यूसर्क का प्लांट टैक्सोनामी सर्टिफिकेट कार्यक्रम का शुरू, 12 विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के 32 छात्र कर रहे प्रतिभाग
प्रो. अनीता रावत ने कहा कि प्लांट टैक्सोनामी नालेज, सही ज्ञान एवं व्यवहारिक ज्ञान के अनुपालन से हम टैक्सोनामिक ज्ञान को अर्जित कर सकते है। उन्होंने कहा कि प्लांट टैक्सोनामी जैवविविधता के संरक्षण में एक बुनियादी ज्ञान है, जो कि पादपों के संरक्षण को प्रभावी रूप में लाने एवं विभिन्न वैश्विक समस्याओं के समाधान एवं नीति निर्धारण में आवश्यक है। प्रोफेसर अनीता रावत ने कहा कि यूसर्क द्वारा विज्ञान गतिविधियों हेतु डिजिटल प्लेटफार्म पर भी कार्य किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम का संचालन करते हुये सर्टिफिकेट कोर्स की समन्वयक व यूसर्क वैज्ञानिक डा. मन्जू सुन्दरियाल ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों का स्वागत करते हुये सर्टिफिकेट कोर्स का विद्यार्थियों के करियर सम्बन्धी भविष्य की सम्भावनाओं के बारे में बताया। वैज्ञानिक डा. ओम प्रकाश नौटियाल ने यूसर्क की वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसजीआर विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलपति प्रो. यूएस रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा आयोजित किया जा रहा यह साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिये अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। साथ ही विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के संरक्षण एवं डाटा आदि को समृद्धता प्रदान करेगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. एसके सिंह ने प्लांट टैक्सोनोमी के अध्ययन के महत्व को विस्तार से समझाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि टैक्सोनोमी एक वृहद विषय है व वनस्पतिशास्त्र की प्राचीनतम आधारभूत शाखा है। इसके अन्तर्गत किसी भी पौधे के समुचित और समग्र अध्ययन करने से पूर्व पौधे के सही वैज्ञानिक नाम और पादप जगत में उसकी वर्गीकीय स्थिति की जानकारी आवश्यक है। कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान की गतिविधियों की डाक्यूमेन्टरी दिखायी गयी। उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. हरीश सिंह ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तकनीकी सत्र के पहले व्याख्यान में संस्थान के वैज्ञानिक डा. समीर पाटिल ने प्लांट टैक्सोनोमी के आधारभूत ज्ञान, पादपों की संरचना, पहचान, वर्गीकरण एवं पादप विषय पर विस्तार से प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की। तकनीकी सत्र का द्वितीय व्याख्यान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रमेश कुमार ने ‘भारत के फाइटोजियोग्राफिकल क्षेत्र’ विषय पर विस्तार से दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम समन्वयक डा. मन्जू सुन्दरियाल ने बताया कि इस साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के कुल 12 शिक्षण संस्थानों हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर परिसर एवं बादशाहीथाल परिसर, डीएवी महाविद्यालय देहरादून, दून विश्वविद्यालय देहरादून, राजकी स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी, राजकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय पुरोला, गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर, माया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी सेलाकुई देहरादून, चमनलाल महाविद्यालय हरिद्वार, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय उत्तराखंड, पीएनजी पीजी कॉलेज नैनीताल और एसजीआरआर विश्वविद्यालय देहरादून के प्रतिभागियों की ओर से प्रतिभाग किया जा रहा है। कार्यक्रम में वैज्ञानिक डा गिरिराज सिंह पंवार, डॉ कंडवाल, डॉ खोलिया, ई राजदीप जंग एवं प्रदेश की 12 विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के 32 छात्र-छात्राओं, वैज्ञानिकों, अतिथियों एवं आयोजक मण्डल सहित कुल 75 लोग उपस्थित थे।