दिल्ली तक पहुंचा उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का विरोध, दिल्ली के प्रवासियों ने जंतर मंतर पर दिया धरना
उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव से आई आपदा प्रभावितों के आंदोलन को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से माओवादियों का आंदोलन बताने का विरोध दिल्ली तक पहुंच गया है। बीजेपी नेता के बयान के विरोध में दिल्ली के प्रवासियों ने जंतर मंतर पर धरना दिया। ये धरना वॉइस ऑफ माउंटेन संस्था की ओर से आयोजित किया गया। इसमें कई संघठनों के लोगों ने भागीदारी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यदि जोशीमठ के आंदोलनकारी माओवादी हैं तो वह स्वयं को आतंकवादी मानते हैं और सरकार चाहे तो उन्हें जेल भेज दे। उन्होंने कहा लोकतंत्र में अपनी मांगों के लिए गांधीवादी संघर्ष करना संविधान सम्मत है और सरकार को इस तरह की बयानबाजी से बचने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं को कहना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धीरेंद्र प्रताप ने जोशीमठ त्रासदी के पीड़ित लोगों की मदद के लिए प्रधानमंत्री से 1000 करोड़ रुपये का पैकेज उत्तराखंड को देने की मांग उठाई। उन्होंने कहा आज वामपंथ के नाम पर जोशीमठ के आंदोलनकारियों को चीन समर्थक बताया जा रहा है। जो बहुत ही शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाया जा रहा है। जो कि निंदनीय है और देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जोशीमठ की घटना के बाद एक महीना बीतने के बाद भी प्रधानमंत्री की ओर से उत्तराखंड का दौरा तक नहीं किया गया। जो कि निंदनीय है। यदि ऐसी घटना गुजरात में होती तो प्रधानमंत्री अब तक चार बार गुजरात हो आते।जाने-माने चिंतक लेखक और पदमश्री डॉ शेखर पाठक ने जोशीमठ आपदा को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बताया। साथ ही सरकार से जोशीमठ के पीड़ितों की तत्काल प्रभावी सहायता देने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस सत्याग्रह को प्रमुख सोशल एक्टिविस्ट चारु तिवारी, वामपंथी विचारक पुरुषोत्तम शर्मा, पत्रकार सुनील नेगी, वॉइस ऑफ माउंटेन के संयोजक जिज्ञासु, रमेश शेखर, गीता रावत, प्रेमा धोनी, भूपेंद्र रावत, रमेश घिल्डियाल, बृज मोहन सेमवाल, रोशनी चमोली समेत अनेक लोगों ने संबोधित किया। साथ ही जोशीमठ के लोगों के लिए केंद्र सरकार से फौरी सहायता की मांग की। बाद में एक ज्ञापन केंद्र सरकार को भेजा गया। एनटीपीसी योजना को बंद किए जाने,उत्तराखंड में पंचेश्वर बांध जैसे बड़े बांध पर रोक लगाने की मांग की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस रूप में आई आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण 600 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई थी। हाईवे दरक गए। भवन और मकानों में दरारें आ गई। कई मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर पानी के स्रोत फूट गए। ऐसे में प्रभावित परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दे दिया गया था। साथ ही चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों पर स्थानीय निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। राज्य सरकार ने कहा था कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 5000 रुपये प्रति माह मिलेंगे। साथ ही प्रभावितों को फौरी सहायता के रूप में डेढ़ लाख रुपये दिए गए हैं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।