सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के मिला संयुक्त किसान मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल, सौंपा 20 सूत्रीय मांग पत्र

उत्तराखंड में हरिद्वार संसदीय सीट से सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से आज संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। अखिल भारतीय कार्यक्रम के तहत की गई इस मुलाकात के दौरान किसानों ने उन्हें 20 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। ये मुलाकात सांसद के डिफेंस कालोनी देहरादून स्थित आवास में की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि 10 जुलाई को किसानों की विभिन्न मांगों के साथ ही देश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर किसान मोर्चा की एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें तय किया गया था कि मांगों को लेकर प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष से समस्याओं के समाधान को लेकर भेंट की जाएगी। साथ ही सांसदों (लोकसभा व राज्य सभा सदस्यों) से भी व्यक्तिगत रूप से भेंट की जाएगी। साथ ही मांग की जाएगी कि वे किसानों की समस्याओं के समाधान को लेकर व्यक्तिगत रूप से भी प्रयास करेंगे। इसी क्रम में त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मांग पत्र के बिंदु
1- सभी फसलों के लिए, सी-2+50% की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की कानूनी गारंटी हो।
2- किसानों और खेत मजदूरों की ऋणग्रस्तता, किसान आत्महत्या और संकटपूर्ण पलायन से मुक्ति के लिए सर्वसमावेशी ऋण माफी योजना बने।
3-बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो, प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाया जाएं।
4- उर्वरक, बीज, कीटनाशक, बिजली, सिंचाई, मशीनरी, स्पेयर पार्ट्स और ट्रैक्टर जैसे कृषि इनपुट पर कोई जीएसटी न हो। कृषि इनपुट पर सब्सिडी फिर से शुरू करो। सरकारी योजनाओं का लाभ बटाईदारों और काश्तकारों को भी मिले।
5- सभी फसलों और पशुपालन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के तहत सर्वसमावेशी बीमा कवरेज योजना बनाओ। कॉर्पोरेट समर्थक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बंद करो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

7-भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (एलएआरआर) अधिनियम 2013 को लागू करो, जिसमें हर दूसरे वर्ष सर्किल रेट में अनिवार्य संशोधन किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए कम सर्किल रेट पर अधिग्रहित सभी भूमि के लिए मुआवजा दिया जाए। पुनर्वास और पुनर्स्थापन के बिना अधिग्रहण न किया जाए। बिना पुनर्वास के झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों को न तोड़ा जाए। बुलडोजर राज को समाप्त किया जाए। बिना पूरा मुआवजा दिए कृषि भूमि पर ओवरहेड हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनों का जबरन निर्माण न किया जाए।
8- वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा) को सख्ती से लागू किया जाए।
9- वन्य जीवों की समस्या का स्थायी समाधान हो ; जान-माल के नुकसान पर 1 करोड़ रुपये और फसलों और मवेशियों के नुकसान पर उनकी कीमतों का दुगुना मुआवजा के रूप में दिया जाए।
10- भारतीय दंड संहिता और सीआरपीसी की जगह, आम जनता पर पर थोपे जा रहे तीन आपराधिक कानूनों को निरस्त किया जाए, जो संसद में बिना किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पारित किए गए हैं और असहमति और लोगों के विरोध को दबाने के लिए, भारत को पुलिस राज्य बनाने के लिए बनाए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
11- 736 किसान शहीदों की याद में सिंघु/टिकरी बॉर्डर पर उपयुक्त शहीद स्मारक का निर्माण किया जाए। लखीमपुर खीरी के शहीदों सहित ऐतिहासिक किसान संघर्ष में शहीदों के सभी परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। किसान संघर्ष से जुड़े सभी मामले वापस लिए जाएं।
12- अति-धनिकों पर टैक्स लगाया जाए। कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाया जाए। मजदूरों, किसानों और मेहनतकश लोगों के बीच धन के तर्कसंगत और न्यायसंगत वितरण के लिए वित्तीय संसाधन हासिल करने के लिए संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर को फिर से लागू किया जाए।
13- कृषि के लिए अलग केंद्रीय बजट हो।
14- कृषि का निगमीकरण न हो। कृषि उत्पादन, व्यापार और खाद्य प्रसंस्करण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश न हो। कोई मुक्त व्यापार समझौता (FTA) न हो। भारत को कृषि पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) समझौते से बाहर आना चाहिए।
15- जीएसटी अधिनियम में संशोधन करें और भारत के संविधान में निहित संघीय सिद्धांतों के अनुसार राज्य सरकारों के कराधान के अधिकार को बहाल करें। मजबूत राज्य : मजबूत भारत संघ के सिद्धांत को कायम रखा जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
16- सहकारिता के संवैधानिक प्रावधान को राज्य विषय के रूप में बनाए रखा जाएं और केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय को समाप्त किया जाए।
17- लोगों की आजीविका और प्रकृति की रक्षा के लिए भूमि, जल, वन और खनिजों सहित प्राकृतिक संसाधनों को माल बनाना बंद करो और उस पर कॉर्पोरेट नियंत्रण को समाप्त करो। कृषि को बचाने के लिए जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को हल करो। वर्षा जल का वैज्ञानिक ढंग से संचयन करो, वाटरशेड योजना और जल निकायों की सुरक्षा करो, भूजल को रिचार्ज करने के लिए सिंचाई अधोसंरचना और वनीकरण को विकसित करो और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति लचीलापन विकसित करो।
18- मनरेगा में मजदूरी बढ़ाकर 600 रुपये प्रतिदिन किया जाए। कृषि विकास के लिए इस योजना को पूरे भारत में वाटरशेड योजना से जोड़ा जाए।
19- चार श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए। 26000 रुपये प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन लागू किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण न किया जाए, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म किया जाए। श्रम का ठेकाकरण समाप्त किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20- किसानों और खेत मजदूरों की भूमि और पशुधन संसाधनों की रक्षा की जाए, ताकि तीव्र कृषि संकट के कारण उनकी बढ़ती गरीबी को रोका जा सके। छोटे उत्पादकों और मजदूरों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए रोजगार और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की जाए और उन्हें ऋणग्रस्तता, कृषि आत्महत्या और संकटपूर्ण प्रवास से मुक्ति दिलाई जाए। उत्पादक सहकारी समितियों और सामूहिक संघों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ ऋण, कृषि प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, बुनियादी ढांचा नेटवर्क, विपणन और अनुसंधाक्षन एवंत विकास के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा समर्थित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक नीतियां लागू की जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिनिधिमंडल में ये रहे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में संयुक्त किसान मोर्चा उत्तराखण्ड के संयोजक एवं किसान सभा के राज्य महामन्त्री गंगाधर नौटियाल, किसान सभा के प्रन्तीय कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, जिलाध्यक्ष दलजीत सिंह, किसान मोर्चा डोईवाला के संयोजक ताजेंद्र सिंह, याक़ूब अली, उमेद बोरा, सरजीत सिंह, जगजीत सिंह, सिंगाराम, ध्यान सिंह आदि शामिल थे ।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।