उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: सबसे बड़ा सवालः मसूरी में गणेश जोशी को कौन देगा टक्कर

शक्तिमान प्रकरण से हुए थे फेमस
हरीश रावत की सरकार के दौरान विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन के दौरान गणेश जोशी को एक घोड़े ने पूरे देश में फेमस कर दिया था। आरोप था कि उन्होंने पुलिस के घोड़े शक्तिमान पर डंडा चलाया और वह घायल हो गया और उसकी टांग टूट गई। इस घोड़े की बाद में मौत हो गई थी। गणेश जोशी आज भी इसका मुकदमा झेल रहे हैं। हालांकि निचली अदालत से वह बरी हो चुके हैं, लेकिन यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। उधर, इसी प्रकरण को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ड वाड्रा का जब एक बार गणेश जोशी से सामना हुआ और उन्होंने शक्तिमान प्रकरण को लेकर टिप्पणी कर दी तो दोनों में विवाद भी हो गया था।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
गणेश जोशी देहरादून निवासी हैं। बचपन से ही वह आरएसएस से जुड़े रहे। डीएवी इंटरकॉलेज से शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह भारतीय सेना में सैनिक के रूप में सेवारत हुए। दून 83 में स्वैच्छित सेवानिवृत्ति लेकर वह राजनीति में सक्रिय हो गए। वह युवा मोर्चा में विभिन्न पदों पर रहे। भाजपा जिला व महानगर के साथ ही विभिन्न प्रकोष्ठ में पदाधिकारी रहे। वर्ष 2007 में उन्होंने पहली बार राजपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और तक सीएम पद के कांग्रेस के दावेदार हीरा सिंह बिष्ट को 3570 मतों के अंतर से हराया। इसके बाद राजपुर विधानसभा आरक्षित हो गई और वर्ष 2012 का चुनाव उन्होंने मसूरी विधानसभा से लड़ा और कांग्रेस के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला को 9776 मतों से हराया। वर्ष 2017 में उन्होंने एक बार फिर इसी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गोदावरी थापली को 12077 मतों से हराया। वह धामी सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने। इसके अलावा वर्ष 91 में रामजन्मभूमि आंदोलन में लाठीचार्ज में वह घायल हुए। जेल भी गए। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान भी वह कई बार गंभीर घायल हुए। इस दौरान वह 20 दिन बरेली सेंट्रल जेल में भी बंद रहे और इससे पहले सात दिन देहरादून जेल में भी रहे।
कांग्रेस के प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला
जोत सिंह गुनसोला पुराने कांग्रेसी हैं। वह मसूरी विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा दो बार मसूरी पालिका के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के वह अध्यक्ष हैं। हालांकि वर्ष 2012 का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। इस बार वह प्रबल दावेदारी कर रहे हैं। क्योंकि 2017 में भी मसूरी विधानसभा से कांग्रेस जीत नहीं पाई थी।
गोदावरी थापली
कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2017 में चुनाव लड़ने वाली गोदावरी थापली इस बार भी मसूरी विधानसभा सीट के प्रबल दावेदारी कर रही हैं। कोरोनाकाल में वह लगातार क्षेत्र में जरूरतमंदों की मदद को खड़ी रहीं। साथ ही गोरखा समाज से होने के कारण उन्हें इसका लाभ भी मिल सकता है। वह जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं। वर्तमान में वह कांग्रेस में प्रदेश महामंत्री भी हैं। ऐसे में कांग्रेस में फिलहाल दो ही चेहरे टिकट के दावेदारों के रूप में सामने आ रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।