त व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जोशीमठ, गौरीकुण्ड से सोनप्रयाग एवं यात्रा की दृष्टि से अन्य प्रभावित स्थानों पर सड़क से सबंधित कार्यों में तेजी लाई जाय। चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों को हेलीकॉप्टर सेवा सुचारु रूप से मिले, इसके लिए ऑनलाईन व्यवस्था सुचारू रखी जाय। टिकट वितरण में पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखा जाय।
मुख्यमंत्री श्री तीरथ ने कहा कि यात्रा सीजन के दृष्टिगत यात्रा मार्गों एवं धामों में स्वास्थ्य सुविधाओं के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं समय पर पूर्ण कर ली जाय। यात्रा के दौरान हेली ऐबुंलेंस सेवा एवं 108 एबुंलेंस की समुचित व्यवस्था हो। केदारनाथ एवं यमुनोत्री में ईसीजी एवं कार्डियोलॉजिस्ट की समय पर तैनाती की व्यवस्था की जाय। ऑक्सीजन, आईसीयू एवं वेंटिलेटर की भी पर्याप्त व्यवस्था रखी जाय। हेमकुंड में भी स्ट्रीट लाईट की उचित व्यवस्था हो, इसके लिए जल्द तैयारी की जाय। यात्रा सीजन में पर्याप्त वाहनों की व्यवस्था की जाय। यात्रा मार्गों पर जो भी वाहन भेजे जायेंगे, उनका फिटनेस टेस्ट जरूर किया जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि यात्रा के दौरान वाहनों एवं यात्रा मार्गों पर होटल में रेट लिस्ट जरूरी लगी हो।
उन्होंने कहा कि ओवर रेटिंग करने वालों पर सख्त कारवाई की जाये। आपदा से सबंधित संवेदनशील स्थानों पर संसाधनों की पूर्ण व्यवस्था हो। आपदा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रिस्पांस टाइम कम से कम किया जाय। यात्रा मार्गों पर पार्किंग की उचित व्यवस्था की जाय। मुख्यमंत्री ने सभी सचिवों को निर्देश दिये कि विभागीय कार्य प्रगति की प्रत्येक दूसरे सप्ताह में समीक्षा की जाय। समय-समय पर मुख्यमंत्री कार्यों की प्रगति समीक्षा लेंगे।
बैठक में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर, नितेश झा, राधिका झा, पंकज पाण्डेय, कमिश्नर गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग, वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से गढ़वाल मंडल के सभी जिलाधिकारी एवं संबधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
वनाग्नि प्रबंधन में पांच हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की बनाएं योजना
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वनाग्नि प्रबंधन की बैठक लेते हुए कैम्पा में स्वीकृत धनराशि को तत्काल फील्ड लेवल तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि शमन के दौरान मृतक कार्मिकों और स्थानीय नागरिकों के परिवारों को अनुग्रह राशि अविलम्ब उपलब्ध कराई जाएं। वन कर्मियों को वनाग्नि शमन के लिए जरूरी सभी उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित हो फायरलाईन की माॅनिटरिंग के लिए ड्रोन सर्वे कराया जाए। आपदा प्रबंधन विभाग को वनाग्नि शमन के लिए हेलीकाप्टर की भी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए।
सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन पंचायतों और स्थानीय लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है। स्थानीय लोगों के हक हकूक का समय से वितरण किया जाए। वन, पुलिस,राजस्व व अन्य संबंधित विभागों में पूरा समन्वय हो। जिलाधिकारी नियमित रूप से वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करें और ये सुनिश्चित करें कि आवश्यक मानव संसाधन, उपकरण आदि उपलब्ध हों। यदि कोई समस्या हो तो शासन को अवगत कराएं। वनाग्नि प्रबंधन संबंधी कार्यों में 5 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की योजना बनाई जाए। फोरेस्ट फायर कन्जरवेंसी सिस्टम को विकसित कर आमजन में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने वनाग्नि प्रबंधन के लिए की गई तैयारियों के संबंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा जिलाधिकारियों से भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जानबूझकर आग लगाने वालों को चिन्हित किया जाए। वनाग्नि के कारण जो भी क्षति होती है, उसमें आपदा के मानकों के अनुसार तत्काल राहत राशि प्रदान की जाए। पिरूल एकत्रण का भुगतान समय से हो। इसके लिए प्रभावी मैकेनिज्म बना लिया जाए।
बैठक में बताया गया कि प्रतिवर्ष लगभग 36 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र में वनाग्नि शमन के लिए जरूरी नियंत्रित दाहन किया जाता है। लगभग 2700 किमी फायर लाईनों का रखरखाव किया जाता है। स्थानीय निवासियों से प्रतिवर्ष लगभग 7000 फायर वाचर अग्निकाल में लगाए जाते हैं। 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1317 कू्र स्टेशन और 174 वाच टावर स्थापित हैं। जिला फायर समितियों की बैठक कर ली गई हैं।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव अमित नेगी, नीतेश झा, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, सहित वन विभाग के अधिकारी, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी उपस्थित थे।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।