यूनिफॉर्म सिविल कोडः केंद्र ने डाला ठंडे बस्ते में, उत्तराखंड में बढ़ा रहे कार्यकाल, नतीजा शून्य
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर फिलहाल राज्य सरकार अभी स्पष्ट नहीं है कि इसे कब लागू किया जाए। हो सकता है लोकसभा चुनाव से ऐन पहले इसका शिगूफा छोड़ा जाए। इसीलिए बार बार इसे लेकर मीडिया में ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिससे ये मामला ताजा बना रहे और हमेशा चर्चा में रहे। फिलहाल इसे लेकर गठित की गई समिति का कार्यकाल फिर से बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इससे पहले समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ाया जा चुका है। पहले इसे लेकर जितना शोर मचाया गया, फिलहाल नतीजा शून्य साबित हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्पष्ट कर चुके हैं कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से किसी की चल रही आ रही प्रथाएं नहीं बदलेंगे। विशेषज्ञ समिति ने तय समय 30 जून को ड्राफ्ट का संकलन कर लिया था। यदि ड्राफ्ट तैयार है तो सबसे पहले इसे सरकार को सौंपा जाना है। इसके बाद इस पर चर्चा कर कानूनी पहलुओं का परीक्षण भी किया जाना है। इसके बाद ही सरकार निर्णय लेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वादा किया था कि अगर हम सत्ता में दोबारा आए तो समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। वहीं, समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्र सरकार भी फिलहाल बैकफुट पर है। साथ ही बीजेपी इस मुद्दे को गर्म रखना चाहती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देशभर में इस कानून को लागू करने में अभी कई पेच दिख रहे हैं। आदिवासी समुदाय के साथ ही कई जाति इसका विरोध कर रही हैं। बीजेपी के ही सांसद आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखने की पैरवी कर चुके हैं। ऐसे में इसे समान नागरिक सहिंता कैसे कहेंगे, इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाला हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, उत्तराखंड में इसे लेकर गठित कमेटी ने ड्राफ्ट तो तैयार है, लेकिन इससे आगे की कार्यवाही ठंडे बस्ते में है। अब सीधा सवाल ये है कि जब ड्राफ्ट तैयार है तो इसे सरकार को सौंपने में देरी क्यों हो रही है। ड्राफ्ट तैयार करने की बात तो काफी समय से की जा रही है। इसे सरकार को जून माह में सौंपा जाना था। इसके कारण कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन इसे लेकर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के बयान अक्सर आते रहते हैं। साथ ही ये मामला हमेशा गर्माने का प्रयास रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समिति का कार्यकाल चार माह और बढ़ाने की तैयारी
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के उद्देश्य से इसका प्रारूप तय करने के लिए गठित समिति का कार्यकाल चार माह बढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की देहरादून वापसी के बाद इससे संबंधित आदेश जारी हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गठित की थी विशेषज्ञों की समिति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का प्रारूप (ड्राफ्ट) बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 15 माह के कार्यकाल में अभी तक 75 से अधिक बैठक हो चुकी हैं और समिति को 2.35 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। समिति को समान नागरिक संहिता का प्रारूप इसी वर्ष जून तक सौंपना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब समिति का कार्यकाल 28 सितंबर को समाप्त हो रहा है। सरकार को प्रारूप सौंपने के बाद भी इसमें काफी कार्य होना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अभी तक दो बार बढ़ाया जा चुका है कार्यकाल
ऐसे में समिति का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी है। अभी तक दो बार समिति का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। पहले कार्यकाल नवंबर 2022 में छह माह के लिए मई 2023 तक बढ़ाया गया था। इसके बाद मई 2023 में समिति का कार्यकाल चार माह, यानी सितंबर तक के लिए बढ़ाया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किए गए थे ये दावे
तीन माह पूर्व नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कानून का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई ने दावा किया था कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार है। उसे जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा। देसाई ने कहा कि समिति ने सभी प्रकार की राय और चुनिंदा देशों के वैधानिक ढांचे सहित विभिन्न विधानों एवं असंहिताबद्ध कानूनों को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार किया है। अब ये जल्द की परिभाषा क्या है, जैसा कहा गया था। क्योंकि मसौदा तैयार किए हुए तीन माह से ज्यादा समय हो चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में साफ है कि केंद्र की तरह उत्तराखंड में भी इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में ठीक उसी तरह लटकाया जा रहा है, जैसा अक्सर बीजेपी की सरकारें करती हैं। पहले किसी मुद्दे को लेकर इवेंट के तौर पर हल्ला मचाया जाता है। पूरा मीडिया ऐसे मुद्दों पर उलझा रहता है। बाद में उस मुद्दे को भूला दिया जाता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।