तीन राज्यों में हार के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में बेचैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने दिए वरिष्ठ नेताओं को सुझाव
तीन राज्यों में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव नतीजे विपरीत आने के कारण अब उत्तराखंड कांग्रेस में बेचैनी है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यदि कांग्रेस ने उत्तराखंड में पूरी तरह से जोर नहीं लगाया तो नेताओं को दोबारा से पांचों सीटें हाथ से निकलने की चिंता है। ऐसे में अब उत्तराखंड काग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को पत्र लिखकर कई सुझाव दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि दो मार्च को चुनाव नतीजे निकले तो त्रिपुरा में 60 साटों में से कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, कांग्रेस लेफ्ट के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और कांग्रेस ने 13 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। इससे पहले वर्ष 2018 के चुनाव में तो कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। हालांकि, त्रिपुरा में बीजेपी बहुमत के आंकड़े को पार कर 32 सीटों पर चुनाव जीती, लेकिन उसे भी वर्ष 2018 के हिसाब से चार सीटों का नुकसान हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी तरह नागालैंड में तो कांग्रेस लगातार दो चुनावों में अपना खाता तक नहीं खोल पाई है। वहीं, बीजेपी ने 20 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे और उसे 12 सीटों पर जीत मिली। वहां, बीजेपी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिलकर सरकार गठन की तैयारी में है। मेघालय में कांग्रेस सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके खाते में मात्र पांच सीटें आई। वहीं, वर्ष 2018 में कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, बीजेपी को मात्र दो सीटें मिली। इससे पहले भी उसे वर्ष 2018 में दो सीटें मिली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में नागालैंड और मेघालय में बीजेपी ना तो फायदे में रही और ना ही नुकसान में। हालांकि त्रिपुरा में बीजेपी को सत्ता में काबिज होने के बावजूद चार सीटों पर नुकसान हुआ। इन तीनों राज्यों के प्रचार में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के कई बड़े दिग्गज इन राज्यों में कई रैलियां कर चुके थे। इसके विपरीत कांग्रेस नेता राहुल गांधी हो या प्रियंका गांधी, उन्होंने इन राज्यों को प्रचार को अहमियत नहीं दी। राहुल गांधी से सिर्फ मेघालय में एक रैली की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी तरह यूपी में प्रियंका गांधी ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया था, लेकिन वोटरों का भरोसा नहीं जीत सकीं। उसके बाद वे यूपी में नहीं दिखाई पड़ीं। यही वह गैप है, जिसे कांग्रेस पार्टी समझ नहीं पा रही है। एक राज्य में अगर चुनाव हार गए, तो उसका मतलब वहां चार साल बाद ही जाएंगे। इससे वोटरों का भरोसा कभी नहीं जीता जा सकता। उत्तर पूर्व के चुनावी राज्यों में राहुल गांधी की एक जनसभा, पार्टी की हालत को बयान करने के लिए काफी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धीरेंद्र प्रताप ने प्रभारी और अध्यक्ष को दिए सुझाव
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव नतीजों से उत्तराखंड कांग्रेस में बेचैनी के बीच लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव गंभीरता से लेने चाहिए। एक तरफ बीजेपी चुनाव तैयारी में जुट गई है। ऐसे में कांग्रेस को भी इस पर गंभीर रणनीति बनानी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पीसीसी की घोषणा जल्दी की जानी चाहिए। ताकि कार्यकर्ताओं में असमंजस खत्म हो। त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के चुनाव नतीजे अच्छे नहीं रहे। वहां प्रभारी को कोई तजुर्बा नहीं था। ऐसे में उत्तराखंड में पांचों लोकसभा में तजुर्बे वाले लोगों को चुनाव लड़ने और लड़ाने की जिम्मेदारी दी जाए। ऐसे लोगों का सदुपयोग किया जाए। पांचों लोकसभा क्षेत्रों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एक एक रैली कराई जाए। ये रैली श्रीनगर गढ़वाल, हल्द्वानी, जसपुर, अल्मोड़ा और टिहरी में या फिर किसी बदले स्थान पर होनी चाहिए।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।