अर्णव की गिरफ्तारी को उत्तराखंड भाजपा ने बताया लोकतंत्र पर हमला, सोशल मीडिया में हो रही उत्तराखंड सरकार की खिंचाई
दूसरों को नसीहत और खुद की फजीहत वाली बात यहां उत्तराखंड में नजर आ रही है। अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा नेताओं के बढ़चढ़कर बयान आ रहे हैं। इसे लोकतंत्र की हत्या बताया जा रहा है, तो कुछ नेता कांग्रेस की साजिश करार दे रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया में ऐसे लोग भी हैं, जो इस मामले में उत्तराखंड में भाजपा सरकार को भी घसीट रहे हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र और उत्तराखंड सरकार में कोई फर्क नहीं है।
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया में पोस्ट डालने पर एक पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके साथ ही कुछ की गिरफ्तारी भी की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट नैनीताल ने मुकदमा ही निरस्त कर दिया। साथ ही उत्तराखंड से मुख्यमंत्री पर लगाए आरोपों की जांच सीबीआइ से कराने के आदेश तक दे दिए थे। इस मामले में उत्तराखंड सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। इस पर उन्हें राहत जरूर मिली।
अब महाराष्ट्र में अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर उत्तराखंड में भाजपा नेता से लेकर कई मंत्री बयान देकर इसे लोकतंत्र की हत्या करार दे रहे हैं। शायद वे ये भूल रहे हैं कि जिस केस में यहां पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, उसे हाईकोर्ट ने ही निरस्त कर दिया। अब इसी मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया में पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा है। कुछ अर्णव की गिरफ्तारी को गलत बता रहे हैं, तो कुछ इसे सही कदम बता रहे हैं। ये न्यायालय का विषय है। फिलहाल उत्तराखंड भाजपा का क्या मानना है, हम यहां आपको वह बताने जा रहे हैं। इस मुद्दे पर आज भाजपा ने प्रेस नोट जारी किया जो इस प्रकार है-
उत्तराखंड भाजपा का प्रेस नोट-
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा रिपब्लिक चैनल के मुख्य संपादक अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर प्रहार बताया और कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल अपने तानाशाही रवैये के कारण मीडिया का गला घोटने पर उतारु हैं। भाजपा इसकी निंदा करती है और इसके विरोध में भाजपा द्वारा पूरे प्रदेश में प्रदर्शन आदि किए जा रहे हैं ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने रिपब्लिक चैनल के मुख्य संपादक श्री अर्णव गोस्वामी के खिलाफ दर्ज पुराने बंद किए जा चुके मामले पर गिरफ्तार करने की निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि तानाशाही प्रवृत्ति की कांग्रेस और उसके सहयोगी सच को न तो सुन पाते हैं न पचा पाते हैं। इसके विपरीत वे सच को दबाने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं।
गोस्वामी की गिरफ्तारी इसलिए नहीं की गई कि 2 वर्ष पूर्व उनके विरुद्ध की गई शिकायत जो आधारहीन पाए जाने बंद कर दी गई थी पर अब उससे जुड़े नए तथ्य सामने आए हैं, बल्कि इसका मुख्य कारण श्री गोस्वामी द्वारा महाराष्ट्र सरकार जिसमें कांग्रेस भी शामिल है के बारे में तथ्यों को बेनकाब किया जाना है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता इन बातों को स्वीकार नहीं करते और वह मीडिया की आवाज को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ।
भगत ने कहा कि श्री अर्णव गोस्वामी को जिस प्रकार उनके आवास से गिरफ्तार किया गया और उनके साथ धक्का-मुक्की करने के अलावा घर के बुजुर्गों व अन्य सदस्यों को अपमानित व प्रताड़ित किया गया वह तानाशाही का ही एक उदाहरण है। इसके अलावा अब अर्णव और उनके परिवारजनों के खिलाफ एक महिला पुलिस कर्मी के साथ हाथापाई करने का जो मामला दर्ज किया गया है, वह एक बड़ी साजिश का नतीजा है। यह घटनाक्रम आपातकाल की याद दिलाता है, जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने कुर्सी को बचाने के लिए प्रेस की आजादी को छीन लिया था।
उन्होंने कहा कि न तो श्रीमती गांधी का दौर अधिक चला और न महाराष्ट्र में कांग्रेस व उसके दलों का दौर अधिक चलेगा ।किंतु इससे एक बार फिर कांग्रेस व उसके सहयोगी बेनकाब हुए हैं ।श्री भगत ने कहा कि हम इस सारे घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और इसके विरोध में करने पूरे प्रदेश में सभी जिलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमेशा वचनबद्ध रही है और रहेगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।